सार

दिल दहलाने वाली यह तस्वीर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की है। यहां 30 वर्षीय एक शख्स बैलेंस बिगड़ने पर छत से नीचे गिर पड़ा था। नीचे गिरने पर वहां लगा एक लोहे का सरिया उसकी गर्दन को भेदकर आर-पार हो गया। फिर कैसे हुआ चमत्कार, पढ़िए पूरी खबर...

भोपाल. कहते हैं कि जिसकी जितनी सांसें लिखी हैं, उतनी वो जीएगा। इसे डॉक्टरों की सफलता कहेंगे और चमत्कार भी कि इतने बड़े हादसे के बावजूद यह शख्स आज जिंदा है। दिल दहलाने वाली यह तस्वीर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले की है। यहां 30 वर्षीय एक शख्स बैलेंस बिगड़ने पर छत से नीचे गिर पड़ा था। नीचे गिरने पर वहां लगा एक लोहे का सरिया उसकी गर्दन को भेदकर आर-पार हो गया। गनीमत रही कि डॉक्टरों ने ऑपरेशन करके उसकी जान बचा ली। पढ़िए हुआ क्या था...

2 घंटे चले ऑपरेशन के बाद सरिया बाहर निकाला गया
चौंकाने वाला यह मामला राजधानी से सटे रायसने जिले के बाड़ी बरेली का है। 30 वर्षीय यह शख्स बैलेंस बिगड़ने पर छत से नीचे गिर पड़ा था। छत से गिरने पर उसकी गर्दन में 4 फीट लंबा सरिया धंस गया। सरिया गर्दन से होता हुआ मुंह के आरपार हो गया था। यह देखकर वहां मौजूद लोगों के होश उड़ गए। हालांकि शख्स ने हिम्मत नहीं खोई। उसे फौरन एम्बुलेंस के जरिये भोपाल स्थित निरामय हॉस्पिटल लाया गया। यह मामला डॉक्टरों के लिए भी एक चुनौती था। ऑपरेशन बड़ा नहीं था, लेकिन खतरा अवश्य था। डॉक्टरों ने बिना किसी देरी के शख्स को ऑपरेशन थियेटर में पहुंचा। करीब 2 घंटे चले ऑपरेशन के बाद शख्स के गले से सरिया निकाल दिया गया। इस तरह उसकी जान बच गई।

डॉक्टरों ने भी शख्स के साहस को सराहा
निरामय हॉस्पिटल के डॉक्टर अखिलेश मोहन लहरी के मुताबिक, बाड़ी बरेली निवासी रंजीत 17 जुलाई की रात उनके हॉस्पिटल में गंभीर घायल अवस्था में लाया गया था। वो नीचे लगे लोहे के सरिये पर गिरा था। सरिया मुंह में दाहिनी तरफ निकल आया था। देर रात इमरजेंसी में सर्जरी करके सरिये को निकाला गया। उसके मुंह में आई गंभीर चोटों का ट्रीटमेंट किया गया। डॉक्टर लहरी ने शख्स के साहस को सराहा। इस ऑपरेशन में निरामय अस्पताल के सर्जिकल डिपार्टमेंट के डॉ. अखिलेश मोहन लहरी का डॉ. दीपा विश्वकर्मा और डॉ. सुनील रघुवंशी ने सहयोग किया।इस जटिल ऑपरेशन के बाद शख्स अस्पताल के ICU में भती है। अब उसकी हालत ठीक है। गनीमत रही कि सरिया यहां-वहां नहीं हुआ, वर्ना आंख या अन्य जगह धंसता, तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी।

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