सार


कोरोना वायरस की दूसरी लहर से हर तरफ हाहाकार मचा हुआ है। अब महामारी शहरों से ज्यादा गांव में कहर बरपा रही है। लोग संक्रमण के बचाव को लेकर इन दिनों तरह तरह के जतन कर रहे हैं। डॉक्टरों की भी यही सलाह है कि यदि कोरोना का कुछ भी लक्षण महसूस हो तो बिना देर किए अपनी जांच कराएं और इलाज कराएं। साथ ही अपना हौसला बनाए रखें, आप जल्द ही यह जंग जीत लेंगे।

ग्वालियर (मध्य प्रदेश). कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने शहर से लेकर गांव तक तबाही मचाकर रखी हुई है। हालांकि पिछले कुछ दिन से संक्रमण के मामलों में गिरावट आई है। विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी का पीक निकल चुका है, लेकिन थर्ड वेव का खतरा बना हुआ है। अगर लोगों ने जरा सी लापरवाही या गलती की तो इसका अंजाम बहुत भयानक होगा। इस दौरान कुछ लोग अपनी गलतियों से सबक ले रहे हैं तो कुछ गलतियों की गुंजाइश नहीं छोड़ रहे हैं। 'कोरोना योद्धा' की इस विशेष कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे शख्स के बारे में जिन्होंने लाख मना करने के बाद भी लापरवाही बरती और नतीजा यह हुआ कि वह कोरोना की चपेट में आ गए। लेकिन अच्छी बात यह रही कि उन्होंने अपने जुनून और हिम्मत से इस वायरस को अस्पताल जाए बिना घर में ही को हरा दिया। वह स्वयं तो जीते ही और दूसरे लोगों के लिए प्रेरणा भी बने।

Asianetnews Hindi के अरविंद रघुवंशी ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में रहने वाले 53 साल के भागवत कथा वाचक पं. भरत दुबे शास्त्री से बात की। उन्होंने बताया कि कैसे इस जानलेवा वायरस से छुटकारा पाया और खुद को घर में रहकर कैसे पूर्ण स्वस्थ किया।

मास्क नहीं लगाने से हुआ मुझे कोरोना
कोरोना से जंग जीत चुके शास्त्री जी ने बताया कि परिजनों और रिश्तेदारों ने कई दफा टोका और आगाह भी किया, लेकिन मैंने मास्क को कभी भी सही ढंग से नहीं लगाया, हमेशा उसे नाक से नीचे ही रखा। नतीजन, कोरोना वायरस ने रास्ता देख लिया और शरीर में जगह बनाना शुरू कर दी। इसलिए सभी लोगों से निवेदन करता हूं कि जो गलती मैंने की वह आप नहीं करें। क्योंकि अति आत्मविश्वास कभी-कभी मुंह के बल देता है।

पॉजिटिव सुनते ही कांपने लगा..वो पल बढ़ा भयंकर था....
'मेरा नाम पंडित भरत दुबे शास्त्री है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में रहता हूं। पेशे से पांडित्य कर्म यानी भागवत कथा वाचक हूं। परिवार में हमउम्र धर्मपत्नी और तीन बच्चे हैं, जिनकी शादी नहीं हुई है। बता दूं कि 01 मई 2021, का दिन मेरे आत्मविश्वास को बुरी तरह हिला देने वाला और परिवार को भयंकर चिंता में डालने वाला साबित हुआ। वह इसलिए क्योंकि इस दिन मेरी कोरोना की रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। में पूरी तरह से डर गया, सोचा अब मेरा और मेरे परिवार का क्या होगा। लेकिन फिर में कुछ देर शांत होकर बैठ टगया और आंख बंद करके सोचा कुछ नहीं होगा'।  

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः परिवार में 4 लोग, 3 कोरोना पॉजिटिव...54 साल पर भारी पड़े वो 14 दिन

मैंने जान बूझकर एक गलती की और कोरोना की हो गई एंट्री
भरत शास्त्री के मुताबिक 'दरअसल, मैं अपने बचपन से ही करीब एक दर्जन से अधिक योगासन करता हूं। इसलिए मुझे आजतक किसी भी तरह की खतरनाक बीमारी ने अपनी चपेट में नहीं लिया और न ही कोई शारीरिक कष्ट मेरी रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम करने का कारण बना। हालांकि, पिछले दिनों यानी 2 अप्रैल 2021, से  अचानक किन्हीं कारणों से मेरी कमर में तेज दर्द रहने लगा। इसकी वजह से मुझे  कसरत और योगा बंद करनी पड़ी, इसके बाद डॉक्टर के पास न जाकर कमर दर्द के इलाज के लिए हड्डी से जुड़े जानकारों और वैद्यों के पास जाने लगा। इसी दौरान मास्क ना लगाना और दूसरे लोगों को मास्क लगाए देखकर मेरे मन में अजीब सी घुटन होने लगी। मैं सिर्फ चौक-चौराहों पर खड़ी पुलिस को देखकर ही मास्क लगा लेता था। पुलिस के जाते ही हटा लेता। सोशल डिस्टेंसिंग तो बनाकर रखता था, लेकिन मास्क नहीं लगाने मात्र से ही कोरोना वायरस मेरे शरीर में एंट्री कर गया।

