सार

Road rage case : 27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू पटियाला में कहीं गए थे। इस दौरान कार पार्किंग को लेकर उनकी गुरनाम सिंह नाम के बुजुर्ग से विवाद हो गया। हाथापाई में गुरनाम की मौत हो गई। इसी मामले को लेकर सिद्धू और उनके दोस्त पर धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत केस दर्ज किया गया था।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने गुरुवार को विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) से ऐन पहले पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू (Punjab Congress president Navjot Singh Sidhu) को थोड़ी राहत दी। 1988 को हुए इस रोड रेज मामले में (1988 road rage case) को सुप्रीम कोर्ट ने 25 फरवरी तक के लिए बढ़ा दिया गया है। सिद्धू की ओर से पेश हुए वकील पीचिदंबरम ने कहा कि ये केस अचानक से दो फरवरी की रात लिस्ट हुआ। इसलिए हमें जवाब के लिए वक्त दिया जाना चाहिए। बता दें कि सिद्धू के खिलाफ इस केस में 15 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलामेश्वर और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने फैसला सुनाया था। कोर्ट ने सिद्धू पर 1 हजार रुपए का जुर्माना लगाकर उन्हें छोड़ दिया था। लेकिन अचानक से यह मामला फिर खुल गया है। 

क्या है मामला 
27 दिसंबर 1988 को नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह संधू पटियाला में कहीं गए थे। इस दौरान कार पार्किंग को लेकर उनकी गुरनाम सिंह नाम के बुजुर्ग से विवाद हो गया। हाथापाई में गुरनाम की मौत हो गई। इसी मामले को लेकर सिद्धू और उनके दोस्त पर धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) के तहत केस दर्ज किया गया था। पीड़ित परिवार ने सिद्धू के खिलाफ मामला दर्ज कराया। इसके अलावा पंजाब सरकार ने भी इस मामले में सिद्धू पर केस दर्ज कराया था। 

पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने ठहराया था दोषी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को जान बूझकर चोट पहुंचाने का दोषी ठहराया था। कोर्ट ने उन्हें तीन साल की सजा सुनाई थी। लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो वहां से उन्हें राहत मिली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामला 30 साल पुराना है। दोनों के बीच कोई पुरानी दुश्मनी भी नहीं थी। यह घटना जानबूझकर की गई नहीं लगती है। इस वजह से सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर महज 1,000 रुपए का जुर्माना लगाया था। 

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