सार
मध्य प्रदेश के शहडोल जिला अस्पताल में 5 दिनों के अंदर 8 मासूम बच्चों की मौत से हड़कंप मच गया है। इस मामले में अस्पताल की अव्यवस्थाएं भी सामने आई हैं। अस्पताल में सिर्फ 20 बेड हैं, लेकिन 32 बच्चों को भर्ती रखा गया। हालांकि इस मामले में जांच करने पहुंची मेडिकल टीम ने अस्पताल के डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी है। बच्चों की मौत का कारण निमोनिया और गंदा पानी माना जा रहा है।
भोपाल, मध्य प्रदेश. शहडोल जिला अस्पताल में 5 दिन के अंदर 8 मासूमों की मौत का मामला सामने आया है। हालांकि इस मामले में जांच के लिए पहुंची टीम ने डॉक्टरों को क्लीन चिट दे दी है। टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट में लिखा कि बच्चों की मौत निमोनिया और गंदा पानी पीने से हुई। इस बीच बताया जा रहा है कि अस्पताल में 20 बेड हैं, लेकिन 32 बच्चों को भर्ती रखा गया। बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद प्रशासन ने सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर के सीनियर डॉक्टरों डॉ. पवन घनघोरिया (पीडियाट्रिशनय विभाग के एचओडी) और सहायक प्राध्यापक डॉ. अखिलेंद्र सिंह परिहार की दो सदस्यीय टीम को जांच के लिए भेजा था।
टीम ने कहा इलाज अच्छा हुआ
जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अस्पताल में बच्चों के इलाज में कोई कोताही नहीं बरती गई। हालांकि टीम ने स्टॉफ और नर्स की कमी जरूर मानी। सीएमएचओ डॉ. राजेश पांडे ने कहा कि हर साल इस तरह का सीजनल वेरीएशन यानी मौसमी परिवर्तन से ऐसी घटनाएं होती हैं। बता दें कि जनवरी में इसी अस्पताल में 6 मासूमों की मौत हुई थी। मामला जब तूल पकड़ा था, तब तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट अस्पताल का निरीक्षण करने जा पहुंचे थे।
अपर मुख्य सचिव ने ली जानकारी
इस बीच स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान और आयुक्त संजय गोयल ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मामले की पूरी जानकारी ली। सुलेमान ने कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई पर विचार किया जाएगा।
उधर, जांच टीम ने बताया कि आठ में से सात बच्चे भर्ती होते वक्त निमोनिया से पीड़ित थे। एक नवजात की मौत डिलेवरी के दौरान गंदा पानी पीने से हुई है।