सार
ऑल्ट न्यूज के सह संस्थापक मोहम्मद जुबैर की याचिका पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर को आंशिक राहत देते हुए यूपी पुलिस को यह आदेश दिया है कि अगली सुनवाई तक वह उनके खिलाफ किसी मामले में कोई कार्रवाई न की जाए।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से सोमवार को फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Mohammad Zubair) को अस्थायी राहत मिली है। कोर्ट ने यूपी पुलिस (UP Police) से बुधवार को अगली सुनवाई तक जुबैर के खिलाफ पांच मामलों में कोई भी कार्रवाई न करने का निर्देश दिया है। मोहम्मद जुबैर को छठें मामले में पहले ही जमानत मिल चुकी है। हालांकि, अन्य एफआईआर की वजह से वह अभी जेल में ही हैं। पत्रकार जुबैर चाहते हैं कि कोर्ट उनको जमानत के साथ ही सभी मामलों को रद्द करें।
सोमवार को यूपी सरकार (UP Government) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से अन्य अदालतों को कोई आदेश पारित करने से नहीं रोकने का आग्रह किया। इस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड (Justice DY Chandrachud) ने कहा कि यह समस्या दुष्चक्र है कि किसी को एक मामले में अंतरिम जमानत मिलती है परंतु किसी अन्य मामले में उसे गिरफ्तार कर लिया जाता है।
जुबैर को चार साल पुराने मामले में किया गया अरेस्ट
फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर (Fact Checker Mohammad Zubair) को 27 जून को दिल्ली में चार साल पुराने एक ट्वीट के लिए दर्ज प्राथमिकी पर गिरफ्तार किया गया था जिसमें उन्होंने 1983 की एक फिल्म की एक तस्वीर साझा की थी। इसके बाद उनके खिलाफ यूपी के सीतापुर में केस दर्ज किया गया था। उन्हें कुछ हिंदू दक्षिणपंथी नेताओं को नफरत करने वाला कहने पर यूपी के सीतापुर में गिरफ्तार किया गया था। तब से उन्हें उन दोनों मामलों में जमानत मिल गई है।
मुख्य न्यायाधीश की पीठ ने दिया आदेश
इससे पहले, मुख्य न्यायाधीश एन वी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने जुबैर के वकील वृंदा ग्रोवर की दलीलों पर ध्यान दिया कि याचिकाकर्ता, एक तथ्य जांचकर्ता और पत्रकार, कई प्राथमिकी का सामना कर रहा है और उसकी याचिका पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के समक्ष इसे सूचीबद्ध करें। आप उस पीठ के समक्ष उल्लेख कर सकते हैं।
इन जगहों पर है केस दर्ज किया गया
जुबैर के खिलाफ सीतापुर, लखीमपुर खीरी, गाजियाबाद, मुजफ्फरनगर और हाथरस जिलों में कथित तौर पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने, न्यूज एंकरों पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने, हिंदू देवताओं का अपमान करने और भड़काऊ पोस्ट करने के आरोप में अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है।
यूपी पुलिस के एफआईआर क्वैश करने के लिए याचिका
जुबैर की ताजा याचिका में यूपी सरकार द्वारा छह मामलों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन को भी चुनौती दी गई है। याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश में दर्ज सभी छह प्राथमिकी जिन्हें जांच के लिए एसआईटी को हस्तांतरित किया गया है, प्राथमिकी का विषय है जिसकी जांच दिल्ली पुलिस की विशेष शाखा कर रही है।
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