सार
मोदी सरकार ने भारत में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाला संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित कर दिया है। इसका उद्देश्य जन्म-मृत्य रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस को आसान और सुव्यवस्थित करना है।
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने भारत में जन्म और मृत्यु के पंजीकरण के लिए आधार को अनिवार्य बनाने वाला संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित कर दिया है। इसका उद्देश्य रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस को डिजिटल बनाने के साथ ही सुव्यवस्थित करना है, ताकि इसे नागरिकों के लिए और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सके। यह पूरी दुनिया के लिए एक आदर्श के रूप में काम कर सकता है। बता दें कि इस संशोधन विधेयक में एक ऐतिहासिक बदलाव किया गया है, जो जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के लिए विशिष्ट पहचान संख्या यानी आधार को अनिवार्य बना देगा।
बर्थ रजिस्ट्रेशन के दौरान पेरेंट्स या अभिभावक का आधार होगा जरूरी
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की ओर से केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने इस विधेयक को लोकसभा में पेश किया। इस विधेयक के लागू होने पर बर्थ रजिस्ट्रेशन के दौरान माता-पिता या अभिभावक के आधार नंबर की जरूरत होगी। विधेयक का प्रमुख उद्देश्य जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन के लिए राष्ट्रीय और राज्य-स्तरी डेटाबेस तैयार करना है।
किन मामलों में अनिवार्य होगा जन्म का रजिस्ट्रेशन?
- विधेयक के प्रावधान में कहा गया है कि ऐसे मामलों में जन्म का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा, जहां जन्म जेल या होटल में हुआ हो। इस मामले में जेलर या होटल के मैनेजर को आधार नंबर देना होगा। यह प्रावधान गोद लिए गए, अनाथ, परित्यक्त, सरोगेट बच्चे और सिंगल माता-पिता या अविवाहित मां के लिए बच्चे के रजिस्ट्रेशन प्रॉसेस में भी अनिवार्य होगा।
- इसके अलावा जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन के लिए भी आधार अनिवार्य होगा। उदाहरण के लिए जन्म के दौरान जब डॉक्टर जन्म की रिपोर्ट देगा तो माता-पिता और सूचना देने वाले का आधार नंबर देना अनिवार्य होगा।
- नए कानून के तहत, बर्थ सर्टिफिकेट को किसी व्यक्ति की जन्म तिथि और स्थान के लिए ऑफिशियल डॉक्यूमेंट के रूप में रजिस्टर्ड किया जाएगा।
- बर्थ सर्टिफिकेट, जिसमें आधार नंबर होगा वो कई जगहों पर मान्य होगा। इसमें स्कूल में प्रवेश, ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त करना, वोटर लिस्ट में रजिस्ट्रेशन कराना, मैरिज रजिस्ट्रेशन करना, सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करना, पासपोर्ट प्राप्त करना और आधार प्राप्त करना शामिल है।
डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र क्या है और इसके क्या फायदे होंगे?
- डिजिटल जन्म प्रमाणपत्र एक ऐसा सिंगल डॉक्यूमेंट है, जिसका उपयोग किसी भी व्यक्ति की जन्मतिथि और जन्मस्थान को साबित करने के लिए किया जाता है।
- डिजिटल बर्थ रजिस्ट्रेशन से देश में जन्म तिथि और जन्म स्थान को साबित करने के लिए किसी और डॉक्यूमेंट की जरूरत नहीं पड़ेगी।
- विधेयक में प्रावधान किया गया है कि रजिस्टर्ड जन्म और मृत्यु का राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय डेटाबेस तैयार किया जाएगा।
जन्म और मृत्यु रजिस्ट्रेशन तो अभी भी हो रहा है, फिर नए बिल में क्या अलग है?
