सार
दिल्ली विधानसभा चुनावों से एक दिन पहले, शिवसेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के पिछले पांच वर्षों में किए गए “आदर्श” कार्यों के लिए शुक्रवार को उनकी जमकर तारीफ की
मुंबई: दिल्ली विधानसभा चुनावों से एक दिन पहले, शिवसेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के पिछले पांच वर्षों में किए गए “आदर्श” कार्यों के लिए शुक्रवार को उनकी जमकर तारीफ की। साथ ही पार्टी ने कहा कि केंद्र को अन्य राज्यों में विकास के लिए ‘दिल्ली मॉडल’ को अपनाना चाहिए।
शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को दिल्ली में वादे पूरे करने के लिए केजरीवाल को बधाई देनी चाहिए लेकिन यह कहने की बजाए भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं मंत्री चुनाव जीतने की कोशिश में ‘हिंदू बनाम मुस्लिम’ का मुद्दा उठा रहे हैं।
भाजपा दिल्ली जीतना चाहती है और इसमें कुछ गलत नहीं
पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में प्रकाशित एक संपादकीय में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह दिल्ली विधानसभा चुनाव में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रहे। वे (भाजपा) महाराष्ट्र में सत्ता में नहीं आ पाए और झारखंड में भी उन्हें हार मिली। इसलिए, भाजपा दिल्ली जीतना चाहती है और इसमें कुछ गलत भी नहीं है।”
इसमें कहा गया, “दिल्ली चुनाव जीतने के लक्ष्य के साथ, देश भर के 200 सांसद, सभी भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल चुनाव मैदान में कूद पड़ा है। इसके बावजूद केजरीवाल मजूबती से उभरे हैं।”
पार्टी ने कहा कि केजरीवाल के नजरिए और काम करने के तरीके पर मतभेद हो सकते हैं, “लेकिन सीमित समय तक सत्ता हाथ में रहने और केंद्र की तरफ से मुश्किलें खड़ी करने के बावजूद, स्वास्थ्य, शिक्षा, नागरिक सुविधाओं में उनकी सरकार का काम आदर्श है।”
केजरीवाल के दृष्टिकोण को पूरे देश में इस्तेमाल करना चाहिए
शिवसेना ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्रिमंडल को अन्य राज्यों में ‘दिल्ली मॉडल’ लागू करना चाहिए और केजरीवाल के दृष्टिकोण को पूरे देश में इस्तेमाल करना चाहिए।
उद्धव ठाकरे नीत पार्टी मे कहा, “इसकी बजाए, केजरीवाल को गलत साबित करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं। अगर कोई किसी राज्य में अच्छा काम कर रहा है और वह भले ही आपकी विचारधारा को न मानता हो, देश के नेता को तब भी उसकी तारीफ करनी चाहिए और उसके अच्छे कार्य को हर जगह लागू करना चाहिए। लेकिन अब राजनीति में कोई उदारता नहीं बची है।”
(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
(फाइल फोटो)