सार
मासूम बच्चे 6 महीने से एक साल तक के हैं। इन बच्चों को सांस लेने में परेशानी हो रही थी। इसलिए परिजन उन्हें ओझा के पास ले गए। उसने घरवालों के सामने ही गरम सरियों से बच्चों के पेट में जगह-जगह दागा। जब बच्चों की तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां बच्चों का इलाज चल रहा है। डॉक्टर्स ने निमोनिया बताया है।
राजगढ़। मध्य प्रदेश के राजगढ़ जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया। यहां पिछले 10 दिनों में 3 ऐसे मासूम बच्चे इलाज के लिए जिला अस्पताल में भर्ती होने पहुंचे, जिनके शरीर पर गर्म सरिये से दागने के निशान हैं। पहले इनके मां-बाप इन्हें बाबा-ओझाओं के पास ले गए, जिन्होंने इलाज के नाम पर बच्चों के शरीर को जगह-जगह दाग दिया। बाद में परिजन उन्हें लेकर राजगढ़ जिला अस्पताल पहुंचे। डॉक्टर्स का कहना है कि निमोनिया, वायरल से बड़ी संख्या में बच्चे बीमार हुए हैं।
दरअसल, ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग अंधविश्वास पर भरोसा करते हैं। वे डॉक्टरों की बजाय झाड़-फूंक का सहारा लेते हैं। जब हालात बिगड़ जाते हैं तो फिर अस्पताल भागते हैं। डॉक्टर्स के अनुसार, जिले में इन दिनों बड़ी संख्या में बच्चों को निमोनिया और वायरल हो रहा है। इसके कारण बच्चों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है। जिला अस्पताल के शिशु वार्ड में अभी 65 बच्चे भर्ती हैं, इनमें 5 बच्चे ऑक्सीजन सपोर्ट पर हैं। कई को निमोनिया है।
बच्चे को सांस लेने में दिक्कत थी, ओझा ने दाग दिया
जिला अस्पताल में मोयाखेड़ा गांव की रहने वाली सुनीता ने बताया कि उसका 6 महीने का बेटा नयन बीमार हो गया था। उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी। बच्चे के दादा उसे गांव के ही ओझा के पास लेकए गए। उसने बच्चे के शरीर पर गर्म सरिए से निशान बनाए और कहा कि अब वह ठीक हो जाएगा। बेटे को निमोनिया हो गया था। उसकी पसलियां चल रही थीं। चार दिन बाद भी बच्चे की तबीयत नहीं सुधरी और दर्द बढ़ गया। हालत बिगड़ती देख अस्पताल आ गई। डॉक्टर कहते हैं कि पिछले 10 दिनों में तीन बच्चे ऐसे आए हैं, जिनके शरीर पर सरिए से दागे जाने के निशान मिले हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी भ्रांतियां हैं कि दागे जाने से निमोनिया ठीक हो जाता है। उन्हें समझना चाहिए कि बच्चा पहले से ही निमोनिया से परेशान है, ऐसे में उसे दाग कर उसकी तकलीफ को और बढ़ाया जा रहा है। दागने से निमोनिया ठीक नहीं होगा। बल्कि दूसरी बीमारी होने का भी खतरा बढ़ जाता है। जागरूकता के अभाव में भी लोग ऐसा कर रहे हैं।- आरएस माथुर, शिशु रोग विशेषज्ञ, जिला अस्पताल
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