सार

डीआईजी इरशाद वली ने मानवता कि मिसाल पेश करने वाले चारों पुलिसकर्मियों की जमकर तारीफ की। साथ ही सभी को इनाम देने की घोषणा भी की है। अफसर ने कहा कि चारों इस काम के लिए अधिकृत नहीं थे, ना ही बड़े अधिकारी का आदेश था, फिर भी उन्होंने ऐसा काम किया है, जो पुलिस विभाग के लिए गर्व करने वाली बात है।


भोपाल (मध्य प्रदेश).  कोरोना नाम की इस सुनामी ने ऐसा कहर बरपाया है कि चारों तरफ सिर्फ निराशा और मौत की चीखें हैं। महामारी के दौर में सारे रिश्ते-नातेदारों ने मुंह मोड़ लिया है। ऐसी ही एक दिल को झकझोर देने वाली तस्वीर राजधानी भोपाल से सामने आई है। जहां एक संक्रमित व्यक्ति की मौत के बाद उसे कोई कंधा देने तक नहीं आया। पत्नी चीखती रही कोई तो आ जाओ और मेरे पति का अंतिम संस्कार दो, लेकिन किसी का दिल नहीं पसीजा। आखिर में पुलिस ने इंसानियत दिखाते हुए पूरी रीति-रिवाज से पत्नी के जरिए अंतिम संस्कार करवाया।

मसीहा बनकर पहुंचे पुलिस के जवान
दरअसल, भोपाल की जगन्नाथ कॉलोनी में रहने वाले एक रेलवे के रिटायर्ड रिजर्वेशन सुप्रींटेंडेंट की कोरोना की वजह से मौत हो गई। घर में पत्नी अकेली थी, उसके दोनों भोपाल से बाहर रहते हैं। जो लॉकडाउन की वजह से पिता का अंतिम चेहरा तक नहीं देख सके। महिला अपने पति के शव के आगे चीखती चिल्लाती रही कोई तो आ जाओ, उनका अंतिम संस्कार कर दो, लेकिन कोई नहीं आया। इतना ही नहीं पीड़िता ने नगर निगम को भी फोन किया, लेकिन कोई नहीं आया। आखिर में महिला 100 डायल कर पुलिस से मदद मांगी। जिसके बाद ऐशबाग थाने से पुलिसकर्मी मदद करने के लिए पहुंच गए।

पुलिस ने पत्नी से करवाया अंतिम संस्कार
पीपीई किट पहनकर एसआई नीलेश अवस्थी अपने साथ हवलदार उपेंद्र, त्रिभुवन मिश्रा और सिपाही गजराज को लेकर मृतक के घर पहुंच गए। उन्होंने महिला से कहा मां जी हम इस काम के लिए अधिकृत तो नहीं हैं, फिर भी इंसानियत के तौर पर आपकी मदद कर देंगे। पुलिसकर्मियों ने कोविड प्रोटोकॉल के तहत शव को प्लास्टिक और कपड़े से कवर किया और एक बैग में पैक कर दिया। इसके बाद वह शव लेकर विश्राम घाट पहुंचे और मृतक की पत्नी ने पति के शव को मुखाग्नि दी। 

चारों पुलिस जवानों को विभाग करेगा सम्मानित
डीआईजी इरशाद वली ने मानवता कि मिसाल पेश करने वाले ऐशबाग थाने के चारों पुलिसकर्मियों की जमकर तारीफ की। साथ ही सभी को एक-एक हजार नकद इनाम देने की घोषणा भी की है। अफसर ने कहा कि चारों जवान इस काम के लिए अधिकृत नहीं थे, ना ही बड़े अधिकारी का आदेश था, फिर भी उन्होंने ऐसा काम किया है, जो पुलिस विभाग के लिए गर्व करने वाली बात है।