सार
वैलेंटाइन वीक का चौथा दिन ‘टेडी डे’ होता है। इस दिन प्रेमी-प्रेमिकाएं आपस में सॉफ्ट और प्यारे टेडी एक दूसरे को देते हैं। टेडी ना सिर्फ प्यार का प्रतीक है, बल्कि यह साइकोलॉजिकल इफेक्ट भी रिश्तों में डालता है।
रिलेशनशिप डेस्क. प्यार का सप्ताह वैलेंटाइन विक (Valentine's week 2024) चल रहा है। 10 फरवरी को ‘टेडी डे’ मनाया जाता है। प्रेमी-प्रेमिका एक दूसरे को टेडी गिफ्ट में देते हैं। एक खतरनाक जानवर आज घर-घर में सॉफ्ट टॉय के रूप में मौजूद है। बड़े से लेकर बच्चों तक जब अकेला महसूस करते हैं तो अपने पास रखें इस सॉफ्ट से टॉय को गले लगाकर सुकून पाते हैं। टेडी बियर का रिश्तों पर और सेल्फ वेलबीइंग पर खास प्रभाव होता है। आइए जानते हैं जंगल का यह जानवर कैसे दोस्ती और प्यार का प्रतीक बन गया।
इतिहास जानने से पहले जानते हैं टेडीबियर के वर्तमान की स्थिति। दुनिया भर में टेडीबियर की 500 से ज्यादा किस्मे हैं। 90 प्रतिशत से ज्यादा टेडीबियर चीन और अमेरिका में बेचे जाते हैं। अमेरिका में सबसे ज्यादा हर साल 5 करोड़ से ज्यादा टेडीबियर लोग खरीदते हैं। अगर कारोबार की बात करें तो दुनिया में इसका कारोबार 4.90 लाख करोड़ हैं। सबसे बड़ा टेडीबियर 63 फीट का है। अगर इसके दाम की बात करें तो अब तक का सबसे महंगा टेडी लग्जरी ब्रांड लुई वित्तां ने बनाया है जिसकी कीमत 1.3 करोड़ हैं।
टेडी बियर का इतिहास
चलिए जानते हैं टेडी बियर कैसे पहुंचा हमारे घर तक। 122 साल पहने की कहानी अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट से जुड़ी है। वो भालू का शिकार करने जंगल में निकले ते। दिन भर जंगल में घूमने के बाद भी उन्हें कहीं एक भी भालू नजर नहीं आया। राष्ट्रपति को हताश देखकर उनके जी हुजूर करने वाले कुछ कर्मचारी एक भालू का बच्चा कहीं से पकड़ कर लेकर आए और पेड़ से बांध दिया। उन्होंने रूजवेल्ट से कहा कि भालू के बच्चे पर निशाना लगाकर अपना शौक पूरा कर लें। भालू का बच्चा बेचारा भोली आंखों से ये सब देख रहा था। राष्ट्रपति ने निशाना तानी, लेकिन ऐन वक्त पर उन्हें बच्चे पर दया आ गई और गोली नहीं चलाई।
टेडीबियर के नाम के पीछे की कहानी
राष्ट्रपति की यह कहानी घर-घर सुनाई जाने लगी और क्लिफोर्ड बेरीमैन नाम के एक कार्टूनिस्ट तक ये पहुंची। फिर क्या था कार्टूनिस्ट ने इसे लेकर एक कार्टून बना दिया। फिर इसी कार्टून के आधार पर ब्रुकलिन के एक टॉयमेकर मॉरिस मिकटॉम ने अपनी वाइफ के साथ मिलकर भालू यानी बियर बना दिया। इसका नाम दिया टेडीबियर। नाम के पीछे की कहानी ये है कि रूजवेल्ट का निकनेम टेड था। इसलिए टेडीबियर नाम रखा गया। इस तरह जंगल का एक खतरनाक जानवर घर-घर एक सॉफ्ट टॉय के रूप में पहुंच गया। जिसका चेहरा मासूम और शरीर गोलू-मोलू सा था।
टेडीबियर का साइकोलॉजिकल प्रभाव
अब अगर आप टेडीबियर को महज खिलौना समझ रहे हैं तो गलत सोच रहे हैं। इसका असर इंसानी दिमाग पर होता है। ऐसे एक बच्चे को देखकर आपके अंदर प्यार उमड़ता है। ठीक वैसे ही टेडीबियर को देखकर महसूस होता है। गोल-मटोल सॉफ्ट बॉडी और भोली-भाली आंखें देखकर टेडी को गले लगा लेते हैं। एक ऑब्जेक्ट के प्रति प्यार को लेकर ब्रिटिश फिलॉसफर डोनॉल्ड विनकॉट ने ‘आइडिया ऑफ ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट’ का सिद्धांत दिया था। उन्होंने कहा कि बच्चा जब मां से अलग रहने लगता है, अलग सोना शुरू करता है तो उसे एक ट्रांजिशनल ऑब्जेक्ट की जरूरत होती है। बच्चा धीरे-धीरे ऑब्जेक्ट के प्रति अफेक्शनेट होता जाता है। वो इसीम में अपनी खुशियां और प्यार ढूंढता है। अपने प्यारे से चेहरे की वजह से टेडीबियर वह ऑब्जेक्ट बन जाता है। कपल के बीच भी यही थ्योरी काम करती है। जब उनके बीच दूरियां मिटाने की बात आती है तो वो एक दूसरे को टेडीबियर देते हैं। ताकि उनकी गैर मौजूदगी में वो उनकी याद दिलाती रहे।
बुक से लेकर फिल्मों तक टेडीबियर का दोस्ती वाले स्वरूप ने और भी इसे लोकप्रिय बना दिया। आइकॉनिक चिल्ड्रेन बुक ‘विन्नी द पू’ में नन्हे बच्चे क्रिस्टोफर का बेस्ट फ्रेंड पू एक टेडी यानी भालू है। मोगली का फ्रेंड भालू है। धीरे-धीरे यह खिलौना प्यार और दोस्ती का प्रतीक बन गया। टेडीबियर के रंग का भी अलग मतलब होता है।
टेडीबियर के रंग का अलग-अलग मतलब
-रेड कलर का टेडीबियर इमोशनल अटैचमेंट और प्यार दिखाने का जरिया होता है।
-ऑरेज कलर का टेडीबियर प्यार और डेटिंग का आमंत्रण होता है।
-पिंक कलर का टेडीबियर प्रपोजल को स्वीकार करने की निशानी।
-ब्लू टेडीबियर मैच्योर और पुराने लवस्टोरी की निशानी।
-सफेद टेडीबियर किसी रिश्ते में होने की कहानी।
-ग्रीन टेडीबियर किसी के लौट आने का इंतजार।
-ब्लैक टेडीबियर रिश्ता खत्म होना या ब्रेकअप होने की निशानी।
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