सार
महिलाओं की मोटिवेशनल और इंस्पायरिंग स्टोरी सीरीज में आज हम आपको मिलावते हैं, श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ की संस्थापक 92 वर्षीय जसवंतीबेन जमुनादास पोपट से।
लाइफस्टाइल डेस्क : वो कहावत को आपने सुनी होगी कि 'अगर आपमें हिम्मत और जज्बा है तो ईश्वर किसी न किसी रूप में आकर आपकी नैया को जरूर पार लगाता है।' कुछ ऐसा ही जज्बा और हिम्मत दिखाई जसवंतीबेन जमुनादास पोपट (Jaswantiben Jamnadas Popat) ने। जिन्होंने अपना घर चलाने के लिए 1959 में पापड़ बनाने का काम शुरू किया और कुछ ही समय में उनके पापड़ पूरी दुनिया में मशहूर हो गए। जी हां, हम बात कर रहे हैं भारत के फेमस पापड़ ब्रांड लिज्जत पापड़ की। जिसकी संस्थापक जसवंतीबेन पटेल और उनकी 6 दोस्त हैं। जिन्होंने मिलकर इस पापड़ ब्रांड को वर्ल्ड फेमस बनाया। आइए आज हम आपको बताते हैं 92 साल की इस महिला की कहानी कि कैसे उन्होंने मात्र 80 रुपए से पापड़ बनाने का काम शुरू किया और आज 1600 करोड़ रुपए तक अपनी कंपनी का टर्नओवर पहुंचाया...
कौन है जसवंती बेन
जसवंतीबेन जमनादास पोपट एक भारतीय व्यवसायी हैं, जो श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ के संस्थापकों में से एक हैं। उन्होंने 1962 में श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ (Shri Mahila Griha Udyog Lijjat Papad) की शुरुआत की और अब इसका टर्नओवर 1,600 करोड़ रुपए (US$210 मिलियन) से अधिक है। उनके संगठन ने लगभग 45,000 महिलाओं को रोजगार भी दिया है। साल 2021 में भारत सरकार ने 91 साल में जसवंतीबेन को देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार पद्म श्री पुरस्कार दिया। इसके अलावा 2002 में इकोनॉमिक टाइम्स की ओर से बिजनेस वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड, 2003 में देश के सर्वोत्तम कुटीर उद्योग सम्मान और 2005 ब्रांड इक्विटी अवॉर्ड भी उन्हें मिल चुका है।
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कैसे आया बिजनेस आइडिया
15 मार्च, 1959 को जसवंती बेन अपनी छह दोस्तों के साथ गिरगाम, महाराष्ट्र में एक छत पर मिलीं और 80 रुपए जोड़कर पापड़ बनाना शुरू किया, जो एक सामाजिक कार्यकर्ता छगनलाल करमशी पारेख से उधार लिया गया था। बता दें कि ये महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं थी, लेकिन उस समय ये अपने परिवार के खर्च में अपना हाथ बंटाना चाहती थी, इसलिए उन्होंने पापड़ बनाने का काम शुरू किया और कुछ ही समय में उनकी कड़ी मेहनत और लगन से उनका बनाया पापड़ देश का सर्वश्रेष्ठ पापड़ ब्रांड बन गया है। जिसे श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ के नाम से भी जाना जाता है।
1962 में कंपनी हुई पंजीकृत
इन महिलाओं ने पहले पापड़ के चार पैकेट बनाए और इसे एक व्यापारी को बेचा गया। इसके तुरंत बाद, समूह 7 सदस्यों से बढ़कर 25 हो गया और बाद में समूह को श्री महिला गृह उद्योग लिज्जत पापड़ के रूप में पंजीकृत किया गया और 1962 में इसका नाम बदलकर लिज्जत पापड़ कर दिया गया।
विदेशों में ही है डिमांड
आज लिज्जत पापड़ सिर्फ पूरे देश में नहीं बेचे जाते हैं, बल्कि अमेरिका, सिंगापुर, यूनाइटेड किंगडम, थाईलैंड और नीदरलैंड जैसे देशों में भी निर्यात किए जाते हैं। इस फर्म की मुख्य शाखा मुंबई में है और पूरे भारत में इसकी 81 शाखाएं है। सिर्फ पापड़ ही नहीं, ये कंपनी मसाला, आटा, चपाती और यहां तक कि डिटर्जेंट भी बेचती है। लिज्जत में शामिल होने वाली प्रत्येक महिला को लिज्जत बेन कहा जाता है और उसे मुनाफे में बराबर हिस्सा दिया जाता है।
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