सार

 मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। जहां दो बच्चों ने फ्री फायर गेम के चलते अपने ही घर में चोरियां कर लीं। मां का सोने का हार और पिता की गोल्ड चुरा डाली। दोनों को गेम के दलदल में ऐसे पड़े कि वह रिचार्ज कराने के लिए अपने-अपने घरों में आए दिन चोरियां करने लगे थे।

छतरपुर (मध्य प्रदेश). ऑनलाइन गेम का भूत बच्चों में इस कदर बढ़ रहा है कि वह इसकी लत में कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले से एक ऐसी ही हैरान कर देने वाली खबर सामने आई है। जहां दो बच्चों ने फ्री फायर गेम के चलते अपने ही घर में चोरियां कर लीं। मां का सोने का हार और पिता की गोल्ड चुरा डाली। 

ऑनलाइन क्लास के लिए माता-पिता ने दिया था मोबाइल
दरअसल, यह चौंकाने वाली खबर छतरपुर जिले के बुंदेलखंड गैरेज मुहल्ले की है। जहां 16 और 12 साल के दो बच्चों को ऑनलाइन गेम की बुरी लत लगी हुई थी। दोनों आपस में दोस्त थे, इसिलए एक साथ गेम खेलते थे। दोनों को माता-पिता ने  कोरोना काल के दौरान ऑनलाइन क्लास अटैंड करने के लिए मोबाइल दिलाया था। लेकिन वो इसका गलत इस्तेमाल करने लगे थे। क्लाज के बहाने वो  फ्री फायर गेम खेलने लग जाते थे।

कई दिन से बच्चे अपने घर में कर रहे थे चोरी
बता दें कि दोनों को गेम के दलदल में ऐसे पड़े कि वह रिचार्ज कराने के लिए अपने-अपने घरों में आए दिन चोरियां करने लगे थे। हालांकि इस बात से उनके परिजन अनजान थे, उनको लगता था कि कोई चोर ही उनके घर में चोरियां कर रहा है। जिसके लिए उऩ्होंने  पुलिस में कई बार शिकायत भी दर्ज करवाई। 

गहने बेचने से पहले पकड़ी गई चोरी
पुलिस ने जब आसपास के लोगो और बच्चों से पूछताछ की इन बच्चों की करतूत का खुलासा हो गया। पता चल गया कि यह चोरी कोई और ने नहीं, बल्कि उनके ही बच्चों ने की थी। जहां 12 साल के लड़के ने अपने घर से मां का 4 तोले का सोने का हार और पापा की चेन चुराई थी। जांच के मुताबिक, दोनों अब तक 20 हजार नगदी भी चुरा चुके हैं। हालांकि यह अच्छी बात हो कि वह गहनों को बेचने ही वाले थे, लेकिन इससे पहले उनकी चोरी पकड़ी गई।

गेम की लत में 11 साल के बच्चे ने लगा ली थी फांसी
बता दें कि पिछले महीने 13 जनवरी को राजधानी भोपाल से ऑनलाइन गेम की लत के चलते ही 11 साल के बच्चे ने फांसी अपनी जान दे दी थी। इस बच्चे का नाम सूर्यांश था, जो शंकराचार्य नगर बजरिया में रहता था। उसके पिता  योगेश ओझा ऑप्टिकल की दुकान चलाते हैं। सूर्यांश सेंट जेवियर स्कूल अवधपुरी में 5वीं का स्टूडेंट था। जिस वक्त उसने फांसी लगाई थी, उस दौरान घर में कोई नहीं था। 

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