सार

Synthetic Diamond Quality and Identification: सिंथेटिक हीरे की पहचान करना एक चुनौती हो सकती है। क्योंकि सिंथेटिक हीरे के ऑप्टिकल और भौतिक गुण लगभग प्राकृतिक हीरे के समान होते हैं। जानें कैसे बनते हैं सिंथेटिक हीरे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 3 दिवसीय राजकीय यात्रा पर अमेरिका में हैं। इस यात्रा में प्रधानमंत्री मोदी ने राष्‍ट्रपति जो बाइडेन और फर्स्‍ट लेडी जिल बाइडेन से मुलाकात की। पीएम मोदी प्राइवेट डिनर के लिए व्हाइट हाउस पहुंचे और यहां उनकी भव्य खातिरदारी हुई। इस दौरान जिल बाइडेन को पीएम मोदी ने गिफ्ट में लैब में विकसित 7.5 कैरेट का हरे रंग का हीरा दिया। यह एक सिंथेटिक हीरा है जो पर्यावरण के अनुकूल है। इसके निर्माण में सौर और पवन ऊर्जा जैसे पर्यावरण-विविध संसाधनों का उपयोग किया गया है। सिंथेटिक हीरे प्रयोगशालाओं में उगाए जाते हैं और मूल रूप से प्राकृतिक हीरे के समान ही इसमें रासायनिक संरचना, क्रिस्टल संरचना और भौतिक गुण होते हैं। 

क्या है सिंथेटिक हीरा?

जैसा कि हम जानते हैं सालों तक जमीन के अंदर होने वाली प्रोसेस के बाद में हीरा बनाता है। लेकिन अब लैब में भी हीरे उगाए जा रहे हैं। लैब में बनाए जाने वाले हीरे उतने ही असली होते हैं जितने कि धरती से निकाले गए हीरे। उनके पास एक ही रासायनिक, भौतिक और ऑप्टिकल गुण हैं जो धरती के नीचे से निकाले गए हीरो में होता है। इतनी आग, जगमगाहट और चमक बिल्कुल समान रहती है। जी हां, प्रयोगशाला में उगाए गए हीरे, हर तरह से मिट्टी से निकाले गए हीरे के समान होते हैं, सिवाय इसके कि वे एक प्रयोगशाला में उगाए जाते हैं।

सिंथेटिक हीरे का इतिहास 

सिंथेटिक हीरे का उत्पादन 1950 के दशक से औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता रहा है। इसका उपयोग दूरसंचार, लेजर ऑप्टिक्स आदि के रूप में किया जाता है।हालांकि, 1970 तक ऐसा नहीं हुआ था कि जनरल इलेक्ट्रिक के शोधकर्ताओं ने पहला रत्न-गुणवत्ता वाला सिंथेटिक हीरा बनाया था। 1980 के दशक के मध्य में, निर्माताओं ने रत्न-गुणवत्ता वाले सिंथेटिक क्रिस्टल की व्यावसायिक मात्रा बढ़ाना शुरू कर दिया। ये हीरे ज्यादातर आकार में छोटे होते थे और पीले या भूरे रंग के होते थे। लेकिन सिंथेटिक हीरे की गुणवत्ता में अब बहुत सुधार हो चुका है। सिंथेटिक हीरे अब दिखने में उच्च गुणवत्ता वाले प्राकृतिक हीरे को टक्कर दे सकते हैं।

सिंथेटिक हीरे की पहचान कैसे करते हैं? 

सिंथेटिक हीरे की पहचान करना एक चुनौती हो सकती है। क्योंकि सिंथेटिक हीरे के ऑप्टिकल और भौतिक गुण लगभग प्राकृतिक हीरे के समान होते हैं। केवल उन्नत परीक्षण उपकरणों से युक्त एक जेमोलॉजिकल लैब ही आधिकारिक रूप से यह निर्धारित कर सकती है कि हीरा प्राकृतिक है या सिंथेटिक।

सिंथेटिक हीरे को बनाने में कितना वक्त लगता है?

सिंथेटिक हीरे प्राकृतिक हीरे की तरह ही चमकदार और टिकाऊ होते हैं। इन्हें कम कीमत पर खरीदा जा सकता है। प्राकृतिक हीरे लाखों से अरबों साल तक पृथ्वी की गहराई में बनते हैं वहीं सिंथेटिक हीरे एचपीएचटी या सीवीडी प्रक्रियाओं के माध्यम से कुछ ही दिनों या हफ्तों में प्रयोगशालाओं में बनाए जा सकते हैं।