सार
संवैधानिक प्रावधान है कि कोई भी मंत्री सदन का सदस्य बने बिना 6 महीने से ज्यादा समय तक मंत्रीपद पर नहीं रह सकता है। इसी प्रक्रिया के चलते शिवराज सरकार के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत को इस्तीफ़ा देना पड़ा। अब दोनों मंत्री उपचुनाव के लिए मैदान में हैं।
भोपाल. मध्य प्रदेश के उपचुनाव से पहले ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी और सीएम शिवराज सिंह चौहान की सरकार के दो मंत्री तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। मुख्यमंत्री ने इस्तीफे को स्वीकार करके इसे राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को भेज दिया है।
इस वजह से दोनों मंत्रियों को देना पड़ा इस्तीफा
दरअसल, ये दोनों मंत्री फिलहाल विधायक नहीं हैं। उनको मंत्री बने 6 महीने पूरे होने जा रहे थे। संवैधानिक प्रावधान है कि कोई भी मंत्री सदन का सदस्य बने बिना 6 महीने से ज्यादा समय तक मंत्रीपद पर नहीं रह सकता। इसी प्रक्रिया के चलते दोनों नेताओं को इस्तीफ़ा देना पड़ा। यदि चुनाव पहले हो जाते तो इन्हें इस्तीफा नहीं देना पड़ता।
यह है संवैधानिक नियम
सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति लोकसभा और विधानसभा का चुनाव जीते बगैर मंत्री बन जाता है तो वह 6 माह तक ही पद पर बना रह सकता है। लेकिन किसी भी मंत्रिपरिषद के सदस्य को 6 माह में निर्वाचित सदस्य होना जरूरी है।
सिंधिया के बेहद करीबी हैं दोनों नेता
बता दें कि दोनों नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। इस कारण कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। शिवराज सिंह चौहान ने 23 मार्च को चौथी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इसके बाद जिन पांच मंत्रियों को शामिल किया गया था, इनमें तुलसी सिलावट और गोविंद सिंह राजपूत भी थे। फिलहाल दोनों नेता उपचुनाव लड़ रहे हैं।
चुनाव के बाद होगा किस्मत का फैसला
बता दें कि दोनों नेता चुनावी मैदान में हैं। तुलसीराम सिलावट सांवेर विधानसभा से उपचुनाव लड़ रहे हैं, जिनका मुकाबला कांग्रेस के प्रेमचंद गुड्डू से है। वहीं गोविंद राजपूत सुरखी विधानसभा से मैदान में हैं, जिनके सामने कांगेस ने महिला प्रत्याशी पारुल साहू को उतारा है।
छिन जाएंगी ये सुविधाएं
इस्तीफा देने के बाद सरकार की तरफ से देने वाली सभी सुविधाएं दोनों मंत्रियों से छिन जाएंगी। जैसे मंत्री को मिलने वाले 8 तरह के भत्ते और मानदेय, सरकारी आवास, सरकारी दफ्तर और सरकारी स्टाफ। साथ ही कार और डीजल/पेट्रोल का मिलने वाला भत्ता, मकान का करीब 15 हजार रुपए किराया।