सार

मानवता की अनोखी मिसाल पेश करने वाले यह शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया हैं। जिन्होंने अपने स्कूल में बच्चों को बेहतर शिक्षा और बेहतर सुविधाओं के लिए अपने जीपीएफ फंड से मिलने वाली 40 लाख की राशि को दान करने ऐलान कर दिया। उनका कहना है कि उपहार पाकर बच्चों के चेहरे की खुशी से उन्हें प्रेरणा मिलती थी। इसलिए मुझे इन बच्चों की खुशी में ही ईश्वर दिखते हैं। 

पन्ना (मध्य प्रदेश). आज के समय में हर कोई अपने बुढ़ापे के लिए पैसा जुटाकर पास रखता है। ताकि उसकी आखिरी  जिंदगी भी आराम से कट सके। लेकिन मध्य प्रदेश के पन्ना जिले से एक शिक्षक ने अपने रिटायरमेंट के दिन ऐसी मिसाल पेश की है जिसकी तारीफ हर कोई कर रहा है। क्योंकि शिक्षक ने रिटायर होने के बाद अपनी जीवनभर की जमापूंजी 40 लाख रुपए की राशि गरीब बच्चों के लिए दान कर दी। ताकि वह आसानी से शिक्षा ग्रहण कर सकें।

गरीब बच्चों की पढ़ाई के लिए दान की जीवनभर की कमाई
दरअसल, मानवता की अनोखी मिसाल पेश करने वाले यह शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया हैं। जो पिछले कई सालों से जिले के संकुल केंद्र रक्सेहा की प्राथमिक शाला खदिंया के सहायक शिक्षक पद अपनी सेवाएं दे रहे थे। हालांकि अब वह अपनी नौकरी से रिटयर हो गए हैं। लेकिन 31 जनवरी को जब वह रिटायर तो उन्होंने अपने स्कूल में  बच्चों को बेहतर शिक्षा और बेहतर सुविधाओं के लिए अपने जीपीएफ फंड से मिलने वाली सारी राशि को दान करने ऐलान कर दिया। 

अब मैं अपनी जमापूंजी का एक रुपया अपने लिए खर्च नहीं करूंगा
विजय कुमार चंसोरिया ने कहा कि वह उनको मिलने वाली पीएफ और ग्रेच्युटी की राशि किसी भी हालत में एक भी रुपया अपने लिए इस्तेमाल नहीं करेंगे। यह सारा पैसा गरीब बच्चों की पढ़ाई के ऊपर ही खर्च होगा। जिससे उनका भविष्य उज्जवल होगा। अब मेरी दान की इस राशि को संकुल केंद्र के अधिकारी अपने विवेकानुसार इस्तेमाल कर सकते हैं। जिसने भी उनका यह फैसला सुना वह तारीफ करने से नहीं रहा। 

परिवार ने कहा-हमें उनके फैसले पर गर्व है...
बता दें कि शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया के इस शानदार फैसले में उनका पूरा परिवार शामिल है। उनकी सहमति के बाद ही उन्होंने यह ऐलान किया है। परिवार के लोगों का कहना है कि हमें उनके फैसले पर गर्व है। वहीं विजय कुमार चंसोरिया ने कहा कि मेरे बेटे-बेटी दामाद ईश्वर की कृपा से नौकरी में हैं। बेटी की शादी हो चुकी है। जैसे ईश्वर ने मेरे परिवार की मदद की अब मेरा भी पर्ज बनता है कि दूसरों की मदद करूं। समाज के सक्षम लोगों से भी समाज हित में कार्य करने का अनुरोध करता हूं। 

गरीब बच्चों की खुशी में उन्हें ईश्वर दिखते हैं
शिक्षक विजय कुमार चंसोरिया का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ। दूध बेचा और रिक्शा चलाकर उन्होंने अपना गुजारा करते हुए पढ़ाई की।  1983 में उनकी शिक्षक की नौकरी लगी। वह इस दौरान रक्सेहा में सहायक शिक्षक के पद पर पदस्थ हुए। वह करीब 39 साल तक गरीब बच्चों के बीच रहे और उन्हें हमेशा ही अपनी सैलरी से उपहार और कपड़े देते रहे। उनका कहना है कि उपहार पाकर बच्चों के चेहरे की खुशी से उन्हें प्रेरणा मिलती थी। इसलिए मुझे इन बच्चों की खुशी में ही ईश्वर दिखते हैं।