सार
महाराष्ट्र के समाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जिंजाडे ने राज्य के सभी सरपंचों से सार्वजनिक अपील करते हुए इस स्वतंत्रता दिवस पर एक खास काम पूरा करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा हुआ तो यह देश में पहली बार होगा।
मुंबई। देश में इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा है। इस स्वतंत्रता दिवस को खास बनाने के लिए हर कोई अपने-अपने स्तर से प्रयास कर रहा है। वहीं, विधवापन से जुड़ी कुरितियों के खिलाफ लगातार अभियान चलाते रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जिंजाडे ने भी महाराष्ट्र में अनोखा अभियान चलाने के लिए सभी सरपंचों से आगे आने की अपील की है। हालांकि, यह देखना होगा कि उनकी अपील का सरपंचों पर कोई असर होता है या नहीं और अगर उनकी अपील मान ली जाती है, तो यह अच्छी पहल के साथ-साथ अनोखा रिकॉर्ड भी होगा तथा ऐसा करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य होगा।
सामाजिक कार्यकर्ता प्रमोद जिंजाडे ने महाराष्ट्र राज्य के सभी गांवों के सरपंचों से अनोखी अपील करते हुए कहा है कि इस 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर झंडा फहराने के लिए वे अपने गांव की किसी विधवा महिला को मौका दें। प्रमोद जिंजाडे ने सभी सरपंचों से एक सार्वजनिक अपील करते हुए कहा कि विधवा महिलाओं को गांव में झंडा फहराने के बाद दो शब्द बोलने का अवसर भी दिया जाना चाहिए, जिससे वे अपनी बात रख सकें। उनकी इस बात को सोशल मीडिया पर भी लोग समर्थन दे रहे हैं।
28 हजार गांवों में विधवा महिलाओं ने ध्वजारोहण किया तो बनेगा रिकॉर्ड
उन्होंने कहा कि अगर राज्य के सभी 28 हजार गांवों में 28 हजार विधवा महिलाओं को इस तरह से सम्मानित किया जाता है, तो महाराष्ट्र को लैंगिक समानता वाले राज्य के रूप में देखा जा सकता है। प्रमोद ने कहा कि झंडा फहराते समय सभी ग्राम सभाओं को ध्वजारोहण कार्यक्रमों की तस्वीरें भी लेनी चाहिए और इसका वीडियो भी शूट करना चाहिए। साथ ही, इसे जिला कलेक्टरों के माध्यम से राज्य सरकार को भेजा जाना चाहिए।
विधवा कुरितियों से जुड़ी प्रथाएं अब खत्म की जाएं
प्रमोद ने अपनी अपील में कहा कि सभी ग्राम सभाओं को एक सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित करना चाहिए, जिसमें चूड़ियां तोड़ना, सिंदूर पोंछना और पति की मृत्यु के बाद महिलाओं के पैर के अंगूठे को हटाना जैसी प्रथाओं को अब समाप्त करना चाहिए। उन्होंने कहा कि सामाजिक और धार्मिक समारोहों में विधवा महिलाओं के साथ होने वाले इन रिवाजों और भेदभाव को समाप्त करने के लिए भी एक कानून बनाया जाना चाहिए। कोल्हापुर जिले में हेरवाड़ विधवाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण कर्मकांडों पर प्रतिबंध लगाने वाला प्रस्ताव पारित करने वाला देश का पहला गांव बन गया और तब से कई ग्राम सभाओं ने भी इसका पालन किया है।
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