सार

कई बार हम दूसरों को ना नहीं कह पाते और खुद को ही नुकसान पहुंचाते हैं। असल में ये हमारी कमजोरी नहीं, बल्कि सीमाओं का अभाव है, जिसका असर हमारे आत्मसम्मान और रिश्तों पर पड़ता है।

रिलेशनशिप डेस्क. मैं हर बार सोचती हूं कि उसे ना कह दूंगी। लेकिन बोल ही नहीं पाती हूं। हम में से कई लोगों के साथ ऐसा होता है कि हम किसी को ना नहीं बोल पाते हैं और अगर जैसे-तैसे बोल दिए तो गिल्ट से भर जाते हैं। सवाल है कि क्या ये फीलिंग सही है। जवाब है नहीं, हम सभी को अपने दायरे तय करने चाहिए। अगर आप में बाउंड्री का अभाव है तो फिर ये आपको ही नुकसान पहुंचाता है। जब हम अपनी बाउंड्री को सही तरीके से निर्धारित नहीं करते हैं तो इसका असर हमारे आत्मसम्मान, संबंधों और लाइफ की क्वालिटी पर पड़ता है। हालांकि हममे से कइयों को नहीं पता होता है कि वो बाउंड्री यानी सीमा तय नहीं कर पाते हैं। यहां पर हम आपको कुछ संकेत बताएंगे जो यह बताते हैं कि आपके लाइफ में सीमाओं का अभाव है।

आप "ना" नहीं कह पाते

अगर आप हमेशा दूसरों की अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए "हां" कहते हैं, भले ही आप खुद असहज महसूस करें। तो यह दिखाता है कि आप अपनी सीमाएं निर्धारित करने में असमर्थ हैं। हर चीज के लिए हां कहकर खुद को ही चोट पहुंचाते हैं। इसलिए ना कहने की प्रैक्टिस करें। प्रॉयरिटी और बाउंड्री के बारे में स्पष्ट रहें।

हर किसी को खुश रखने की कोशिश करते हैं

अक्सर हम में से कई हर किसी की उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करता है। चाहे आप अपने खुद के इंटरेस्ट और इमोशन को नजरअंदाज कर सकते हैं।दूसरों को खुश रखने की यह आदत आपको मानसिक थकान और असंतोष की ओर धकेल सकती है।याद रखें कि आप सभी को खुश नहीं रख सकते। अपने इमोशन और फिजिकल हेल्थ को प्रॉयरिटी दें।

आपको हमेशा थकान महसूस होती है

दूसरों की जरूरतों को पूरा करते-करते आप खुद को थका हुआ या इमोशनल रूप से खाली महसूस करते हैं, तो यह दिखाता है कि आप अपनी सीमाओं का उल्लंघन कर रहे हैं। अपनी ऊर्जा को बचाना सीखें और जरूरत के अनुसार खुद को प्रॉयरिटी दें।

अपराध बोध का अनुभव होता है

जब आप अपनी सीमाओं को निर्धारित करने या "ना" कहने के बाद अपराध बोध महसूस करते हैं, तो यह संकेत हो सकता है कि आप दूसरों की अपेक्षाओं को अपने ऊपर हावी होने दे रहे हैं। आत्मसम्मान विकसित करें और समझें कि अपनी सीमाओं का सम्मान करना स्वार्थी नहीं है।

दूसरों की समस्याओं को खुद पर ले लेते हैं

जब आप दूसरों की समस्याओं को इस तरह से लेते हैं जैसे वे आपकी अपनी हों, तो यह आपकी सीमाओं का अभाव दिखाता है। आप सहानुभूति दिखाएं, लेकिन दूसरों की समस्याओं को हल करना आपकी जिम्मेदारी नहीं है।

आपको दूसरे के व्यवहार से निराशा होती है

जब आप पाते हैं कि लोग आपकी उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते या आपका फायदा उठाते हैं, तो यह इस बात का संकेत हो सकता है कि आपने सही बाउंड्री नहीं बनाई हैं। अपने व्यहार में मजबूती लाएं और दूसरे से खुद के लिए अच्छा व्यवहार की उम्मीद ना करें। क्योंकि सबका नेचर अलग-अलग होता है।

आप खुद के बारे में निर्णय नहीं ले पाते

अगर आप अपने जीवन के महत्वपूर्ण फैसलों के लिए दूसरों पर निर्भर होते हैं, या दूसरों की राय आपके डिसिजन पर इफेक्ट डालती है तो यह भी एक संकेत है कि आप खुद को लेकर साफ नहीं है। अपने अंदर आत्मनिर्भता और आत्मविश्वास विकसित करें। अपने डिसिजन खुद लें और उसपर गर्व करें।

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