सार
सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की बेंच EWS कोटा के तहत मिलने वाले आरक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 9 मई को सुनवाई करेगी। बेंच सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले इसी मामले में दिए गए फैसले पर फिर से विचार करेगी।
नई दिल्ली। सीजेआई (Chief Justice of India) की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच 9 मई को ईडब्ल्यूएस (Economically Weaker Section) कोटा के तहत मिल रहे आरक्षण के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में पहले फैसला सुनाया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए पुनर्विचार याचिकाएं लगाई गईं हैं। सुनवाई के दौरान बेंच सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फिर से विचार करेगी।
केंद्र सरकार ने 103वां संविधान संशोधन कर सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के लिए 10फीसदी आरक्षण दी थी। केंद्र सरकार के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने संविधान संशोधन की वैधता को बरकरार रखा था।
नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा था 10 फीसदी EWS आरक्षण
पिछले साल नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने 10 फीसदी EWS आरक्षण को बरकरार रखने का फैसला किया था। 5 जजों की बेंच ने 3:2 के बहुमत से फैसला सुनाया था। तीन जजों ने EWS के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा था कि यह कानून का उल्लंघन नहीं है। तत्कालीन सीजेआई यूयू ललित, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी, जस्टिस एस रवींद्र भट, जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस जेबी परदीवाला की पांच-जजों की पीठ ने 103वें संविधान संशोधन को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई की थी।
केंद्र सरकार ने 2019 में की थी EWS कोटा की व्यवस्था
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने 2019 में EWS कोटा की व्यवस्था की थी। इसमें सरकारी जॉब और शैक्षणिक संस्थानों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को 10 फीसदी आरक्षण मिला। इससे जनरल कैटेगरी के लोगों को आरक्षण का लाभ मिला था। यह 10% आरक्षण उन लोगों पर लागू होता है जो अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों (SEBCs) के लिए 50 प्रतिशत आरक्षण की मौजूदा योजना के तहत शामिल नहीं हैं।