सार

अट्टहास सम्मान समारोह का 33वां आयोजन दिल्ली के हिंदी भवन में हुआ, जहां पद्मश्री डॉ. अशोक चक्रधर, डॉ. हरि जोशी, बलराम, आलोक पुराणिक और सुभाष चन्दर ने व्यंग्य साहित्य में प्रतिष्ठित लेखकों को सम्मानित किया।

नई दिल्ली। अट्टहास सम्मान व्यंग्य का मानक बन गया है,अट्टहास का शिखर सम्मान और युवा सम्मान व्यंग्य के क्षेत्र में दिये जाने वाले सम्मानों में "आईएसआई" के मानक सरीखा है। इसे देश भर के व्यंग्य से जुड़े साहित्यकारों ने न केवल हाथों हाथ लिया और सम्मानित व्यंग्यकारों ने अपने बायोडेटा में सम्मान स्थान दिया है।

यह उद्गार माध्य्म साहित्यिक संस्थान के हिंदी भवन (दिल्ली) में आयोजित 33 वें अट्टहास सम्मान समारोह में पद्मश्री डॉ अशोक चक्रधर,डॉ हरि जोशी,कथाकार बलराम, आलोक पुराणिक और सुभाष चन्दर ने व्यक्त किये।

माध्यम साहित्यिक संस्थान ,लखनऊ एवं युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच ,दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में बहु प्रतीक्षित 33वां अट्टहास सम्मान समारोह सम्पन्न हो गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था के अध्यक्ष इंजीनियर कप्तान सिंह ने की। मंचस्थ अतिथियों के स्वागत एवं उनके द्वारा दीप प्रज्ज्वलन के बाद माध्यम साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष कप्तान सिंह ने संस्था की ओर से सभी आमंत्रित अतिथियों, सदस्यों एवं सम्मानित होने वाले साहित्यकारों का अभिनन्दन किया।

माध्यम साहित्यिक संस्थान के अध्यक्ष कप्तान सिंह अध्यक्षता एवं माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्तव के सानिध्य में देश के कोने -कोने से आये साहित्यकारों ,साहित्य प्रेमियों और व्यंग्य पाठकों से खचाखच भरे सभागार में मुख्य अतिथि पद्म डॉ.अशोक चक्रधर तथा प्रमुख अतिथि व्यंग्यकार डॉ हरि जोशी, ख्यात लेखक/उपन्यासकार/कथाकार बलराम ,सुभाष चंदर के अतिरिक्त वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ.आलोक पुराणिक ने वरिष्ठ व्यंग्यकार सुरेश कांत को शाल/माला तथा इक्कीस हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर 'अट्टहास शिखर सम्मान' से सम्मानित किया। तत्पश्चात लखनऊ के व्यंग्यकार अलंकार रस्तोगी को शाल/माला तथा पांच हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर 'अट्टहास युवा रचनाकार सम्मान' से नवाजा गया।

सम्मानों की इस श्रंखला में वरिष्ठ व्यंग्यकार रामकिशोर उपाध्याय को शाल/माला तथा ग्यारह हज़ार की पुरस्कार राशि प्रदान कर हरिशंकर परसाई सम्मान से सम्मानित किया गया | तत्पश्चात प्रख्यातकवयित्री -डॉ कीर्ति काले को सुश्री प्रमिला भारती की ओर से ‘वाणी वाग्धारा सम्मान’ एक पौशाक तथा ग्यारह हज़ार की पुरस्कार राशि देकर अलंकृत किया गया। आगरा के प्रसिद्ध उपन्यास कार और इतिहास विद राजगोपाल सिंह वर्मा को डॉ हरिवंश राय बच्चन सम्मान ( पुरस्कार राशि इक्कीस सौ रूपये ) से,जम्मू कश्मीर के चर्चित व्यंग्य कार केवल कुमार 'केवल' को डॉ शिव मंगल सिंह सुमन सम्मान (पुरस्कार राशि इक्कीस सौ रूपये) से सम्मानित किया गया। प्रसिद्ध कवि और गजलकार सत्येंद्र रघुवंशी के अकस्मात अस्पताल में भर्ती हो जाने से 'विद्या निवास मिश्र सम्मान' अट्टहास पत्रिका की सम्पादक शिल्पा श्रीवास्तवा ने ग्रहण किया। शरद जोशी सम्मान से अलंकृत किये जाने वाले भोपाल के व्यंग्य लेखक मुकेश नेमा और जबलपुर के जय प्रकाश पांडे का वाग्धारा सम्मान उनके ग्रह जनपद में जाकर देने की घोषणा की गई।

माध्य्म की ओर से , श्रीअरुण अर्णव खरे (कर्नाटक ) डॉ प्रमिला भारती (दिल्ली ) डॉ आभा सिंह (महाराष्ट्र ), भारती पाठक (अयोध्या)मधु श्रीवास्तव(कानपुर ) राजेश कुमार सिंह (लखनऊ) ओम प्रकाश शुक्ल (दिल्ली ) संजय कुमार गिरी (दिल्ली ) अभिलाषा ( नोएडा)को उनकी साहित्य सेवाओं के लिए 'वाग्धारा सम्मान' से अलंकृत किया गया।

