Vaikuntha Chaturdashi 2025: कार्तिक शुक्ल पक्ष की चुतुर्दशी तिथि को हिंदू धर्म आप भारत के कुछ तीर्थ क्षेत्रों में हरी-हर मिलन या बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व बहुत भव्य रूप में मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

Hari Har Milan 2025: हिंदू धर्म में कार्तिक मास का विशेष महत्व है, इसके कृष्ण पक्ष की प्रथम तिथि से शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि तक, हर दिन बहुत खास होता है। कार्तिक मास में बहुत से तीज, त्योहार और पर्व होते हैं, जिसका इंतजार देवता तक सालभर करते हैं। इन्हीं तीज त्योहारों में खास बैकुंठ चतुर्दशी का भी है, जिसका इंतजार न सिर्फ श्रद्धालु करते हैं, बल्कि देवता भी पूरे साल करते हैं। हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी का पर्व मनाया जाता है, इसे हरी-हर मिलन भी कहा जाता है। इस दिन भगवान विष्णु (हरी) और महादेव (हर) एक साथ पूजे जाते हैं।

पौराणिक कथाओं के अनुसार चार महीने के चातुर्मास के बाद विष्णु भगवान पुनः सृष्टि का संचालन संभालने के पूर्व भगवान शिव से मुलाकात की थी, इसी अवसर को वैकुंठ चतुर्दशी या हरी हर मिलन के रूप में मनाया जाता है। भारत के कुछ प्रमुख तीर्थ स्थल हैं, जहां हरी हर मिलन या बैकुंठ चतुर्दशी का उत्सव देखने लायक होता है। अगर आपको भी इस दिव्य मिलन का हिस्सा बनना है, तो इन प्रमुख स्थलों पर जाएं और देखें बैकुंठ चतुर्दशी का अद्भुत नजारा।

उज्जैन मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर और गोपाल मंदिर के बीच मध्यरात्रि में आयोजित होने वाला हरि-हर मिलन बहुत प्रसिद्ध है। इस दिन महाकाल की सवारी गोपाल जी के मंदिर तक जाती है, वहां तुलसी माला और बेलपत्र माला का आदान प्रदान दोनों देव के बीच होता है। तुलसी भगवान शिव को और बेल पत्र भगवान नारायण को अर्पित किया जाता है। रात के 11-12 बजे के करीब महाकाल की जुलूस निकलती है, जिसमें भजन, कीर्तन, शंख, डमरू और घंटा की ध्वनि से पूरा शहर का रौन देखने लायक होता है।

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वाराणसी

काशी विश्वनाथ के मंदिर में इस दिन विशेष पूजा होती है, शुभ मुहूर्त और निशीथ काल (रात के 11-12 बजे के बीच) भगवान विष्णु को विशेष स्थान पर स्थापित किया जाता है, साथ ही मणिकर्णिका घाट पर स्नान, दीपदान और कीर्तन से पूरा शहर भक्तिमय हो जाता है।

अन्य जगह जहां मनाई जाती है बैकुंठ चतुर्दशी

महाराष्ट्र में मराठा परंपरा के अनुसार इस दिन को बहुत श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जाता है। इसके अलावा ऋषिकेश, केदार क्षेत्र आदि तीर्थों में दीपदान, नदी में स्नान और संध्या कालीन पूजा की जाती है।

बैकुंठ चतुर्दशी से जुड़े FAQ

बैकुंठ चतुर्दशी 2025 कब मनाई जाएगी?

 इस साल बैकुंठ चतुर्दशी 2025 में 4 नवंबर 2025 (मंगलवार) को मनाई जाएगी।

“हरि-हर मिलन” क्यों मनाया जाता है?

हरी-हर मिलन का अर्थ है भगवान विष्णु और शिव का एक होना, इस दिन दोनों की साथ में पूजा होती है और भगवान शिव को तुलसी एवं विष्णु जी को बेलपत्र चढ़ाया जाता है।

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भारत में बैकुंठ चतुर्दशी कहां-कहां मनाया जाता है?

बैकुंठ चतुर्दशी देखना है, तो आप उज्जैन, काशी, ऋषिकेश और केदार क्षेत्र जा सकते हैं।

बैकुंठ चतुर्दशी के दिन क्या क्या करें?

  • बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव और विष्णु को पूजा करें।
  • भगवान शिव को तुलसी पत्र और विष्णु जी को बेलपत्र अर्पित करें।
  • प्रातः सूर्योदय से पहले स्नान कर दीपदान और पूजा करें।
  • शाम के वक्त नदी, तालाब या जलाशय में दीप दान और पूजा करें।