सार
महाराष्ट्र में हाल में हुए चुनावों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। भाजपा को इन चुनावों में 105 सीटें मिलीं जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की। प्रदेश की 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 145 विधायकों की जरूरत है।
मुंबई: महाराष्ट्र में सत्ता में साझेदारी को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच कोई सहमति नहीं बनती दिख रही। ऐसे में कांग्रेस के एक नेता ने शनिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि अगर शिवसेना अगली सरकार बनाने के लिए प्रस्ताव लेकर आती है तो उसका समर्थन किया जाए। शिवसेना ने यह पत्र लिखने वाले महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेस नेता हुसैन दलवई के रुख का स्वागत करने में कोई वक्त नहीं लगाया। दलवई ने याद दिलाया कि शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल और बाद में प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था।
शिवसेना और भाजपा अलग-अलग: दलवई
दलवई ने बताया, “शिवसेना और भाजपा अलग हैं। शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिए प्रतिभा पाटिल और प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था। शिवसेना की राजनीति भाजपा की अतिवादी रुख के विपरीत बन गई है। भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए हमें अवश्य ही शिवसेना का समर्थन करना चाहिए।” उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग भाजपा के बजाय शिवसेना को तरजीह देगा। शिवसेना को समर्थन के मुद्दे पर कांग्रेस बंटी हुई दिख रही है। भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चा (एनडीए) की शिवसेना संस्थापक सदस्य रही है। अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे, सुशील कुमार शिंदे और संजय निरुपम जैसे नेता शिवसेना का समर्थन किए जाने के विरोध में हैं।
दलवई की समाजवादी विचारधारा: संजय राउत
दलवई के पत्र के बारे में पूछे जाने पर शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने कहा, “दलवई समाजवादी विचारधारा से आते हैं। वह प्रगतिशील मुसलमानों के परिवार से आते हैं। हम उनके रुख का स्वागत करते हैं। लेकिन, शिवसेना ने एक गठबंधन में यह चुनाव लड़ा था और हम अंत तक गठबंधन धर्म का पालन करेंगे।” महाराष्ट्र में हाल में हुए चुनावों में भाजपा को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है। भाजपा को इन चुनावों में 105 सीटें मिलीं जबकि शिवसेना ने 56 सीटों पर जीत हासिल की।
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)