इस बार अट्टहास सम्मान समारोह में लाइफ टाइम अचीव मेन्ट सम्मान से वरिष्ठ पत्रकार अश्वनी भटनागर और प्रो प्रदीप माथुर को भी करतल ध्वनि के बीच सम्मानित किया गया।उन्हें उनकी सुदीर्घ साहित्यिक /पत्रकारिता सेवाओं के लिए 'लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड' प्रदान किया गया।

इस अवसर पर माध्यम के महासचिव अनूप श्रीवास्त्तव को विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों तथा कवयित्री पूनम झा (दिल्ली) ने शाल और उपहार देकर सम्मानित किया। अट्टहास के प्रबंध संपादक अनूप श्रीवास्तव ,संपादिका शिल्पा श्रीवास्तव एवं कार्यकारी संपादक रामकिशोर उपाध्याय की गरिमामयी उपस्थिति में मासिक व्यंग्य पत्रिका ‘अट्टहास’ के पच्चीसवें वर्ष के पहले अंक, रामकिशोर उपाध्याय के व्यंग्य संग्रह ‘दस हाथ वाला आदमी’, अलंकार रस्तोगी के व्यंग्य संग्रह – घातक कथाएं , डॉ आभा सिंह के व्यंग्य संग्रह – ‘टूटी टांग’ तथा केवल कुमार ‘केवल’ के व्यंग्य कविता संग्रह –‘पूँछ’ का भव्य लोकार्पण हुआ।

इस अवसर पर रायपुर,छत्तीसगढ़ से पधारे कार्टूनिस्ट सागर कुमार ने अनूप श्रीवास्तव, कप्तान सिंह,डॉ हरि जोशी, अशोक चक्रधर, रामकिशोर उपाध्याय,डॉ कीर्ति काले, अलोक पुराणिक,सुभाष चंदर,भारती पाठक तथा अश्विनी कुमार के शानदार कैरीकेचर भेंट किये। डॉ कीर्ति काले ने काव्य पाठ किया।

अट्टहास शिखर सम्मान प्राप्त करने के बाद अत्यंत भावुक सुरेश कान्त ने कुछ अधिक न बोलते हुए अट्टहास पत्रिका एवं चयन कर्ताओं का आभार व्यक्त कर अपना स्थान ग्रहण कर लिया। अलंकार रस्तोगी ने कहा कि यह सम्मान प्राप्त करके उन्हें बहुत ख़ुशी हो रही है। यह उनका चौदह वर्ष पुराना सपना था जो आज साकार हो गया है। सम्मान की सार्थकता तभी है जब लेखक लेखन के प्रति अपने दायित्व को समझे।

रामकिशोर उपाध्याय ने कहा कि आज मुझे हरिशंकर परसाई सम्मान ग्रहण करते हुए आनंद के साथ गर्व की अनुभूति हो रही है कि पुरस्कार के लिए मेरा नाम हिंदी व्यंग्य के पुरोधा और व्यंग्य लेखन की प्रेरणा स्रोत हरिशंकर परसाई के साथ जुड़ गया है। मैं इसके लिये अनूप श्रीवास्तव एवं समस्त चयनकर्ताओं का हार्दिक आभार एवं कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ। व्यंग्य लेखन के विषय में हरिशंकर परसाई के कथन 'जो क़ौमें भूखे मारे जाने पर सिनेमा में जाकर बैठ जाए,वह अपने दिन कैसे बदलेगी' को रेखांकित करते हुए उन्होंने आगे कहा कि क्या हम हरिशंकर परसाई जैसा ऐसा लिख रहे है ? उन्होंने अट्टहास पत्रिका के समक्ष आर्थिक चुनौतियों का भी जिक्र कर सभी से इसके निरंतर प्रकाशन हेतु सहयोग की अपील भी की।

मुख्य अतिथि अशोक चक्रधर ने अपने चिर परिचित संबोधन में कहा कि सर्वप्रथम मंच संचालकों का नाम लेना चाहिए जो इतना बढ़िया सञ्चालन कर रहे हैं । अट्टहास सम्मान एवं अन्य सम्मान प्राप्त करने वाले लेखकों को बधाई देते हुएउन्होंने कहा कि माध्यम साहित्यिक संस्थान सम्मान देने में साहित्यकारों के साथ कभी भी किसी प्रकार का भेदभाव नहीं करता है। सभी पुरस्कार-ग्रहीताओं को एक प्रकार का शाल और अन्य सामग्री प्रदान की गई ,यह इस बात का परिचायक है। उत्कृष्ट लेखन के लिए सम्मानित लेखकों को बंद लिफाफे की गई सम्मान की धन राशि के विषय में उन्होंने कहा कि न तो संस्था दरिद्र है और न ही हमारी भाषा हिंदी दरिद्र है। यदि पुरस्कार की राशि कम हो भी जाए तब भी अट्टहास सम्मान के स्तर में कोई कमी नहीं आएगी। यही अट्टहास सम्मान की विशेषता है जो अनूप श्रीवास्तव की असंदिग्ध लगन और तप का परिणाम है। उन्होंने सम्मान के लिए जो मानक तय किए हैं उनसे लेखक ही सम्मानित नहीं होते हैं बल्कि पुरस्कार प्रदाता भी सम्मानित होते हैं। लोकार्पित पुस्तकों के विषय में भी उन्होंने अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुए उन्हें बधाई और शुभकामनायें प्रदान की।

