सार

एअर इंडिया के अधिग्रहण में टाटा संस की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है, क्योंकि भाजपा सांसद सुब्रह्मण्यम स्वामी (subramanian swamy) ने दिल्ली हाईकोर्ट से एअर इंडिया (Air India) विनिवेश प्रक्रिया को रद्द करने की गुहार लगाई है। उनकी याचिका पर आज दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई भी हुई। कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है, कोर्ट इस मामले पर अपना फैसला छह जनवरी को सुनाएगा। आइए जानते है पूरा मामला
 

नई दिल्ली :  मोदी सरकार के निर्णयों की आलोचना करने को लेकर चर्चा में रहने वाले बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी (bjp leader subramanyam swami) की एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग वाली याचिका पर आज हाईकोर्ट (delhi high court) में सुनवाई हुई। हाईकोर्ट ने याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है और छह जनवरी को अपना फैसला सुनाएगा। जिसके बाद से अटकलें लगाईं जा रही हैं कि यदि कोर्ट में एअर इंडिया विनिवेश का मामला लंबा खींचता है, तो इससे टाटा संस की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। आइए जानते हैं क्या है पूरा मामला....

केंद्र को लिखित नोट दाखिल करने का निर्देश
चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने स्वामी की याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने इस मामले को लेकर अपना लिखित नोट कोर्ट में आज ही दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके अलावा कोर्ट ने स्वामी को कल तक लिखित नोट दाखिल करने का निर्देश दिया।

विनिवेश प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हूं
आज कोर्ट में सुनवाई के दौरान स्वामी ने कहा कि मैं एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया के खिलाफ नहीं हूं, बल्कि में विनिवेश के पक्ष में हूं, लेकिन मैंने सदैव खुले बाजार के विचार में विश्वास किया है। 

स्वामी ने लगाया ये आरोप
स्वामी ने आरोप लगया है कि एअर इंडिया की विनिवेश प्रक्रिया में बोली मनमानी, भ्रष्ट, असंवैधानिक और जनहित के खिलाफ थी, उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि टाटा संस के पक्ष में धांधली की गई है।  स्वामी की मांग है कि एअर इंडिया की विनिवेश की प्रक्रिया को निरस्त किया जाना चाहिए और इसके साथ ही इस मामले की जांच सीबाआई से करवानी चाहिए। 

एअर इंडिया के विनिवेश की घोषणा के बाद से ही विरोध कर रहे स्वामी
आपको बता दें कि मोदी सरकार ने दो साल पहले एअर इंडिया के विनिवेश की घोषणा की थी, तब से ही सुब्रमण्यम स्वामी इसका विरोध कर रहे हैं। इससे पहले स्वामी ने ट्वीट किया था कि यह सौदा पूरी तरह से देश के खिलाफ है। ऐसा करके मुझे कोर्ट का रुख करने के लिए विवश किया जा रहा है। 

पिछले साल टाटा संस ने एअर इंडिया की बोली जीती थी 
ज्ञात हो कि पिछले साल 25 अक्टूबर को टाटा संस ने 18,000 करोड़ रुपये में कर्ज से जूझ रही एअर इंडिया के अधिग्रहण की बोली जीती थी, इसी के साथ ही एअर इंडिया (Air India) की टाटा समूह (Tata Group) के घर वापसी हो गई थी, बता दें कि 1932 में जेआरडी टाटा ने एअर इंडिया की शुरुआत की थी। तब इसका नाम टाटा एअरलाइन था।  

एअर इंडिया को लेकर सरकार और टाटा संस के बीच समझौता भी हुआ था। विनिवेश की शर्तों के तहत, टाटा संस सौदे के एवज में सरकार को 2,700 करोड़ रुपये देगी और एअरलाइन पर बकाया 15,300 करोड़ रुपये के कर्ज की देनदारी लेगी। उस वक्त सरकार ने कहा था अधिग्रहण से जुड़ीं औपचारिकताओं को दिसंबर के अंत तक पूरी कर ली जाएंगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया, ऐसा अनुमान लगाया जा रहा था कि अधिग्रहण को जनवरी तक पूरा कर लिया जाएगा, लेकिन यह मामला हाई कोर्ट में पहुंच गया है और कोर्ट में यह मामला लंबा भी खिंच सकता है।