Delhi Air Quality CPCB Samir App: क्या भारत एक साइलेंट हेल्थ इमरजेंसी की ओर बढ़ रहा है? केंद्र सरकार ने सभी जिलों में चेस्ट क्लीनिक खोलने का आदेश दिया-अब अस्पतालों में सांस की बीमारियों पर स्पेशल वॉच! क्या यह वायु प्रदूषण की असली तबाही की शुरुआत है?
Air Pollution Health Advisory 2025: भारत में वायु प्रदूषण अब सिर्फ पर्यावरणीय नहीं, बल्कि जन स्वास्थ्य आपातकाल (Public Health Emergency) बन चुका है। इसी खतरे को देखते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने देशभर के सभी राज्यों और जिलों में नई एयर पॉल्युशन हेल्थ एडवाईजरी 2025 (Air Pollution Health Advisory 2025) जारी की है। इस गाइडलाइन के तहत, हर सरकारी अस्पताल में “चेस्ट क्लीनिक” (Chest Clinic) खोलने का आदेश दिया गया है, ताकि वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों का समय रहते इलाज हो सके।
क्या है नया आदेश-हर अस्पताल में बनेगा ‘चेस्ट क्लीनिक’?
नई गाइडलाइन के मुताबिक, राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (NPCCHH) के तहत अब जिला अस्पतालों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC) और शहरी स्वास्थ्य केंद्रों (UHC) में विशेष चेस्ट क्लीनिक बनाए जाएंगे।
इन क्लीनिकों में वायु प्रदूषण से जुड़ी बीमारियों जैसे-
- अस्थमा (Asthma)
- ब्रोंकाइटिस (Bronchitis)
- COPD (Chronic Obstructive Pulmonary Disease)
- हार्ट डिज़ीज़ (Heart Diseases)
की जांच, इलाज और फॉलो-अप किया जाएगा।
इन क्लीनिकों को निर्देश दिया गया है कि वे हर मरीज का डिजिटल रिकॉर्ड रखें और वायु प्रदूषण से जुड़े मामलों की दैनिक रिपोर्टिंग करें।
घर-घर निगरानी और आशा कार्यकर्ता की भूमिका
केंद्र सरकार ने आशा (ASHA) और ANM वर्कर्स को घर-घर जाकर ऐसे लोगों की पहचान करने का आदेश दिया है जो प्रदूषण के प्रति संवेदनशील हैं- जैसे बच्चे, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं, और पहले से फेफड़ों या हृदय रोग से पीड़ित मरीज।
ये कार्यकर्ता परिवारों को सलाह देंगे कि:
- खराब AQI वाले दिनों में बाहर न निकलें,
- घर में हवा का सही वेंटिलेशन रखें,
- और स्वच्छ कुकिंग फ्यूल (Clean Cooking Fuel) का इस्तेमाल करें।
धूल और निर्माण स्थलों पर सख्ती
केंद्र ने सभी राज्यों को निर्माण स्थलों पर Dust Control के लिए सख्त कदम उठाने को कहा है। अब हर साइट पर पानी का छिड़काव, सामग्री ढकना, और मजदूरों के लिए मास्क व हेल्थ चेकअप अनिवार्य होगा। कंस्ट्रक्शन कंपनियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे श्रमिकों की श्वसन स्वास्थ्य निगरानी का रिकॉर्ड रखें और लंबे एक्सपोज़र से बचने के उपाय करें।
स्कूलों के लिए खास गाइडलाइन-AQI खराब तो ऑनलाइन क्लास
- कक्षा 5 तक के स्कूलों को सलाह दी गई है कि जब वायु गुणवत्ता “खराब” (AQI Poor) या उससे ऊपर हो, तो वे ऑफलाइन क्लास रोककर ऑनलाइन क्लास शुरू करें।
- इसके साथ ही स्कूलों से कहा गया है कि वे रोज़ाना AQI मॉनिटर करें और बच्चों की बाहरी गतिविधियाँ (Outdoor Activities) तुरंत रोक दें।
क्या भारत में बढ़ रहा है ‘Health Emergency’?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, पिछले एक वर्ष में श्वसन और हृदय रोगों के मामलों में 28% की वृद्धि दर्ज की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि वायु प्रदूषण केवल फेफड़ों को नहीं, बल्कि हृदय, मस्तिष्क और नर्वस सिस्टम को भी नुकसान पहुंचा रहा है। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहना फेफड़ों के कैंसर (Lung Cancer), स्ट्रोक (Stroke) और दिल की बीमारियों (Cardiac Disorders) का कारण बन सकता है।
