Must visit Krishna temples in Rajasthan during Janmashtami: राजस्थान में देखने के लिए वैसे तो कई खूबसूरत जगह है, लेकिन अगर आप वृंदावन की भीड़ से दूर शांत भाव से भगवा श्री कृष्ण का दर्शन करना चाहती हैं, तो राजस्थान के इन 3 ठाकुरों की कर आएं दार्शन।
Janmashtami Special Krishna Temples in Rajasthan: जन्माष्टमी का पर्व आते ही भक्तों के मन में भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन और भक्ति का उत्साह चरम पर होता है। हालांकि, इस शुभ अवसर पर ज्यादातर लोग वृंदावन और मथुरा जाने का प्लान करते हैं। लेकिन जन्माष्टमी के अवसर पर वृंदावन, मथुरा और गोकुल में भक्तों की भीड़ उमड़ती है, जहां भगवान का दर्शन कर पाना बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में वृंदावन के प्रमुख स्थलों पर भारी भीड़, धक्का-मुक्की और लंबी कतारें होने से अगर आप परेशान होते हैं और भीड़ से बचकर शांत वातावरण में ठाकुर जी के दर्शन करना चाहते हैं, तो राजस्थान के ये तीन प्रसिद्ध कृष्ण धाम आपके लिए बिल्कुल सही हैं। यहां आपको मिलेगा वैसा ही आध्यात्मिक भाव, भक्ति और उत्सव का अनुभव, वो भी बिना किसी हड़बड़ी के। खास बात ये है कि ये तीनों ठाकुर की मूर्ति वृंदावन की सप्त निधि हैं, जो मुगल आक्रमण के बाद वृंदावन, राजस्थान लाए गए थे।
राजस्थान के तीन प्रमुख मंदिरों के कर आएं जन्माष्टमी में दर्शन (Best Krishna Temple Darshan in Rajasthan on Janmashtami)

गोविंद देव जी मंदिर, जयपुर
जयपुर के सिटी पैलेस परिसर में स्थित गोविंद देव जी मंदिर भगवान कृष्ण के सात स्वरूपों में से एक के रूप में अत्यंत पूजनीय है। मान्यता है कि यह विग्रह वृंदावन से जयपुर लाया गया था। जन्माष्टमी के दिन यहां भव्य श्रृंगार, विशेष झांकियां और मधुर भजन संध्या का आयोजन होता है। मंदिर का आभा और सजावट जन्माष्टमी में देखने लायक होता है।
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गोपीनाथ जी मंदिर, जयपुर
जयपुर के पुरानी बस्ती इलाके में स्थित गोपीनाथ जी मंदिर अपनी शांति और भक्ति के वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। यहां जन्माष्टमी पर ठाकुर जी को फूल, पान और चांदी-सोने के गहनों से सजाया जाता है। मंदिर में बजते कीर्तन और मृदंग की धुन से पूरा परिसर कृष्णमय हो जाता है। भीड़ तुलनात्मक रूप से कम होती है, जिससे आप आराम से दर्शन कर सकते हैं। यह स्वरूप भी मुगल आक्रमण के कारण वृंदावन से जयपुर लाया गया था।
मदन मोहन जी मंदिर, करौली
करौली का मदन मोहन जी मंदिर चंबल नदी के किनारे बसा है और यहां का वातावरण बेहद पवित्र और सुकून भरा है। मान्यता है कि यहां भगवान कृष्ण का विग्रह वृंदावन से मुगलों के आक्रमण से बचाकर लाया गया था। जन्माष्टमी के दिन मंदिर में विशेष महाभोग, मंगला आरती और रात्रि जागरण होता है। यहां की सजावट और भक्ति का माहौल भक्तों के दिल को छू लेता है।
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ट्रैवल टिप-
जन्माष्टमी के दिन सुबह से ही मंदिरों में पहुंचने की कोशिश करें ताकि भीड़ से बच सकें।
अगर संभव हो, तो एक दिन पहले पहुंचकर स्थानीय संस्कृति और बाजार का भी आनंद ले सकते हैं।
जयपुर और करौली दोनों जगह जन्माष्टमी का उत्सव देखने लायक होता है, तो इसे अपने ट्रैवल प्लान में जरूर शामिल करें।
