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6 साल का साथ-सेक्स लाइफ और पैसों पर टकराव, GF से शादी को लेकर लड़का कन्फ्यूजन-पढ़ें नोट
Relationship Problems: कई बार जिंदगी में ऐसा मोड़ आता है, जब प्यार के बावजूद शादी को लेकर मन में कंफ्यूजन पैदा हो जाता है। दिमाग सवाल करता है कि क्या आज के मतभेद कल रिश्ते को बोझिल बना देंगे। ऐसी ही एक कहानी हम आपको बता रहे हैं।

रेडिट पर 29 साल के युवक ने अपने रिलेशनशिप की कहानी शेयर करते हुए पूछा कि क्या मुझे शादी करनी चाहिए? उसने लिखा कि वो 26 साल के गर्लफ्रेंड के साथ पिछले 6 साल से रिश्ते में है। दोनों की मुलाकात कॉलेज में हुई थी और समय के साथ उनका रिश्ता मजबूत होता गया। युवक का कहना है कि उसकी पार्टनर बेहद काइड, सपोर्टिव और प्यार रने वाली है। लेकिन शादी को लेकर कुछ अहम मुद्दों पर उनकी सोच मेल नहीं खा रही है।
सेक्सुअल कंपैटिबिलिटी बनी चिंता
युवक का कहना है कि उसकी सेक्स ड्राइव ज्यादा है और वह हफ्ते में 1-2 बार शारीरिक संबंध चाहता है, जबकि उसकी गर्लफ्रेंड सिर्फ 2-3 हफ्तों में एक बार सहज महसूस करती है। इसके अलावा वहीं इसके लिए पहल करता है, जबकि गर्लफ्रेंड उस तरह से नहीं सहयोग करीत है। धीरे-धीरे यह असंतुलन उसे भविष्य में नाराजगी और दूरी का कारण लगता है।
पैसों को लेकर भी मतभेद
लड़के ने आगे लिखा,'वह फाइनेंशियल सिक्योरिटी पर ज्यादा ध्यान देता है। उसके पास खुद का टाउनहाउस है, फुल-टाइम नौकरी के साथ साइड बिजनेस भी करता है और सेविंग्स को प्रॉयरिटी देता है। वहीं, उसकी गर्लफ्रेंड ट्रैवल और एक्सपीरियंस को ज्यादा अहम मानती है। वह दोस्तों के साथ भी घूमने जाती है, जबकि वह खर्च बचाने के लिए कई बार मना कर देता है। हाल ही में जब सिंगल-फैमिली होम खरीदने की बात हुई, तो गर्लफ्रेंड ने साफ कहा कि अगर ट्रैवल कम करना पड़ा तो वह घर खरीदना नहीं चाहेगी। यह बात युवक को चौंकाने वाली लगी।
‘मैं काफी नहीं हूं’ का एहसास
गर्लफ्रेंड ने यह भी कहा कि सगाई को लेकर उसकी झिझक उसे यह महसूस कराती है कि शायद वह “काफी अच्छी नहीं है।” युवक का कहना है कि उसका ऐसा कोई इरादा नहीं है, लेकिन वह समझता है कि उसे ऐसा क्यों लग रहा है।
युवक का कंफ्यूजन
अब युवक खुद असमंजस में है, क्या वह जरूरत से ज्यादा सतर्क हो रहा है या फिर सगाई से पहले काउंसलिंग के पास वाजिब है? उसे क्या करना चाहिए वो समझ नहीं पा रहा है।
लोगों की राय
लोगों की राय इस मामले में काफी साफ और सीधी नजर आती है। ज्यादातर यूजर्स का मानना है कि कपल के बीच बुनियादी तौर पर असंगति (incompatibility) है। एक तरफ लड़का फिजिकल इंटीमेसी और फाइनेंशियल सिक्योरिटी को ज्यादा अहमियत देता है, वहीं लड़की की प्राथमिकताएं अलग हैं और वह अपने नजरिए से समझौता नहीं करना चाहती। कई लोगों का कहना है कि काउंसलिंग कम्युनिकेशन बेहतर कर सकती है, लेकिन यह किसी को जबरदस्ती अपनी जरूरतें या इच्छाएं बदलने पर मजबूर नहीं कर सकती। थैरेपी न तो सेक्स की इच्छा बढ़ा सकती है और न ही फाइनेंशियल सोच को पूरी तरह बदल सकती है। ऐसे में अगर ये मुद्दे डीलब्रेकर हैं, तो काउंसलिंग सिर्फ फैसले को टालने का जरिया बनेगी। अगर दोनों अपनी-अपनी जरूरतों पर समझौता किए बिना आगे नहीं बढ़ सकते, तो रिश्ते को आगे खींचने की बजाय सच्चाई स्वीकार करना ही बेहतर है।