सार
प्रतिसंधियों में टूट कर बिखर जाने वाले नहीं, बल्कि उनसे उठकर संघर्ष करने वाले ही असली योद्धा होते हैं। ऐसी ही एक योद्धा हैं अहमदाबाद की रहने वाली कैब ड्राइवर अर्चना पटेल। अर्चना की कहानी सोशल मीडिया पर उस वक़्त वायरल हुई जब उनके ही एक ग्राहक ने उनकी ज़िंदगी के संघर्ष के बारे में बताया। ग्राहक ने बताया कि जब उन्होंने ओला बुक की तो उन्हें लेने एक महिला ड्राइवर आईं। उन्होंने अपने शहर में कई महिला ऑटो ड्राइवर देखे थे, लेकिन ओला चलाती हुई महिला ड्राइवर पहली बार देखी।
बातचीत के दौरान अर्चना ने अपनी आपबीती उस युवक को बताई जिसे उसने सोशल मीडिया पर शेयर किया। पोस्ट में लिखा है,
''आज अहमदाबाद में, रेलवे स्टेशन जाने के लिए मैंने एक ओला कैब बुक की। कन्फर्मेशन मैसेज में ड्राइवर का नाम अर्चना पटेल बताया गया था।
वो अर्चना थीं। एक उल्लेखनीय महिला। एक ओला कैब चलाना कोई बड़ी बात नहीं होगी, लेकिन जिस तरह से उन्होंने इतनी सहजता और कुशलता से गाड़ी चलाई, वो देखकर मुझे ख़ुशी हुई। पुराने शहर से अहमदाबाद रेलवे स्टेशन तक गाड़ी चलाना, भीड़भाड़ और अनियंत्रित ट्रैफिक से गुजरना हमेशा एक चुनौतीपूर्ण काम होता है। यही मुझे और आकर्षित करता है। इन सबसे बढ़कर, मैं पहली बार ओला या उबर में किसी महिला ड्राइवर से मिला था। अपने शहर सूरत में, मैंने महिला ऑटो चालकों को देखा है, लेकिन ओला या उबर में कभी भी महिला ड्राइवर की सेवाएं नहीं लीं।
आपको लग सकता है कि इसमें इतनी बड़ी बात क्या है। लेकिन, उनकी कहानी उल्लेखनीय है। यह उनकी कहानी है। उनके पति ओला ड्राइवर थे। स्वास्थ्य समस्याओं के कारण वह काम पर नहीं जा पा रहे थे। टैक्सी का लोन बाकी था। ऐसे में अर्चना ने खुद ओला चलाने का फैसला किया।
उन्हें साइकिल चलाना भी नहीं आता था। छह महीने में उन्होंने गाड़ी चलाना सीखा और लाइसेंस प्राप्त किया। गुजरात में लाइसेंस प्राप्त करना और ड्राइविंग टेस्ट पास करना आसान काम नहीं है।
मैं अर्चना की कहानी को नारी शक्ति या बदलते समाज के उदाहरण के रूप में नहीं दिखाना चाहता। आज मैं एक ऐसे व्यक्ति से मिला जिसने अपनी कठिनाइयों को हार नहीं मानी।''
ओजस देसाई नामक युवक द्वारा साझा की गई यह पोस्ट बहुत जल्द वायरल हो गई। अधिकांश लोगों ने टिप्पणी की कि अर्चना वास्तव में एक योद्धा हैं।