सार
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने हिंदुओं को विभाजित किया है। उन्हें माफी मांगनी चाहिए। मराठी लोगों के खिलाफ राज्यपाल के मन में जो नफरत है वह अनजाने में सामने आई है।
मुंबई। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) ने शनिवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat Singh Koshyari) से माफी मांगने की मांग की। राज्यपाल ने कहा था कि अगर गुजरातियों और राजस्थानियों को राज्य से हटा दिया जाता है, तो महाराष्ट्र के लोगों के पास पैसे नहीं होंगे।
ठाकरे ने कहा, "मैं उनके स्पष्टीकरण से संतुष्ट नहीं हूं। राज्यपाल को माफी मांगनी चाहिए। उन्होंने न केवल मराठी लोगों की भावनाओं को आहत किया है बल्कि उन्होंने हिंदुओं को भी विभाजित किया है। राज्यपाल पद की शपथ लेते हैं। क्या समुदायों को बांटना उसका काम है? अगर यह अपराध है, तो उसे कानून द्वारा दंडित किया जाना चाहिए।”
घर वापस भेजा जाए या जेल, यह तय करने का समय है
उद्धव ठाकरे ने कहा कि यह तय करने का समय आ गया है कि राज्यपाल को घर वापस भेजा जाए या जेल। अपने आवास मातोश्री में संवाददाता सम्मेलन में ठाकरे ने कहा, "मराठी लोगों के खिलाफ राज्यपाल के मन में जो नफरत है वह अनजाने में सामने आई है। यह तय करने का समय आ गया है कि कोश्यारी को घर वापस भेजा जाए या जेल...। वह तीन साल से महाराष्ट्र में रह रहे हैं। इसके बावजूद मराठी भाषी लोगों का अपमान किया है। उन्होंने राज्यपाल के पद का अपमान किया है।"
उद्धव ने कहा कि जब वह कोरोना महामारी से लड़ रहे थे और लोग मर रहे थे, राज्यपाल चाहते थे कि सार्वजनिक स्थानों और धार्मिक पूजा स्थलों को फिर से खोल दिया जाए। कोश्यारी ने महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए राज्यपाल के कोटे से 12 नामों को मंजूरी नहीं दी। उन्होंने समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले के खिलाफ भी अपमानजनक टिप्पणी की।
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क्या है मामला?
राज्यपाल ने एक कार्यक्रम में कहा, "मैं यहां के लोगों से कहता हूं कि अगर महाराष्ट्र से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाता है, खासकर मुंबई और ठाणे से, तो आपके पास पैसे नहीं होंगे और मुंबई आर्थिक राजधानी नहीं होगी।" इस बयान को लेकर विवाद शुरू हुआ तो राज्यपाल ने सफाई दी। उन्होंने कहा, "मराठी लोगों को कम आंकने का मेरा कोई इरादा नहीं था। मैंने केवल गुजरातियों और राजस्थानियों के योगदान पर बात की। मराठी लोगों ने कड़ी मेहनत करके महाराष्ट्र का निर्माण किया। यही कारण है कि आज कई मराठी प्रसिद्ध उद्यमी हैं।"
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