सार

मुंबई के एक कोर्ट ने आठ साल की बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न करने के मामले में एक मौलबी को 20 साल जेल की सजा दी है। बच्ची दोषी के घर पढ़ने जाती थी। जज ने कहा कि  एक शिक्षक से उम्मीद की जाती है कि वह अपने छात्रों के लिए संरक्षक की तरह काम करेगा।

मुंबई। आठ साल की बच्ची का यौन उत्पीड़न करने के मामले में मुंबई के एक विशेष कोर्ट ने एक मौलाना को 20 साल जेल की सजा सुनाई है। बच्ची मौलाना के घर अरबी और कुरान की पढ़ाई करने जाती थी। सजा सुनाने के साथ ही जज ने कहा कि  एक शिक्षक से उम्मीद की जाती है कि वह अपने छात्रों के लिए संरक्षक की तरह काम करेगा।

मौलबी के खिलाफ पॉक्सो (Protection of Children from Sexual Offences) एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया था। उसे 20 अक्टूबर को दोषी ठहराया गया था। पॉक्सो कोर्ट की स्पेशल जज सीमा जाधव ने सोमवार को मौलबी को सजा सुनाई। कोर्ट ने आरोपी की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि उसे धार्मिक दुश्मनी के कारण झूठे मामले में फंसाया गया था। आरोपी को आईपीसी की धारा 376एबी (12 साल से कम उम्र की लड़की पर यौन हमला) और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 के तहत दोषी पाया गया था।

शिक्षक ने किया जघन्य अपराध 
जज ने अपने आदेश में कहा कि यौन उत्पीड़न किए जाने के समय बच्ची की उम्र आठ साल थी। आरोपी कोई आम आदमी नहीं बल्कि शिक्षक था। शिक्षक की जिम्मेदारी भावी पीढ़ियों को तैयार करने और उनके भविष्य को संवारने की होती है। शिक्षक से उम्मीद की जाती है कि वह बच्चों के लिए रक्षक की तरह काम करेगा। आरोपी ने जो जघन्य अपराध किया है उसका मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक असर पीड़िता पर पूरे जीवन रहेगा। 

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कोर्ट ने कहा कि बच्ची ने अभी दुनिया को समझना और अपना जीवन जीना शुरू ही किया था कि शिक्षक ने उसके साथ जघन्य अपराध कर दिया। जिस इंसान पर बच्ची भरोसा करती थी उसने उसके साथ ऐसा अपराध किया। इससे बच्ची के जीवन में आगे चीजों को पॉजिटिव रूप से देखने की धारणा बदल सकती है। इसलिए आरोपी नरमी का पात्र नहीं है।

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