सार

सामना में लिखा है- देवेंद्र फडणवीस कहते हैं कि इसके आगे हम संवाद नहीं, संघर्ष करेंगे, कार्यकर्ताओं लड़ने को तैयार हो जाओ। यह बहुत ही अच्छी बात है लेकिन महंगाई, बेरोजगारी, चीनी सैनिकों की घुसपैठ जैसे मुद्दों पर वे लड़े तो शिवसेना भी उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी नजर आएगी।

मुंबई : महाराष्ट्र (Maharashtra) में हनुमान चालीसा और लाउडस्पीकर पर जारी सियासी घमासान काफी बढ़ गया है। सत्ता पक्ष और विपक्ष एक दूसरे पर हमलावर हैं। एक तरफ जहां खुद पर हुए हमले के बाद बीजेपी नेता किरीट सोमैया (Kirit Somaiya) आज एक डेलीगेशन के साथ राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से मिलकर पुलिस की शिकायत करने वाले हैं। तो दूसरी तरफ बुधवार को मुखपत्र सामना के जरिए शिवसेना ने एक बार फिर भारतीय जनता पार्टी (BJP) और उसके नेताओं पर खूब हमला बोला है।

किरीट सोमैया नचनिया हैं-सामना
सामना के संपादकीय में किरीट सोमैया को बीजेपी का नचनिया बताया गया है। जिसका सूत्रधार पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस (Devendra Fadnavis) को बताया गया है। कॉलम में लिखा है कि सोमैया को पत्थर मारा, जिसके कारण उनकी गाड़ी का कांच टूटा। उसका एक टुकड़ा उनकी ठोढ़ी पर लगा लेकिन इससे खून नहीं, बल्कि टोमैटो सॉस बाहर आया। इस नचनिया ने खुद के गालों पर टोमैटो सॉस पोता और शिवसैनिकों की तरफ से हमले का शोर मचाया। क्या सोमैया के गालों से टोमैटो सॉस टपकने से राज्य की कानून-व्यवस्था बिगड़ गई है? जिस इंसान ने   'INS विक्रांत बचाओ' के नाम पर जुटाए गए पैसों में हेराफेरी की। पीएमसी बैंक घोटाले में जिसकी भूमिका संदिग्ध है, जो जमानत पर बाहर है, वह इसी तरह का कुछ कर सकता है। 

बीजेपी की धमनियों में खून नहीं, टोमैटो सॉस
किरीट सोमैया पर निशाना साधते हुए सामना में तीखी प्रतिक्रिया दी गई है। इसमें लिखा है कि बीजेपी की धमनियों में अब सच्चाई, हिंदुत्व का खून नहीं बल्कि टोमैटो सॉस है। साल 2019 में सत्ता गंवाने के बाद से ही फडणवीस जैसे नेताओं को अब यह अपना प्रदेश नहीं लगता। महाराष्ट्र का नमक उन्हें बेस्वाद लगने लगा है। देवेंद्र फडणवीस द्वारा केंद्रीय गृह सचिव को लिखे पत्र को लेकर इस कॉलम में लिखा गया है कि इस पर आश्चर्य जैसा कुछ भी नहीं। फडणवीस समेत पूरी महाराष्ट्र भाजपा जिस मानसिक संक्रमण अवस्था से गुजर रही है, उससे उनसे दूसरी कोई उम्मीद बेमानी ही होगी। 

यह सिर्फ बीजेपी का प्रपंच है
इस संपादकीय में बीजेपी पर कटाक्ष करते हुए आगे लिखा है कि बीजेपी जिस तरह महाराष्ट्र पर कठोर कार्रवाई और राष्ट्रपति शासन की मांग कर रही है, उसे सुनकर सिर्फ हंसी ही आती है। अगर आज दादा कोंडके होते तो वे इस प्रपंच पर दूसरी 'सोंगाड्या' फिल्म बना देते। भाजपा का झूठ देख दादा कोंडके को पांडुगीरी पर 'भाजपा का हवलदार' फिल्म बनानी पड़ती। अरे भाई महाराष्ट्र में हनुमान चालीसा का पाठ करना ही है तो अपने घर में करो, किसने रोका है? लेकिन दूसरों के घर में जाकर पढ़ने का अट्टाहास क्यों? 

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