कोरोना के लक्षणों की शुरुआत
21 अप्रैल से मुझे दिन में तीन बार अचानक लूज मोशन (दस्त) की शिकायत हुई। तो मेरे दोस्तों ने बताया कि ये भी कोरोना के लक्षण होते हैं। फिर मैंने आनन फानन में कोविड सेंटर के इमरजेंसी नंबर 104 पर कॉल किया, डॉक्टर ने मेरा हाल पूछकर सिप्लेक्स TZ टैबलेट लेने की सलाह दी। एक टैबलेट खाने से ही लूज मोशन पूरी तरह ठीक हो गए। लेकिन शरीर में कमजोरी सी फील हो रही थी, कोई बीमारी भी नहीं थी। किसी काम में कोई मन नहीं लग रहा था। यानि ठीक होकर भी खुद को पूरी तरह से सेहतमंद महसूस नहीं किया। फिर मैंने तीन से चार दिन घर पर ही आराम किया तब दोबारा गले में खराश हुई। लेकिन काली मिर्च वाली चाय पीकर आराम मिल गया।'  



तब लगा कि अब कोरोना है
'26 अप्रैल सुबह उठने के बाद मुझे लगने लगा कि हो ना हो में कोरोना की चपेट में आ गया हूं। गले में खराश एवं इन्फेक्शन बढ़ गया। मुझे हल्का बुखार भी महसूस हुआ। तब मैंने तुरंत निर्णय लेकर खुद को अलग कमरे में क्वारंटाइन कर लिया और बिना कोई खास चिंता किए सामान्य रूप से अपने इलाज का प्रयास किया। मेरी बहन अंतिमा शर्मा भोपाल में हैं, उससे बात की तो उसने 5 दिन के कोर्स वाली दवाइयों का चार्ट व्हाट्सएप पर मुझे भेजा। मैंने बिना देर किए उन दवाइयों को लेना शुरू कर दिया। साथ ही मैंने यह सोचकर कि कोरोना हो या न हो, इलाज में देरी की तो यह वायरस बहुत कम समय में मुझे गिरफ्त में ले लेगा, रिपोर्ट आने से पहले ही मैंने गरम पानी, काढ़ा, हल्दी दूध, समेत दूसरे घरेलू उपाय भी करना शुरू कर दिए। '

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने यूं जीती जंगः 3 सबक से देश के पहले जर्नलिस्ट ने वायरस की बजा डाली बैंड ...
 
हॉस्पिटल न जाने की ठानी
जब कोरोना के लक्षण दिखने लगे तो मन में ख्याल अस्पताल जाने का भी आया, लेकिन वहां के हालत देखकर और मेरी आर्थिक स्थिति को देखते हुए डर भी लगा। क्योंकि मैं टीवी पर न्यूज़ देख रहा था कि कैसे अस्पताल वाले लोगों की मजबूरी का फायदा उठाकर उनको लूट रहे हैं। उस समय ग्वालियर शहर में किसी भी अस्पताल में बेड आसानी से नहीं मिल रहे थे और ऊपर से अस्पतालों में ऑक्सीजन समेत तमाम दवाओं  की किल्लत चल रही थी। इसी बीच 28 अप्रैल को मैंने RT-PCR टेस्ट करवाया, जिसकी रिपोर्ट तीन दिन बाद 1 मई की सुबह 6 बजे मोबाइल पर मैसेज द्वारा पता चली। अब में समझ गया कि अब पूर्ण रूप से कोरोना पॉजिटिव हूं।'

डॉक्टर ने कहा दवा के साथ अपना हौसला मत गंवाना
'जिला प्रशासन की टीम ने मेरे घर पर 10  दिन की दवाएं भिजवाई और डॉक्टर मुकेश अहिरवार ने कॉल भी किया। उन्होंने मुझे खाने-पीने समेत कोरोना में बरती जाने वाली सावधानियों के लिए अलर्ट किया। डॉक्टर ने मेरा हौसला बढ़ाया और कहा आप जल्द ही ठीक हो जाओगे, बस हिम्मत मत हारना और दवा खाते रहना। मेरा फोन नंबर सेव कर लो, कोई परेशानी हो तो बात कर लेना।'

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः 20 Kg वजन कम हुआ फिर भी 60 साल के बुजुर्ग से हार गया वायरस

