सार
नरसिंहपुर के चीचली गांव में दलित महिला के साथ गैंगरेप के बाद रिपोर्ट नहीं लिखे जाने के मामले में सीएम शिवराज ने सख्त कार्रवाई की है। सीएम के निर्देश के बाद चौकी प्रभारी मिश्रीलाल जिसने एफआईआर नहीं लिखी उसे गिरफ्तार कर लिया गया है।
भोपाल. नरसिंहपुर के चीचली गांव में दलित महिला के साथ गैंगरेप के बाद रिपोर्ट नहीं लिखे जाने के मामले में सीएम शिवराज ने सख्त कार्रवाई की है। सीएम के निर्देश के बाद चौकी प्रभारी मिश्रीलाल जिसने एफआईआर नहीं लिखी उसे गिरफ्तार कर लिया गया है। इस मामले के तीन आरोपियों अरविंद,मोतीलाल और अनिल राय की गिरफ्तारी भी कर ली गयी है। इसके साथ ही तत्काल प्रभाव से एडिशनल एसपी, एसडीओपी को हटा दिया गया है।
नरसिंहपुर के चीचली गांव में गैगरेप पीड़ित एक दलित महिला ने खुदकुशी कर ली थी। पीड़ित के पति का आरोप था कि वो आरोपियों के खिलाफ थाने के चक्कर लगाते रहे लेकिन उनकी FIR नहीं लिखी गयी। मामला उठा तो राजधानी भोपाल तक पहुंचा. इस पर सीएम शिवराज ने खुद ध्यान दिया और जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए। सीएम की नाराज़गी और सख़्ती के बाद अब गैंगरेप के दो आरोपियों को गिरफ्तार कर 376 D और 306 धारा के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। सीएम ने कहा है कि प्रदेश में रेप के आरोपियों को बख्शा नहीं जाएगा।
जनता का उत्पीड़न बर्दाश्त नहीं
सीएम शिवराज ने प्रदेश में लॉ एंड ऑर्डर की स्थिति की समीक्षा के लिए एक अहम बैठक भी की। इसमें मुख्यमंत्री ने गृह विभाग को निर्देश दिए हैं कि प्रदेश में किसी भी प्रकार के माफिया और जनता के साथ धोखाधड़ी करने वाली चिटफंड कंपनियों के विरुद्ध सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए। किसी को भी बख्शा न जाए। बदमाशों के मन में खौफ होना चाहिए। उन्होंने सख्त और साफ लहजे में कहा है कि प्रदेश में कानून एवं शांति व्यवस्था सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है, इस संबंध में पूरी मुस्तैदी से काम हो।
विपक्ष ने उठाए सवाल
प्रदेश में बिगड़ी कानून व्यवस्था की स्थिति और रेप की वारदातों पर पीसीसी चीफ कमल नाथ ने सरकार को आड़े हाथों लिया है। उन्होंने ट्वीट किया है. इसमें लिखा है कि भाजपा शासित राज्यों में बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ नारो की ये है वास्तविकता ? यूपी के साथ- साथ मध्यप्रदेश में भी बहन- बेटियों के साथ दरिंदगी-दुष्कर्म की घटनाएँ निरंतर घटित हो रही है। खरगोन , सतना , जबलपुर के बाद अब नरसिंहपुर के चिचली थाना के अंतर्गत एक गाँव में एक दलित महिला से गैंगरेप की घटना होने पर पीड़िता की कोई सुनवाई नहीं हुई। उल्टा पीड़िता के परिवार को ही प्रताड़ित करने की बात सामने आयी है। मजबूरीवश पीड़िता ने अपनी जान दे दी। ये कैसी क़ानून व्यवस्था ? दोषियों पर कार्र्वाई क्यों नहीं ? ज़िम्मेदार इन घटनाओं पर मौन क्यों ?विपक्ष में रहते हुए ऐसी घटनाओं पर धरने देने वाले आज कहां ग़ायब हैं ?