बिहार में SIR की सफलता के बाद अब चुनाव आयोग देशभर के 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में इसका सेकेंड फेज शुरू करने वाला है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने सोमवार को इस बात का ऐलान किया। बिहार चुनाव के बाद इसकी प्रॉसेस शुरू की जाएगी। 

SIR Second Phase: चुनाव आयोग ने सोमवार 27 अक्टूबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ऐलान किया कि मतदाता सूची संशोधन (SIR) का दूसरा चरण 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में होगा। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि SIR के दूसरे चरण में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, गुजरात, गोवा, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप शामिल होंगे। इन राज्यों में आज रात से ही वोटर लिस्ट फ्रीज हो जाएंगी। 

4 नवंबर से शुरू होगा SIR का काम 

SIR का काम 4 नवंबर से शुरू होगी और अंतिम मतदाता सूची (Final Electoral Roll) 7 फरवरी 2026 को पब्लिश की जाएगी। इस दौरान बीएलओ घर-घर जाकर वोटर लिस्ट के अपडेशन का काम करने के साथ ही नए वोटरों के नाम जोड़ने, अवैध वोटरों के नाम हटाने और वोटर लिस्ट में हुई गलतियों को सुधारने का काम पूरा करेंगे। बता दें कि SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ वोटर्स हैं। इस काम में 5.33 लाख बीएलओ और 7 लाख से ज्यादा बीएलए राजनीतिक दलों की ओर से लगाए जाएंगे।

बिहार में कामयाब रहा स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन 

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, मैं बिहार के मतदाताओं को शुभकामनाएं देता हूं और उन 7.5 करोड़ मतदाताओं को नमन करता हूं, जिन्होंने SIR प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभाई और इसे सफल बनाया। अब इसके दूसरे चरण की शुरुआत हो रही है। उन्होंने बताया कि आज रात से ही इन राज्यों में वोटर लिस्ट फ्रीज हो जाएगी। एसआईआर के दूसरे चरण में मतदाता सूची के अपडेशन, नए वोटरों के नाम जोड़ने और गलतियों को सुधारने का काम किया जाएगा।

2026 में इन 5 राज्यों में होने हैं चुनाव

बता दें कि नवंबर, 2025 से चुनाव आयोग देशभर के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन पुनरीक्षण का काम शुरू करेगा। वहीं, 2026 में देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होना है। इनमें असम, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल और पुड्डूचेरी शामिल हैं। इन पांचों राज्यों में 2002 से 2004 के बीच SIR का काम हुआ था। फिलहाल असम में SIR नहीं होगी, क्योंकि वहां नागरिकता से जुड़े नियम अलग हैं। इसलिए वहां इसका काम अलग तरीके से किया जाएगा। 

अब तक कितने बार हो चुका SIR?

1951 से लेकर 2004 के बीच अब तक 8 बार विशेष गहन पुनरीक्षण का काम हो चुका है। बता दें कि एसआईआर के दूसरे चरण में मतदाता सूची के अपडेशन, नए वोटरों के नाम जोड़ने और गलतियों को सुधारने का काम किया जाएगा।

SIR क्यों जरूरी है?

मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के मुताबिक, वोटरों का एक जगह से दूसरी जगह चले जाना, जिसके चलते उनका रजिस्ट्रेशन एक से ज्यादा स्थानों पर हो जाता है। कई बार मरे हुए वोटर्स का नाम कई सालों तक नहीं हट पाता है। वहीं, किसी अवैध शख्स का नाम गलती से वोटर लिस्ट में शामिल हो जाता है। ऐसी कई चीजें हैं, जिनके चलते समय-समय पर SIR जरूरी है।

SIR यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन क्या है?

एसआईआर यानी विशेष गहन पुनरीक्षण एक तरह से मतदाता सूची संशोधन है। ये चुनाव आयोग की एक प्रोसेस है, जिसके तहत वोटर लिस्ट को अपडेट करना, नए वोटर्स का नाम शामिल करना, जो लोग मर चुके हैं उनका नाम हटाना और वोटर्स के नाम, पते, उम्र आदि में गलतियों को ठीक करना शामिल है। इसमें बीएलओ घर-घर जाकर लोगों से फॉर्म भरवाते हैं।