सार

बेटियां हो, तो ऐसी! भावुक करने वालीं ये दो कहानियां बेटियों के साहस से जुड़ी हैं। एक कहानी महाराष्ट्र के पुणे की है, जबकि दूसरी छत्तीसगढ़ के धमतरी की।

पुणे/धमतरी. ये दो कहानियां बेटियों के साहस से जुड़ी हैं। एक ने अपनी मां को खोया, तो दूसरी ने पिता को। घर में दु:खभरे माहौल के बाद भी दोनों ने अपने मां-बाप की इच्छाओं को पूरा करने अपना-अपना एग्जाम दिया। एक बेटी मां की चिता जलाने के बाद एग्जाम देने पहुंची। दूसरी बेटी एग्जाम देकर लौटी और फिर पिता की अर्थी को कंधा दिया। जानिए दोनों कहानियां...

श्मशान से लौटकर एग्जाम देने पहुंची बेटी
यह मामला महाराष्ट्र के पुणे जिले के आंबेगांव तहसील के धामनी का है। यहां रहने वालीं सविता गवंडी की सोमवार को निधन हो गया था। उनकी बेटी ज्ञानेश्ववरी का मंगलवार को एग्जाम था। वो 12वीं का एग्जाम दे रही है। इसी बीच मां की मौत ने उसे गमगीन कर दिया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था। लेकिन उसे अपनी मां की कहीं बातें याद आ गईं। बेटी ने साहस जुटाया और पहले मां की चिता पर जाकर उन्हें नमन किया। इसके बाद एग्जाम देने गई। हालांकि बताते हैं कि मां के अंतिम संस्कार में शामिल होने के कारण उसे एग्जाम हॉल तक पहुंचने में मामूली देरी हो गई थी। लेकिन स्कूल प्रबंधन ने उसका सहयोग किया और एग्जाम में बैठने दिया।  ज्ञानेश्वरी का भाई भी 12वीं कक्षा में है। उसका भी बुधवार को एग्जाम था।
 

 

एग्जाम देकर लौटी और फिर पिता की अर्थी को दिया कंधा..

भावुक कर देने वाला यह मंजर छत्तीसगढ़ के धमतरी का है। अपने पिता की अर्थी को कंधा देने वाली यह बेटी कुछ देर पहले ही 10वीं का एग्जाम देकर लौटी थी। जब वो एग्जाम देने स्कूल के लिए निकली थी, तब पिता की अर्थी सज रही थी। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन पिता की ख्वाहिश थी कि वो अच्छे से पढ़ाई करे। इसलिए उसने पिता की चिता को मुखाग्नि देने से पहले एग्जाम देना मुनासिब समझा। उसके पिता की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।

बेटियों को जी-जान से चाहता था पिता...
यह मामला नगर पंचायत आमदी का है। यहां रहने वाले कुमार साहू की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी। मृतक ठेकदार था। दुर्भाग्य से पिता की उम्र 35 साल ही थी। उसकी तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी इस साल 10वीं का एग्जाम दे रही है। बीच वाली दामिनी 7वीं में, जबकि सबसे छोटी अभी चौथी क्लास में है। यह पिता अपनी तीनों बेटियों को खूब पढ़ाने की ख्वाहिश रखता था। ऐसा वो बेटियों को कई बार जता भी चुका था। इसलिए पिता की मौत के बावजूद बड़ी बेटी पहले एग्जाम देने गई। वहां से लौटते ही स्कूली ड्रेस में ही पिता की अर्थी को कंधा देकर श्मशान ले गई। वहां उसने मुखाग्नि दी। हादसा सोमवार रात करीब 8 बजे नगर पंचायत के सामने हुआ था। मृतक अपने दोस्त रोहित(35) के साथ पोटियाडीह से वसूली करके लौट रहा था। उनकी बाइक सड़क पर फैले बिल्डिंग मटेरियल पर फिसल गई थी। दोनों लोग सिर के बल गिर पड़े थे। इस हादसे में कुमार को अधिक चोट पहुंची थी, जो जानलेवा साबित हुई।