सार

इस बच्ची के ये तीखे तेवरों की अब हर कोई सराहना कर रहा है। ये बच्ची झाबुआ के पीजी कॉलेज में फर्स्ट ईयर में पढ़ती है और नाम है- निर्मला। दरअसल, बुधवार को कलेक्टर कार्यालय में पीजी कॉलेज के छात्र- छात्राएं एनएसयूआई की अगुवाई में अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर आए थे। वे यहां कलेक्टर सोमेश मिश्रा को ज्ञापन देना चाहते थे। मगर, कलेक्टर वहां ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे और स्टूडेंट्स को बैरीकेडिंग लगाकर रोक दिया गया।

झाबुआ। मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के झाबुआ (Jhabua) जिले की एक 13 साल की लड़की का वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। ये लड़की कलेक्टर कार्यालय (Collector Office) के बाहर अपनी स्टूडेंट साथियों के साथ झंडे लिए खड़ी है। आगे बैरिकेडिंग लगाकर इन स्टूडेंट्स को रोका गया है। पुलिस किसी को आगे नहीं जाने दे रही है। इस बीच, ये लड़की चिल्ला-चिल्लाकर कहती है- हमारी मांगें क्यों नहीं सुनते अफसर... नहीं तो फिर हमको कलेक्टर बना दो।  हम बनने के लिए तैयार हैं। सबकी मांगें पूरी कर देंगे सर। अगर आप नहीं कर पा रहे हैं तो....। लड़की आगे पूछती है- किसके लिए बनी है ये सरकार। जैसे कि हम भीख मांगने के लिए यहां आए हैं। हमारे गरीब के लिए कुछ तो करिए सर। हम इतने दूर से आते हैं आदिवासी लोग.. बसों में किराया खर्च कर यहां तक आते हैं। 

इस बच्ची के ये तीखे तेवरों की अब हर कोई सराहना कर रहा है। ये बच्ची झाबुआ के पीजी कॉलेज में फर्स्ट ईयर में पढ़ती है और नाम है- निर्मला। दरअसल, बुधवार को कलेक्टर कार्यालय में पीजी कॉलेज के छात्र- छात्राएं एनएसयूआई की अगुवाई में अपनी अलग-अलग समस्याओं को लेकर आए थे। वे यहां कलेक्टर सोमेश मिश्रा को ज्ञापन देना चाहते थे। मगर, कलेक्टर वहां ज्ञापन लेने नहीं पहुंचे और स्टूडेंट्स को बैरीकेडिंग लगाकर रोक दिया गया। इस पर स्टूडेंट्स का सब्र टूट गया और उन्होंने हंगामा कर दिया। छात्राओं ने भी नारेबाजी की। धूप में खड़ी निर्मला ने कहा कि छात्र अपनी समस्याएं लेकर दूर-दूर से आए हैं। कलेक्टर सर के पास उनसे मिलने का समय नहीं है। आप धूप में खड़ा रहकर देखो, तब पता चलेगी हमारी परेशानी। निर्मला आदिवासी किसान परिवार से ताल्लुक रखती हैं और 7 भाई-बहन हैं। उसका सपना आर्मी में जाने का है।

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स्टूडेंट की ये मांगें थीं

  • कोरोनाकाल में कक्षाएं नहीं लगीं।‎ अब पढ़ाई शुरू हुई और कोर्स पूरा नहीं‎ हुआ। ऐसे में परीक्षाओं को ओपन बुक‎ पद्धति से ही कराया जाए।‎
  • छात्र-छात्राओं को मिलने वाली‎ सरकारी योजनाओं जैसे छात्रवृत्ति और‎ आवास राशि का भुगतान हो।
  • गरीब‎‎ बच्चों के लिए शहर में रहकर पढ़ाई‎ करना मुश्किल है। बस में भी छूट‎ मिलना चाहिए।‎
  • जिले में गरीब आदिवासी रहते हैं।‎ ऐसे में यहां मेडिकल कॉलेज खोला‎ जाना जरूरी है।
  • अमीर अपना इलाज‎ बाहर जाकर करा लेते हैं, लेकिन आदिवासियों के लिए मेडिकल कॉलेज‎ होना चाहिए।‎
  • स्कूल में शिक्षकों की कमी को पूरा‎ किया जाना चाहिए। अंग्रेजी, गणित‎ और विज्ञान के शिक्षक कई स्कूल में‎ नहीं हैं।‎
  • पीजी कॉलेज झाबुआ में न बैठक‎ व्यवस्था है, न भूगोल की लैब।‎
  • कन्या‎ महाविद्यालय में भी समस्याओं का‎ अंबार है। यहां स्टाफ नहीं है। ये शहर‎ से दूर बनाया गया, जहां तक पहुंचने‎ में छात्राओं को परेशानी आती है।

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