सार
कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं के कारण गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विभाजित फैसला आया। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने याचिकाओं को खारिज कर दिया जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने उन्हें अनुमति दी।
Hijab ban verdict: एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिजाब पहनने का मतलब यह नहीं कि कोई मुस्लिम महिला किसी अन्य महिला से कमतर है। अन्य महिलाओं की तरह यह मुस्लिम महिलाओं का भी अधिकार है कि वह क्या पहनें क्या नहीं पहनें। महिलाओं का संवैधानिक अधिकार है कि वे जो चाहें पहनें। एक दिन हिजाब पहनने वाली महिला देश की प्रधानमंत्री बनेगी।
क्या मौलिक अधिकार स्कूलों के गेट पर खत्म हो जाते?
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि देश के कानून हिजाब पहनने का अधिकार देते हैं। हिजाब पहनना या नहीं पहनना, महिला के चयन का हिस्सा हो सकता है लेकिन उसे पहनने से न तो रोका जा सकता है न ही जबरिया पहनाया जा सकता है। उन्होंने पूछा कि क्या मौलिक अधिकार स्कूलों के द्वार पर रुक जाते हैं। हिजाब प्रतिबंध पर सुप्रीम कोर्ट के अलग-अलग निर्णयों के बाद ओवैसी ने इस मसले पर जनसभा में बात रखी। उन्होंने कहा कि मुस्लिम महिलाओं के सिर ढंकने का मतलब यह नहीं है कि वे अपने दिमाग को भी ढक लें। वे कहते हैं कि हम अपनी लड़कियों को धमका रहे हैं। आजकल कौन डरता है?
एक दिन भारत की प्रधानमंत्री बनेगी मुस्लिम महिला
ओवैसी ने जोर देकर कहा कि एक दिन हिजाब पहनने वाली मुस्लिम महिला देश की प्रधानमंत्री बन जाएगी। ओवैसी ने कहा, मैंने पहले भी यह कहा है और फिर से कहूँगा ... कई लोगों के पेट में दर्द और दिल का दर्द हुआ, रात को सो नहीं सके जब मैंने कहा कि अगर मेरे जीवन में नहीं तो मेरे बाद एक मुस्लिम महिला हिजाब पहनकर प्रधानमंत्री बन जाएगी।
सांसद ओवैसी ने कहा कि यह मेरा सपना है। इसमें गलत क्या है? लेकिन आप कह रहे हैं कि हिजाब नहीं पहनना चाहिए। फिर क्या पहनना है? बिकनी? आपको भी इसे पहनने का अधिकार है। आप क्यों चाहते हैं कि मेरी बेटियां अपना हिजाब उतार दें और मैं दाढ़ी नहीं रखूं? आप क्यों चाहते हैं कि इस्लाम और मुस्लिम संस्कृति मेरे साथ न रहे।
हिजाब पर प्रतिबंध मुस्लिम महिलाओं को कमतर होने का संकेत देता
हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि हिजाब पर प्रतिबंध मुस्लिम महिलाओं को कमतर होने का संकेत देता है। यह दूसरे धर्मों के छात्रों को संकेत देता है कि मुसलमान हीन हैं। उन्होंने कहा कि जब एक हिंदू, एक सिख और एक ईसाई छात्र को अपने धार्मिक चिह्न या लिबास के साथ क्लास में प्रवेश करने की अनुमति दी जाती है और एक मुस्लिम को रोका जाता है तो वे मुस्लिम छात्र के बारे में क्या सोचते हैं? जाहिर है, वे सोचेंगे कि मुसलमान हमसे नीचे हैं।
बेटियां जो चाहेंगी वही पहनेंगी, संविधान दिया है यह अधिकार
एआईएमआईएम के सांसद ओवैसी ने कहा कि आरएसएस जैसे संगठन यह तय नहीं कर सकते हैं कि मुसलमान क्या पहने। उनके फैसले कोई मायने नहीं रखते हैं, और मुस्लिम लड़कियां हिजाब पहनती रहेंगी जैसे वे अपनी पसंद से हैं। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान इसकी अनुमति देता है। आप वही पहनते हैं जो आप चाहते हैं, और हम वही पहनेंगे जो हम चाहते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा है मामला
कर्नाटक हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं के कारण गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में एक विभाजित फैसला आया। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता ने याचिकाओं को खारिज कर दिया जबकि न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया ने उन्हें अनुमति दी। याचिका को खारिज करने के लिए अपने फैसले में 11 सवालों का जवाब देने वाले न्यायमूर्ति गुप्ता ने कहा कि मतभेद है। वह कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश से सहमत हैं।कर्नाटक High court ने स्कूलों और कॉलेजों में कुछ मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब पर प्रतिबंध हटाने से इनकार कर दिया था। कर्नाटक के एक मंत्री ने गुरुवार को कहा था कि विभाजित फैसले के बावजूद हिजाब प्रतिबंध वैध है।
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