सार

मनीष सिसोदिया को कथित शराब नीति घोटाले में जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने उनको जेल में लंबे समय तक रखे जाने को न्याय का उपहास बताया है। सुप्रीम कोर्ट ने ट्रॉयल कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट से भी कड़े सवाल पूछे।

Manish Sisodia released: आप नेता मनीष सिसोदिया शुक्रवार को दिल्ली की तिहाड़ जेल से रिहा हुए। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को कथित शराब नीति घोटाले में सुबह जमानत दी थी। जेल से बाहर आए सिसोदिया का आप नेताओं ने जोरदार स्वागत किया। भारी बारिश के बीच जेल से बाहर आए मनीष सिसोदिया ने भीगते हुए लोगों को धन्यवाद दिया। सिसोदिया ने कहा कि जब से सुबह यह आदेश आया है, मेरा रोम-रोम बाबासाहेब (अंबेडकर) का ऋणी महसूस कर रहा है। मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं बाबासाहेब का यह ऋण कैसे चुकाऊंगा।

सिसोदिया बोले-अरविंद केजरीवाल भी बाहर आएंगे

जेल से बाहर आने के बाद अपने पहले संबोधन में मनीष सिसोदिया ने बारिश के बावजूद स्वागत के लिए जुटे कार्यकर्ताओं से कहा कि मैं आपके प्यार, ईश्वर के आशीर्वाद और सत्य की शक्ति और सबसे बड़ी बात बाबासाहेब के सपने के कारण जेल से बाहर आया हूं। उन्होंने सबसे पहले लोगों का अभिवादन करते हुए कहा कि आप सबको आजाद मनीष सिसोदिया का नमस्कार। मैं जानता हूं कि मुझसे अधिक आपने मेरे लिए कष्ट उठाया है।  उन्होंने कहा कि अगर कोई तानाशाह सरकार सत्ता में आती है और तानाशाही कानून बनाकर विपक्षी नेताओं को जेल में डालती है तो इस देश का संविधान उनकी रक्षा करेगा। मैं आपको विश्वास दिलाता हूं, संविधान की इस शक्ति के साथ, मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी जेल से बाहर आएंगे।

जेल से सीधे वह केजरीवाल के आवास पहुंचे

मनीष सिसोदिया जेल से बाहर आने के बाद दिल्ली के सिविल लाइंस इलाका में स्थित अरविंद केजरीवाल के आवास पहुंचे। उनके आवास पर संजय सिंह की पत्नी भी पहले से पहुंची हुई थीं।

सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जेल को न्याय का उपहास बताया

मनीष सिसोदिया को 8वीं अपील पर जमानत मिली है। कोर्ट ने पिछले साल उनको बीमार पत्नी से मिलने की अनुमति दी थी। शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया को जमानत देते हुए उनको बेवजह जेल में रखे जाने पर सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि सिसोदिया को 18 महीने तक जेल में रखा जाना न्याय का उपहास है।

जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने कहा: नागरिक के जीवन और स्वतंत्रता से संबंधित मामले में - जो संविधान द्वारा गारंटीकृत सबसे पवित्र अधिकारों में से एक है - एक नागरिक को इधर-उधर भागने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रायल कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट से उन्हें असीमित समय तक सलाखों के पीछे रखकर स्वतंत्रता के उनके अधिकार के उल्लंघन पर विचार न करने के लिए कड़े सवाल पूछे। बता दें कि सिसोदिया को फरवरी 2023 में सीबीआई ने और उसके 12 दिन बाद ईडी ने गिरफ्तार किया था।

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