पहले से ज्यादा योगा और प्राणायाम किया...
मैं अपने जिदंगी में शुरू से ही मस्त मौला टाइप का रहा हूं। अपनी मर्जी से चलना और किसी भी विषय पर ज्यादा चिंता नहीं करना। लेकिन अगर परिवार में किसी को जरा सी परेशानी आ जाए तो टेंशन होने लगती है। इसलिए आधा प्रतिशत भी कोई चिंता या घबराहट किसी दिन भी नहीं हुई। मैंने कई पुस्तकों में पढ़ा था कि हर बीमारी का इलाज व्यक्ति के हाथ में होता है। डॉक्टर ने गार्गल और भाप लेने की सलाह दी थी जो मैं रोजाना करने लगा। साथ ही सुबह-शाम योगा और प्राणायाम करना नहीं छोड़ा। बल्कि समय मिलने लगा तो और ज्यादा करने लगा। साथ ही बताई गईं सभी दवा जिंक-मल्टीविटामिन की गोलियां भी खाता रहा। महज चार दिन में ही अच्छा फील होने लगा।

पत्नी ने एक डॉक्टर बनकर दिया हर पल साथ
शास्त्री जी ने बताया कि 'मेरी पत्नी ने एक डॉक्टर की तरह मेरा साथ दिया। कई बार तो मुझे ऐसा लगा कि में किसी होटल में ठहरा हूं, जो घंटी बजाते सभी लोग कमरे के बाहर सब कुछ हाजिर हो जाते थे।  जब कभी मैं उदास होता तो वह मुझसे फोन पर बात करने लगती थी। क्योंकि में तो घर के दूसरे कमरे में अकेला था। वह समय-समय पर नाश्ता और प्रोटीन युक्त भोजन के साथ गुनगुना पानी देती थी। परिवार के अलावा दूसरे रिश्तेदारों और सगे संबंधियों और दोस्तों ने मेरे हौसले को गिरने नहीं दिया। मुझे था कोरोना, मगर किसी ने महसूस ही नहीं होने दिया कि मैं इतनी बड़ी बीमारी के खिलाफ जंग लड़ रहा हूं। मैं जिंदगीभर उन लोगों का आभारी रहूंगा। जिनकी मदद और विचार से मैं मौत के मुंह से निकलकर बाहर आ गया। अब मैंने सोच लिया है कि मैं भी लोगों के लिए मनोबल बढ़ाने की कोशिश करूंगा।

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः डरा-सहमा लेकिन जीता क्योंकि मुझे मिला डबल पॉजिटिव वाला डोज



कोरोना के सभी घरेलू उपाय फॉलो करके हराया
'मैंने सोशल मीडिया पर (वॉट्सऐप, यूट्यूब आदि) पर कोरोना काल में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए गोमूत्र, नीम, सरसों के तेल के फायदे सुने थे, तो एलोपैथिक दवाइयों के साथ-साथ मैंने  इन्हीं सब चीजों का सेवन शुरू किया। मैंने पॉजिटिव आने के बाद से ही देशी गाय का 20 मिली गोमूत्र खाली पेट लेता था, जिससे गले की खराश तो आश्चर्यजनक ढंग से लुप्त हो गई थी। अनुलोम-विलोम एवं कपालभाति प्राणायाम आधा घंटा सुबह-शाम करता हूं ,जिससे ऑक्सीजन लेवल (Spo2) कभी 98 से  कम नहीं हुआ। नींबू का रस गरम पानी में डालकर पीने से भी आश्चर्यजनक ढंग लाभ मिला और नाक में सरसों का तेल भी लगाया। मतलब मैंने कोरोना के सभी घरेलू उपाय फॉलो किए।'

कोरोना पॉजिटिव लोगों ने कैसे जीती जंगः दवाई के साथ आत्मबल बढ़ाने-वायरस को हराने किए 2 और काम

संदेश: यदि कोरोना का कुछ भी लक्षण महसूस हो तो बिना देर किए अपनी जांच कराएं...
कोविड पॉजिटिव होने से निगेटिव होने के सफर का सारांश यह है कि अपने शरीर में रोगों के प्रति हर एक शख्स को सजगता की जरूरत है। यदि कोरोना को का कुछ भी लक्षण महसूस हो तो बिना देर किए दवा के साथ सभी उपायों से वायरस पर आक्रमण करने वाला कभी धोखा नहीं खा सकता। वह स्वयं भी जीतेगा और दूसरे लोगों के लिए प्रेरणादायक भी बनेगा। इस तरह से कोरोना हारेगा और हिंदुस्तान जीतेगा-मानवता जीतेगी।


Asianet News का विनम्र अनुरोधः आईए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोडेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona