सार

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी के वक्तव्य के साथ 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का समापन हो गया। पहले सत्र में लोकसभा की 7 बैठकें हुई जो 30 घंटे 40 मिनट तक चलीं। लोकसभा की उत्पादकता 103 प्रतिशत रही।

18th Lok Sabha first session ended: राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी के वक्तव्य के साथ 18वीं लोकसभा के पहले सत्र का समापन हो गया। पहले सत्र में लोकसभा की 7 बैठकें हुई जो 30 घंटे 40 मिनट तक चलीं। लोकसभा की उत्पादकता 103 प्रतिशत रही। 18वीं लोकसभा के पहले सत्र में 539 सदस्यों ने शपथ ली। राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर 18 घंटे चर्चा हुई। 68 सांसदों ने चर्चा में भाग लिया। लोकसभा का पहला सत्र कई मायनों में विवादों में भी रहा। राष्ट्रपति के अभिभाषण के दौरान सांसदों का हंगामा हो या पीएम मोदी का नेता सदन के रूप में जवाब के दौरान विरोध, कई बार स्पीकर को विपक्ष को उनके हंगामा और असंसदीय व्यवहार के लिए टोकना पड़ा। पीएम के स्पीच के दौरान स्पीकर ओम बिरला ने नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को डांटते हुए उनको नसीहत दी गई। सोशल मीडिया पर पहले संसद सत्र को लेकर विपक्ष पर निशाना साधा जा रहा है।

संसद टीवी के नियम बदलने की मांग

एक्स पर एशियानेट के एक्जीक्यूटिव चेयरमैन राजेश कालरा ने ट्वीट कर संसद सत्र के दौरान राष्ट्रपति के अभिभाषण में अवरोध पैदा करने वाली घटना व पीएम के स्पीच के दौरान नारेबाजी की आलोचना करते हुए संसद टीवी या लाइव कवरेज के नियम बदलने की मांग की है। उन्होंने ट्वीट किया कि राष्ट्रपति को सदस्यों द्वारा परेशान होते हुए कभी नहीं देखा था, जैसा कि तमिलनाडु के एक वरिष्ठ सदस्य ने राष्ट्रपति के भाषण के दौरान किया। और आज, मैंने न केवल विपक्ष के नेता को उकसाते हुए देखा बल्कि प्रधानमंत्री के बोलने पर अपने सदस्यों को वेल में आने का आदेश देते हुए भी, जब भी अध्यक्ष ने कुछ व्यवस्था स्थापित करने की कोशिश की, तो उन्होंने उनका विरोध किया।

हास्यप्रद राहत तब मिली जब प्रधानमंत्री ने सदन के वेल में अपने सबसे नज़दीक नारेबाजी कर रहे विपक्षी सदस्य को एक गिलास पानी दिया, जो पहले तो हैरान रह गया, लेकिन फिर उसने गिलास स्वीकार कर लिया और उसके बगल में बैठे प्रदर्शनकारी ने तुरंत उसे पी लिया।

ईमानदारी से कहें तो हम सभी खुश थे कि विपक्ष के पास संख्या है, जो हमारे लोकतंत्र के लिए अच्छा है। यह सत्तारूढ़ व्यवस्था को चौकन्ना और नियंत्रण में रखता है। लेकिन इंडी एलायंस का ऐसा व्यवहार रचनात्मक विरोध के माध्यम से जो कुछ भी हासिल किया जा सकता है, उसे बर्बाद कर देगा।

साथ ही, मैं चाहता हूं कि टीवी कवरेज के लिए सदन के नियम बदले जाएं ताकि सदन के अंदर अनुचित व्यवहार को आम जनता भी देख सके। अभी तक सदन के अंदर मौजूद कुछ सौ लोग ही इसे देख पा रहे हैं जबकि टीवी पर देखने वाले लोग सिर्फ़ बोलने की अनुमति वाले व्यक्ति को ही देख पा रहे हैं और कभी-कभार लंबे शॉट भी देख पा रहे हैं जिससे सदन के अंदर कोई विरोध प्रदर्शन न हो। यहां तक ​​कि नारेबाजी भी मुश्किल से ही सुनी जा सकती है क्योंकि माइक सिर्फ़ वही रिकॉर्ड कर पाता है जो बोलने की अनुमति वाले व्यक्ति कह रहे हैं।

 

 

पूर्व मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने राहुल गांधी को दी नसीहत

 

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि अधिकांश लोग सकारात्मक बदलाव लाने, देश और लोगों के जीवन में योगदान देने और उन्हें बेहतर बनाने के लिए सार्वजनिक जीवन और राजनीति में प्रवेश करते हैं। ऐसे लोग सेवा में मानक बढ़ाकर, समस्याओं को हल करने के लिए नए विचारों के साथ आगे आते हैं। लेकिन राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेसियों का यह समूह कुछ भी नहीं कर रहा है। यह लोग बुरा और घटिया आचरण, गैरजिम्मेदार और अपमानजनक व्यवहार करते दिख रहे हैं, जो देखने वाले सभी युवाओं के लिए एक घटिया शर्मनाक उदाहरण पेश कर रहा है।

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