नया कानून बनने से कई मामलों में जन्म प्रमाण पत्र का इस्तेमाल अनिवार्य होगा। इसे किसी भी शख्स की उम्र और जन्म स्थान निर्धारित करने के लिए एकमात्र मान्य प्रमाण के रूप में गिना जाएगा। जन्म प्रमाण-पत्र न होने का मतलब यह होगा कि कोई व्यक्ति वोट नहीं डाल सकता, स्कूल में प्रवेश नहीं मिल सकता, शादी या सरकारी नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकता।
जानें दुनियाभर में कौन करता है महत्वूपर्ण रजिस्ट्रेशन से जुड़े काम
अमेरिका
अमेरिका में नेशनल सेंटर फॉर हेल्थ स्टैटिस्टिक्स (NCHS) एक फेडरल एजेंसी है, जो वहां स्वास्थ्य से संबंधित डेटा तैयार करती है। इसे राष्ट्रीय महत्वपूर्ण सांख्यिकी प्रणाली (NVSS) संचालित करता है, जो सालाना 60 लाख से ज्यादा डेटा इकट्ठा करता है। इन रिकॉर्डों में जन्म, मृत्यु, विवाह, तलाक, भ्रूण मृत्यु और गर्भपात शामिल हैं। NVSS राज्य और स्थानीय सरकारी संगठनों के सहयोग से काम करता है। NVSS संघीय सरकार और अलग-अलग राज्यों के बीच को-ऑपरेटिव रिलेशन के तौर पर काम करता है। क्योंकि प्रत्येक राज्य के पास महत्वपूर्ण घटनाओं के रजिस्ट्रेशन संबंधी कानूनी अधिकार होता है। बता दें कि अमेरिका की संघीय सरकार ने 20वीं सदी की शुरुआत में राष्ट्रीय महत्वपूर्ण आंकड़े एकत्र करना शुरू किया। शुरुआत में जन्म और मृत्यु संबंधी आंकड़ों पर फोकस किया। NVSS अमेरिका में विभिन्न सार्वजनिक स्वास्थ्य पहलों का समर्थन करने के लिए जरूरी डेटा प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
पाकिस्तान
पाकिस्तान में 'जन्म, मृत्यु और विवाह पंजीकरण अधिनियम, 1886', जन्म और मृत्यु के रजिस्ट्रेशन को कंट्रोल करने वाले कानून के रूप में काम करता है। यहां लोकल सिविल अथॉरिटी अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में जन्म और मृत्यु का सटीक डॉक्यूमेंटेशन सुनिश्चित करते हुए रजिस्ट्रेशन को देखते हैं। यहां अधिनियम में यह अनिवार्य है कि माता-पिता या अभिभावक बच्चे के जन्म के तुरंत बाद जन्म का रजिस्ट्रेशन करें। रजिस्ट्रेशन के लिए बच्चे के माता-पिता (जन्म के मामले में) या मृत व्यक्ति के नाम, घटना की तारीख, स्थान और अन्य प्रासंगिक विवरण जैसी जानकारी जरूरी है।
जापान
कोसेकी एक जापानी फैमिली रजिस्टर है, जो मैरिड कपल और उनके अविवाहित बच्चों सहित सभी परिवारों के लिए कानूनन जरूरी है। जापान में परिवारों को अपने लोकल अथॉरिटी को जन्म, गोद लेने, मृत्यु, विवाह और तलाक जैसे महत्वपूर्ण रिकॉर्ड के बारे में सूचित करना जरूरी होता है। इस डेटा को सभी जापानी नागरिकों के लिए इकट्ठा किया जाता है। विवाह, तलाक, पितृत्व स्वीकृति और गोद लेना केवल तभी कानूनी रूप से प्रभावी होते हैं, जब कोसेकी (फैमिली रजिस्टर) में दर्ज किया जाता है। कोसेकी जापानी नागरिकों के लिए नागरिकता के प्रमाण पत्र के रूप में भी काम करता है।
चीन
चीन में मॉर्डर्न पॉपुलेशन रजिस्ट्रेशन मेथड के तौर पर हुकोउ प्रणाली काम करती है। ये 1958 में शुरू की गई। यह मुख्य रूप से इंटर्नल माइग्रेशन को करने, सामाजिक सुरक्षा का प्रबंधन करने और सामाजिक स्थिरता को संरक्षित करने का काम करता है। हालांकि, 20 करोड़ से ज्यादा शहरवासियों का नाम अब भी हुकोउ में नहीं है। इससे चीन के आर्थिक विकास में बाधा पैदा हो सकती है और जनसांख्यिकीय चुनौतियां बढ़ सकती हैं।
यूनाइटेड किंगडम
ब्रिटेन में इंग्लैंड और वेल्स के लिए द जनरल रजिस्टर ऑफिस (GRO) है, जो जन्म, गोद लेने, विवाह, नागरिक भागीदारी और मृत्यु जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं के नागरिक पंजीकरण का काम करता है। इसकी स्थापना 1836 में हुई थी और सिविल रजिस्ट्रेशन 1837 में शुरू हुआ। इसके पहले वहां नागरिक पंजीकरण की कोई राष्ट्रीय प्रणाली नहीं थी और घटनाओं को इंग्लैंड के चर्च द्वारा बनाए गए पैरिश रजिस्टरों में दर्ज किया जाता था। संपत्ति के अधिकारों की रक्षा और हेल्थ से जुड़े डेटा प्रदान करने के लिए जीआरओ की स्थापना हुई।