सार
आजकल चिंता और तनाव जैसी समस्या से वयस्क लोग तो परेशान हैं ही, छोटे बच्चे भी इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। फिलहाल, लॉकडाउन की वजह से घर में बंद होने के चलते बच्चे मूड स्विंग की समस्या के शिकार हो रहे हैं, लेकिन यह परेशानी सामान्य दिनों में भी बच्चों के साथ हो सकती है।
लाइफस्टाइल डेस्क। आजकल चिंता और तनाव जैसी समस्या से वयस्क लोग तो परेशान हैं ही, छोटे बच्चे भी इस समस्या के शिकार हो रहे हैं। फिलहाल, लॉकडाउन की वजह से घर में बंद होने के चलते बच्चे मूड स्विंग की समस्या के शिकार हो रहे हैं, लेकिन यह परेशानी सामान्य दिनों में भी बच्चों के साथ हो सकती है। अक्सर लोग सोचते हैं कि छोटे बच्चों को भला किस बात की टेंशन होगी, लेकिन यह सच नहीं है। छोटे बच्चे भी चिंता और तनाव की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। इसलिए पेरेंट्स को इसे लेकर सजग रहना चाहिए। बच्चे अगर तनाव और डिप्रेशन के शिकार होते हैं तो इसके लक्षण उनमें दिखाई पड़ने लगते हैं। इस समस्या के पीछे वजह अलग-अलग हो सकती है। खासकर, अकेले ज्यादा वक्त बिताने, टीवी, मोबाइल और दूसरे गैजेट्स में मशगूल रहने, फिजिकल एक्टिविटी कम करने, स्कूल या ट्यूशन में यौन उत्पीड़न का शिकार होने और कुछ दूसरी वजहों से भी यह समस्या पैदा हो सकती है।
क्या हैं लक्षण
बच्चों में चिंता और डिप्रेशन की समस्या पैदा होने पर कुछ खास लक्षण दिखाई पड़ने लगते हैं। उनकी भूख कम हो जाती है। पढ़ाई में मन नहीं लगता है। वे गुमसुम रहने लगते हैं। बिना किसी बात के रोने लगते हैं। ज्यादा समय अकेले बिताने लगते हैं। उनके चेहरे पर उदासी दिखाई पड़ती है। वे चिड़चिड़े हो जाते हैं। कई बार वे बेवजह गुस्सा करने लगते हैं। सामान तोड़ने-फोड़ने लगते हैं। अगर बच्चे में ऐसे लक्षण दिखाई पड़ें तो तुरंत सावधान हो जाएं और ये उपाय करें।
1. साथ वक्त बिताएं
बच्चों को ज्यादा समय के लिए अकेला नहीं छोड़ें। उनके साथ रोज कुछ समय जरूर बिताएं। इससे उनका भरोसा आप पर बढ़ेगा। अगर आप उनके साथ समय बिताएंगे और बातचीत करेंगे तो उनका आत्मविश्वास मजबूत होगा। फिर वे अपने मन की बातें आपसे शेयर करने लगेंगे। बच्चों के साथ समय बिताना पेरेंट्स के लिए बहुत जरूरी होता है। ऐसा नहीं करने पर बच्चों के मन में एक तरह का असुरक्षा का भाव पनपने लगता है।
2. दोस्त की तरह पेश आएं
बच्चे के साथ आप एक दोस्त की तरह पेश आएं। उन पर अपने फैसले थोपने की जगह उनकी भावनाओं और इच्छाओं को समझने की कोशिश करें। कोई ऐसी बात नहीं बोलें, जिससे उनके मन पर चोट पहुंचे। अगर आप किसी बात के लिए उन्हें मना करना चाहते हैं तो समझा कर कहें। गुस्से में कभी बात नहीं करें, ना ही डांटें-फटकारें। इसका बच्चों के मन पर खराब असर पड़ता है।
3. दबाव नहीं डालें
बच्चों पर किसी बात के लिए दबाव नहीं डालें। बच्चों में स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना विकसित हो, इसकी कोशिश करें। बेहतर रिजल्ट लाने का दबाव बनाने से कोई फायदा नहीं होता। इससे बच्चे टेंशन में आ जाते हैं और उनका कॉन्फिडेंस कम होता है। आप बच्चे की क्षमताओं पर भरोसा करें और उसे भी यह बात बताएं। कोशिश करें कि बच्चे में जिम्मेदारी की भावना विकसित हो। इससे वे खुद आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं।
4. अनुशासन सिखाएं
बच्चों को शुरू से ही घर में अनुशासन का पालन करना सिखाएं। कब सोना है, कब जागना है, कब पढ़ाई करनी है, कब खेलने जाना है, कितने समय तक टीवी देखना है, यह तय कर दें। इसमें उनकी भी सहमति लें। घर में बड़ों के साथ और बाहर से आने वाले गेस्ट्स के साथ कैसा व्यवहार करना है, यह सब बच्चों को जरूर सिखाएं।
5. माहौल खुशनुमा रखें
हमेशा घर के माहौल को खुशनुमाा रखें। अगर घर का माहौल तनावपूर्ण होगा तो बच्चे भी तनावग्रस्त हो जाएंगे। इसलिए यह ध्यान रखें कि घर में किसी तरह की टेंशन नहीं हो। अक्सर बच्चों के मां-बाप या फैमिली के दूसरे मेंबर आपस में किसी बात पर लड़ाई करते हैं या एक-दूसरे की शिकवा-शिकायत करते रहते हैं। इसका बच्चों के मन पर गलत असर होता है। उनमें नकारात्मकता बढ़ने लगती है। इसलिए घर के माहौल को हमेशा पॉजिटिव बनाए रखें।