सार
मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने माता-पिता को सलाह दी है कि वे अपनी बेटियों पर शादी का दबाव न डालें। शादी का निर्णय बेटियों को खुद लेने दें ताकि वे अपने जीवनसाथी के साथ खुशहाल जीवन जी सकें।
रिलेशनशिप डेस्क। मीडिल क्लास फैमिली में हर माता-पिता चाहते हैं कि उनकी बेटी की शादी 25 साल की उम्र के बाद हो। बेटी के 21 साल की उम्र पार करते ही रिश्तेदार अच्छे लड़के की बात करने लगते हैं। भाभी की बेटी की उम्र हो गई है, वो लोग लड़का देख रहे हैं कोई अच्छा लड़का हो बताइए, ऐसी तमाम बातें आप सभी ने कभी न कभी सुनी होंगी। बेटी अगर शादी के लिए मान गई है तब तो कोई परेशानी नहीं है लेकिन आज के वक्त देखा गया है लड़कियां जल्दी शादी नहीं करना चाहती हैं। लेकिन पेरेंट्स के दबाव में आकर उन्हें जल्दी शादी करने का प्रेशर झेलना पड़ता है। कभी माता-पिता प्यार से ये बात समझाते हैं या फिर कभी इमोश्नल हो जाते हैं। अब इस बारे में मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी ने पेरेंट्स के सलाह दी है। उन्होंने एक वीडियो में कहा कि परिवार वाले बेटी की खुशी के लिए उसका घर बसाना चाहते हैं लेकिन कई बार शादी के लिए वे राजी नहीं होती तो वे ऐसी बातें कह जाते हैं जो बेटी को हमेशा याद रह जाती हैं।
बेटी पर शादी का दबाव बनाने पर जया किशोरी की मां-बाप को नसीहत:
1) कई बार ऐसा होता है कि मां-बाप बेटी पर केवल इस बात का दबाव बनाते हैं कि ऐसा लड़का शायद ही कभी दोबारा मिले। उनका सीधा इशारा लड़के की वेल्थ, उसकी कमाई से होता है। अगर उन्होंने अपनी बेटी के लिए लड़के का चुनाव किया है जो उनसे ज्यादा और आर्थिक रूप से मजबूत है, तो वे बेटी पर शादी का दवाब बनाते हैं। लेकिन क्या आज के समय में पैसा देखकर जीवनसाथी का चुनाव सही करना ठीक है। जया किशोरी का कहना है कि माता-पिता को ऐसी चीजों से माता-पिता को बचना चाहिए।
2) कोई भी माता-पिता बेटी के लिए बुरा रिश्ता नहीं चाहते। हर पेरेंट्स यही चाहते हैं कि उनके रहते बच्चे अच्छे से सेटल हो जाएं और वह शादी कर परिवार बसा लें। अपनी इच्छाओं की पूरा करने के लिए वह बच्चों की इच्छाओं के खिलाफ जाते हैं। माता-पिता का तर्क होता है कि उनके बच्चों को अच्छे-भले की समझ नहीं है केवल वही हैं जो उनकी भलाई चाहते हैं। मां-बाप को ऐसा नहीं करना चाहिए, जया किशोरी मानती है एक व्यक्ति को शादी कब करनी है ये उसे तय करने में सक्षम हो की क्या वह लाइफ में आने वाले पार्टनर के लिए तैयार है, क्या वह उसके साथ पूरी जिंदगी बिता सकता है। ये फैसला हमें बच्चों को करना देना चाहिए।
3) अक्सर कहा जाता है कि बच्चे चाहे कितने भी बड़े हो जाएं, वे अपने माता-पिता की नजर में हमेशा छोटे रहते हैं। लेकिन, जब बात शादी की आती है। तो वही मां-बाप बेटियों को उनकी बढ़ती उम्र का अहसास बार-बार दिलाते हैं, जिससे उन पर दबाव बनता है और बेटियां बोझ की तरह महसूस करने लगती हैं।
4) अक्सर मां-बाप को कहते सुना होगा, अभी हम हैं तुम्हारा रखने वाले जब नहीं रहेंगे, तब तुम्हें पता लगेगा। तुम्हारा ख्याल कौन रखेगा? शादी कर लो ताकि तुम्हारी ज़िंदगी में भी कोई हो। जया किशोरी का मानना है कि ऐसी बातें बेटियों को कमजोर बनाती हैं और उन्हें ऐसा महसूस होता है कि वह अपना ख्याल नहीं कर सकती। उन्हें जिंदगी जीने के लिए हमेशा सहारे की जरूरत है।
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