सार
बुधवार को हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने जबलपुर हाईकोर्ट को दोबारा से पूरे मामले पर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक ही याचिका को दो न्यायालयों में नहीं सुना जा सकता, जिसकी वजह से अब सारी सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में होगी।
भोपाल : मध्यप्रदेश में पंचायत चुनाव (MP Panchayat Election 2021) मामले में सुप्रीम कोर्ट (supreme court) ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए याचिकाकर्ता को हाईकोर्ट जाने को कहा है। बुधवार को हुई सुनवाई में सर्वोच्च न्यायालय ने जबलपुर हाईकोर्ट को दोबारा से पूरे मामले पर सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि एक ही याचिका को दो न्यायालयों में नहीं सुना जा सकता, जिसकी वजह से अब सारी सुनवाई जबलपुर हाईकोर्ट में होगी। बता दें कि कांग्रेस (Congress) के सैयद जाफर और जया ठाकुर ने राज्य सरकार द्वारा साल 2019 के परिसीमन को निरस्त करके 2014 के आरक्षण से चुनाव कराने पर आपत्ति उठाई। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, पर राहत नहीं मिली। इस पर उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से उन्हें हाईकोर्ट जाने को कहा है।
अब 16 दिसंबर को होगी सुनवाई
बता देंकि सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस नेता सैयद जाफर और जया ठाकुर की तरफ से पंचायत चुनाव को लेकर दायर की रिट पिटीशन याचिका पर सुनवाई की। दोनों ने मध्यप्रदेश पंचायत चुनाव में सरकार द्वारा रोटेशन के आधार पर आरक्षण न करने के खिलाफ रिट पिटीशन दायर की थी। इस याचिका की पैरवी अधिवक्ता वरुण ठाकुर ने की थी। बता दें कि शिवराज सरकार ने 2014 के आरक्षण के आधार पर पंचायत चुनाव कराने का फैसला लिया है, जिसके विरोध में कांग्रेस हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई थी। पहले हाईकोर्ट में जब सुनवाई हुई थी, तब कोर्ट ने पंचायत चुनाव पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जिसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने भी रोक लगाने से इनकार कर दिया है।
असमंजस की स्थिति में कांग्रेस
दरअसल पंचायत चुनाव को लेकर कांग्रेस भी असमंजस की स्थिति में है। एक ओर उसने चुनाव प्रक्रिया का विरोध करने से इनकार कर दिया है, दूसरी ओर कांग्रेस के ही नेताओं ने इस प्रक्रिया के खिलाफ कोर्ट में अलग अलग याचिकाएं दायर कर रखी हैं। कांग्रेस द्वारा पूर्व मंत्री कमलेश्वर पटेल के अध्यक्षता में एक 5 सदस्यीय समन्वय समिति का गठन किया गया है, जो इस पूरी प्रक्रिया पर नजर रख रही है। इसमें पूर्व विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति, डॉक्टर गोविंद सिंह, सज्जन वर्मा, झूमा सोलंकी और चुनाव कार्य के प्रभारी जेपी धनोपिया सदस्य हैं।
शिवराज सरकार ने पलटा था फैसला
चौथी बार सत्ता में आते ही शिवराज सरकार ने कमलनाथ सरकार का एक महत्वपूर्ण फैसला पलटा था, सरकार ने उन पंचायतों का परिसीमन निरस्त कर दिया था, जहां पिछले 1 साल से चुनाव नहीं हुए थे। सरकार ने प्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज संशोधन अध्यादेश 2021 लागू कर दिया था। पंचायत अधिनियम में किए गए इसी संशोधन को कोर्ट में चुनौती दी गई थी। जिसमें बताया गया था कि ये संशोधन संविधान की धारा 243 के खिलाफ है। इसे लेकर एक याचिका जबलपुर हाईकोर्ट में लगाई गई थी जबकि मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता सैयद जाफर और जया ठाकुर ने चुनाव में सरकार द्वारा रोटेशन के आधार पर आरक्षण न करने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन दायर की गई थी।
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