अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन जवाद सिद्दीकी को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में 13 दिन की ED हिरासत में भेजा गया है। उन पर यूनिवर्सिटी की फर्जी मान्यता बताकर छात्रों से धोखाधड़ी करने और ₹415 करोड़ से अधिक की हेराफेरी का आरोप है।
नई दिल्ली: दिल्ली की एक कोर्ट ने अल फलाह ग्रुप के चेयरमैन, जवाद अहमद सिद्दीकी को 1 दिसंबर तक के लिए 13 दिनों की ED की हिरासत में भेज दिया है। कोर्ट ने कहा कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि उन्होंने बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, फर्जी मान्यता के दावों और अल-फलाह यूनिवर्सिटी के इकोसिस्टम से फंड की हेराफेरी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध किया है।
ED की दलीलों की जांच के बाद, अदालत ने माना कि जांच अभी "शुरुआती चरण" में है। कथित वित्तीय अपराध "गंभीर" हैं और अपराध की आगे की कमाई का पता लगाने, दागी संपत्तियों को खुर्द-बुर्द होने से रोकने, और गवाहों को प्रभावित करने या इलेक्ट्रॉनिक और वित्तीय रिकॉर्ड को नष्ट करने से बचाने के लिए हिरासत में पूछताछ जरूरी है।
प्रवर्तन निदेशालय ने 18 नवंबर, 2025 को PMLA की धारा 19 के तहत सिद्दीकी को अल-फलाह चैरिटेबल ट्रस्ट से जुड़े कथित मनी लॉन्ड्रिंग के सिलसिले में गिरफ्तार किया, जो यूनिवर्सिटी और उसके शैक्षणिक संस्थानों को नियंत्रित करता है।
ED की यह कार्रवाई 13 नवंबर, 2025 को दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच द्वारा दर्ज की गई दो FIR के बाद हुई है। FIR में आरोप है कि अल-फलाह यूनिवर्सिटी और उससे जुड़े संस्थानों ने एक्सपायर हो चुके NAAC एक्रेडिटेशन ग्रेड का झूठा प्रचार किया। यूनिवर्सिटी ने UGC अधिनियम की धारा 12(B) के तहत UGC से मान्यता मिलने के झूठे दावे किए, जबकि उसने इसके लिए कभी आवेदन ही नहीं किया था और वह अनुदान के लिए अयोग्य थी। इन दावों का इस्तेमाल कथित तौर पर छात्रों और अभिभावकों को यह विश्वास दिलाने के लिए किया गया कि संस्थान के पास वैध मंजूरी और विश्वसनीयता है, जिससे धोखाधड़ी से एडमिशन और फीस वसूली गई।
अदालत ने दर्ज किया कि ED के वित्तीय विश्लेषण से पता चला है कि अल-फलाह संस्थानों ने वित्त वर्ष 2018-19 और 2024-25 के बीच छात्रों की फीस से लगभग ₹415.10 करोड़ कमाए, जबकि यूनिवर्सिटी कथित तौर पर अपनी NAAC मान्यता और UGC स्थिति के बारे में गलत जानकारी दे रही थी। अदालत ने कहा कि यह पैसा धोखाधड़ी और जालसाजी से हासिल किया गया लगता है, जो इसे PMLA के तहत अपराध की कमाई बनाता है।
18 नवंबर, 2025 को 19 जगहों पर की गई तलाशी में ₹48 लाख नकद, डिजिटल डिवाइस, वित्तीय रिकॉर्ड और शेल कंपनियों के सबूत बरामद हुए। ED ने अदालत को बताया कि निर्माण और कैटरिंग के ठेके सिद्दीकी के परिवार से जुड़ी फर्मों को दिए गए थे और वरिष्ठ अधिकारियों ने पुष्टि की कि सभी बड़े वित्तीय फैसले वही मंजूर करते थे। एजेंसी ने पैसे के लेन-देन को छिपाने के लिए इस्तेमाल की गई फंड लेयरिंग और संबंधित संस्थाओं की ओर भी इशारा किया।
13 दिनों की हिरासत देते हुए, अदालत ने कहा कि अपराध की और कमाई का पता लगाने, संपत्तियों को खुर्द-बुर्द होने से रोकने और डिजिटल व वित्तीय रिकॉर्ड के साथ छेड़छाड़ से बचने के लिए ED की पूछताछ जरूरी है। अदालत ने सिद्दीकी के संसाधनों और विदेश में पारिवारिक संबंधों को देखते हुए गवाहों को प्रभावित करने और देश छोड़कर भागने के जोखिम का भी हवाला दिया। सिद्दीकी के वकील ने दावा किया कि FIR झूठी हैं और वह सहयोग करने के लिए तैयार हैं, लेकिन अदालत ने आरोपों की गंभीरता के कारण हिरासत को उचित ठहराया। ED ने कहा है कि अपराध की कमाई अब तक पहचाने गए ₹415 करोड़ से ज़्यादा हो सकती है और वह फंड के प्रवाह, शेल कंपनियों, संपत्तियों और परिवार के सदस्यों व पदाधिकारियों की भूमिकाओं की जांच कर रही है।


