Parenting Mistakes That Affect Child Behavior: बच्चा बाहर से नहीं बल्कि अपने घर के लोगों से सीखता है। तबी तो अनजाने में पेरेंट्स की ये गलतियां बच्चों के डेवलपमेंट और अपब्रिंगिंग के लिए रेड फ्लैग है।

5 Parenting Red Flags: आज हम बच्चों के परवरिश और उनके ओवरऑल डेवलपमेंट के बारे में बात करेंगे, जो हर माता-पिता के लिए जानना और सीखना बहुत जरूरी है। पैरेंटिंग में छोटी-मोटी गलतियां हमेशा नजरअंदाज हो जाती हैं, लेकिन यही गलतियां बच्चों के इमोशनल और पर्सनैलिटी पर गहरा असर डालती है। बच्चा स्कूल या क्लास से नहीं बल्कि अपने घर के माहौल को देखकर सीखता है। घर पर होने वाली चीजें ही उसकी सोच और आदतों का हिस्सा बन जाता है। इसलिए पेरेंट्स को यह समझना चाहिए कि उनका बिहेवियर, आदतें, लाइफस्टाइ बच्चों के परवरिश से लेकर डेवलपमेंट और नेचर में बड़ा रोल प्ले करती है। पेरेंटिंग एक्सपर्ट श्वेता गांधी ये बताती हैं कि पैरेंटिंग में कुछ ऐसे रेड फ्लैग्स होते हैं, जिसके बारे में हर माता पिता को जानना चाहिए, क्योंकि ये बच्चों को लंबे समय तक इफेक्ट करते हैं।

नशे की आदत और उसका असर

अगर माता-पिता लगातार शराब, सिगरेट या नशीले चीजों का सेवन करते हैं, खासकर बच्चों के सामने, तो यह सिर्फ उनकी सेहत पर ही नहीं बल्कि बच्चों की इमोशनल वेल-बीइंग पर भी असर डालता है। बच्चा ये सोच सकता है कि ये आदतें लाइफस्टाइल का हिस्सा हैं और बड़े होने पर खुद भी इन्हें अपनाने लगे। साथ ही, बच्चों में असुरक्षा और डर की भावना पनप सकती है।

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घर का अशांत माहौल

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माता-पिता या बड़ों के बीच रोज-रोज झगड़े और कहा-सुनी बच्चे के दिमाग में गहरी छाप छोड़ते हैं। जब बच्चा लगातार ऐसा माहौल देखता है, तो उसके भीतर स्ट्रेस, गुस्सा या एंग्जायटी की समस्या बढ़ने लगती है। आगे चलकर वह रिश्तों में असुरक्षित या अस्थिर हो सकता है और लोगों पर भरोसा करने में परेशानी हो सकती है।

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डबल स्टैंडर्ड का नेगेटिव असर

कई बार माता-पिता खुद तो अपनी गलती को नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन बच्चे की छोटी गलती पर तुरंत डांटने लगते हैं। या फिर खुद ऊंची आवाज में बात करते हैं लेकिन बच्चे को चिल्लाने से रोकते हैं। इस तरह का डबल स्टैंडर्ड बच्चों को कंफ्यूज करता है और उनमें विद्रोही स्वभाव या आत्मविश्वास की कमी पैदा करता है।

बच्चों की इमोशन को इग्नोर करना

बच्चे जब अपने इमोशन शेयर करना चाहते हैं और माता-पिता उन्हें इग्नोर कर देते हैं, तो उनकी भावनाएं दब जाती हैं। ये इमोशन्स खत्म नहीं होते बल्कि सब कॉन्शियस माइंड में बैठ जाते हैं और बाद में एंग्जायटी, गुस्सा या डिप्रेशन के रूप में सामने आते हैं। इसलिए बच्चों को सुनना और समझना बहुत जरूरी है।

हेल्दी लाइफस्टाइल का रोल

पैरेंट्स अगर लगातार जंक फूड खाते हैं, एक्सरसाइज नहीं करते और आलसी लाइफस्टाइल जीते हैं, तो बच्चा भी यही पैटर्न फॉलो करता है। माता-पिता बच्चों के लिए रोल मॉडल होते हैं और उनकी लाइफस्टाइल ही बच्चे की आदतों की नींव बनती है। इसलिए हेल्दी फूड, एक्सरसाइज और एक्टिविटी को पैरेंट्स को खुद अपनाना चाहिए ताकि बच्चे भी उनसे सीखें।