विशिष्ट अतिथि डॉ हरि जोशी ने अंगेजी साहित्यकार बायरन की निम्नांकित पक्तियों --I should write, I would publish right or wrong /But culprit are ...., Satire are my song का उल्लेख करते हुए कहा कि व्यंग्यकार को अपने लेखन में 'कल्प्रिट' को ढूँढना चाहिए। उसके लिए यदि व्यंग्य लेखक को जोखिम भी उठाना पड़े तो वह भी उठाना चाहिए। इतने वर्षों तक इन लेखकों ने श्रम किया तब आज पुरस्कार मिला। निश्चित ही ये सभी लेखक बधाई के पात्र है। उन्होंने सम्मानित होने वाले लेखकों के प्रति भी आभार व्यक्त किया। वे अपना करीकेचर बनाने वाले कार्टूनिस्ट सागर कुमार का धन्यवाद करना भी नहीं भूले।

अट्टहास सम्मान प्राप्त करने पर सुरेश कान्त ,अलंकार रस्तोगी को बधाई देते हुए प्रसिद्ध हास्य व्यंग्य लेखक सुभाष चंदर ने कहा कि ‘ब से बैंक’ उपन्यास से लेकर सुरेश कान्त ने व्यंग्य में बहुत काम किया है। कई अख़बारों और पत्रिकाओं में आपके लेख छप चुके हैं। अलंकार रस्तोगी के विषय में उन्होंने कहा कि उन्हें मॉडलिंग में जाना चाहिए था,लेकिन पत्नी ने नहीं जाने दिया। यदि वहां चले भी जाते तो व्यंग्य लेखन जितना बढिया कार्य ही करते। दस /बारह वर्ष पूर्व जब उनकी पहली पुस्तक का विमोचन करने गया था तब उन्हें एक सलाह दी थी कि खूब पढ़े तब लिखे। यही सलाह आज के युवा लेखकों को देना नहीं भूलता हूँ। उन्होंने ही निश्चित ही सलाह पर अमल किया है तभी उन्हें अट्टहास का यह अति महत्वपूर्ण सम्मान मिला।

वरिष्ठ व्यंग्यकार डॉ आलोक पुराणिक ने सभी पुरस्कार प्राप्त कर्ताओं को बधाई देते हुए बताया कि गत दिनों वह एक सम्मान समारोह में गए थे जहाँ 178 लोगों को सम्मानित किया गया | आयोजकों ने बताया कि यहाँ उपस्थित सभी 176 साहित्यकारों के अतिरिक्त एक चाय वाला और एक समोसे वाले को भी सम्मानित किया है | आयोजकों ने यह भी कहा – 'आप कहो तो आपको भी सम्मानित किया जा सकता है,' कहकर उन्होंने इस तरह के सम्मान आयोजनोँ पर चुटकी लीं। लेकिन अट्टहास सम्मान की बात बिलकुल अलग है। ‘अट्टहास सम्मान वास्तव ISI मार्क सरीखे खरे हैं,’ कहकर अपनी बात समाप्त की।

संस्था के महासचिव अनूप श्रीवास्तव ने संस्था की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अब वह अस्सी वर्ष से अधिक आयु को प्राप्त कर चुके हैं। अतः इस पत्रिका को संभालने के लिए लोग आगे आये ताकि यह निरंतर चलती रहे।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे कप्तान सिंह ने कहा -‘जिन विद्वानों को आज पुरस्कृत किया गया है उन्हें मैं बधाई देता हूँ कि उन्होंने उत्कृष्ट सृजन किया है जिसके लिए हमारी इस संस्था ने आज उन्हें सम्मानित किया है। मैं आप सभी का आभार प्रकट करता हूँ | साहित्यकार की समाज के प्रति बड़ी जिम्मेदारी होती है। जब-जब समाज में विकृति आती है तब-तब साहित्यकार उसे बताने का कार्य करता है | साहित्यकार को जीवन मूल्यों की रक्षा के लिए कार्य करना चाहिए। व्यंग्य जीवन में चेतना लाता है। मैंने देश में काफी भ्रमण किया है लेकिन देश में स्थिति आज भी ठीक नहीं है। व्यवस्था परिवर्तन के लिए आप जैसे विद्वान लिखेंगे तो उसका प्रभाव अवश्य पड़ेगा।’ अंत में सभी आमंत्रित अतिथियों और अन्य सभी उपस्थित साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया।

इस अवसर पर युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के कोषाध्यक्ष हीरा लाल का जन्मदिन केक काटकर मनाया गया। चार घंटे तक चले इस सम्मान समारोह का मंच -संचालन माध्यम साहित्यिक संस्थान के उपाध्यक्ष आलोक शुक्ल और युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामकिशोर उपाध्याय ने संयुक्त रूप से किया।