सार
बेंगलुरू में एक पिता ने धैर्य खोकर जो कदम उठाया, उसने ना सिर्फ अपने परिवार को तोड़ दिया, बल्कि अपनी जिंदगी भी बर्बाद कर ली। यह कहानी सिर्फ चौंकाने वाली नहीं है, बल्कि इसे पढ़कर हर माता-पिता सावधान हो जाएंगे।
रिलेशनशिप डेस्क. रिश्तों में, खासकर पैरेंटिंग के दौरान गुस्से पर काबू रखना बहुत जरूरी होता है। जब गुस्सा बेकाबू हो जाए, तो वह ऐसे फैसले करा सकता है जिनका पछतावा उम्रभर रहेगा। बेंगलुरू जेल में बंद यह पिता शायद यही सोच रहा होगा कि अगर उसने खुद पर काबू रखा होता, तो आज वह जेल में नहीं होता और उसका बेटा भी जिंदा होता।
यह दुखद मामला बेंगलुरू का है जहां 14 साल के लड़के को मोबाइल की लत लग गई थी।जब उसके माता-पिता उसे मोबाइल कम इस्तेमाल करने को कहते, तो उनके बीच विवाद होने लगता। लड़का अक्सर मोबाइल में इतना उलझा रहता कि वह स्कूल भी कम जाता था। इसके अलावा, गलत संगति ने उसकी आदतों को और बिगाड़ दिया था। इसकी वजह से फैमिली और उसके बीच टेंशन रहती थी।
गुस्से में पिता ने बेटे को खूब मारा
पैरेंट्स उसे लगातार सुधारने की कोशिश करते थे। वो उसे कभी डांटकर तो कभी प्यार से समझाते थे। लेकिन लड़का मानने को तैयार नहीं था। इस बीच बच्चे का मोबाइल खराब हो गया। वो पिता से उसे ठीक कराने के लिए कहने लगा। वो जिद्द करने लगा। लेकिन पिता नहीं चाहते थे कि मोबाइल को सही कराया जाए। घटना वाले दिन इसे लेकर पिता और बेटे के बीच खूब बहस हुई। झगड़ा काफी बढ़ गया जिसके बाद गुस्से में पिता ने बच्चे को बल्ले से खूब मारा। उसकी गर्दन पकड़कर कई बार दीवार पर भी मारा। जिसकी वजह से लड़का बेहोश हो गया।
इलाज के दौरान बच्चे की मौत
उसे तुरंत अस्पताल माता-पिता लेकर गए। 15 नवंबर को उसकी मौत हो गई। गुस्से में पिता ने उसे बहुत बुरी तरह मारा था। सिर और पीठ पर चोट के गंभीर निशान पाए गए। पुलिस ने कातिल पिता को गिरफ्तार कर लिया। पढ़कर हैरानी हुई ना। यहीं गुस्से का नतीजा होता है। इसलिए कहा जाता है कि बच्चे को पालते वक्त थोड़ा धैर्य से काम लेना चाहिए।
पैरेंटिंग में धैर्य की अहमियत
बच्चों को सही राह पर लाने के लिए प्यार और समझदारी की जरूरत होती है। इस मामले से सबक लेते हुए हमें यह समझना चाहिए कि बच्चों की गलतियों पर धैर्य और सही तरीके से बातचीत करना ही समस्या का समाधान है।
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