सार

पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने 31 जुलाई 2014 में मुल्क की सबसे पुरानी पार्टी आल इंडिया मुस्लिम लीग की लीगेसी को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट में अविभाजित हिन्दुस्तान में बनी आल इंडिया मुस्लिम लीग की पूरी कहानी है। 

नई दिल्ली। कर्नाटक में ड्रेस कोड लागू होने के बाद हिजाब को लेकर पूरे देश में बहस शुरू हो चुकी है। मुस्लिम लड़कियों को हिजाब पहनकर स्कूल-कॉलेजों में जाने की बात हो रही है। मामला कोर्ट-कचहरी तक पहुंच चुका है। कोर्ट इस मामले में लगातार सुनवाई कर रहा है। लेकिन जानकार बताते हैं कि हिजाब भारतीय मुस्लिम लड़कियों का कभी ड्रेस रहा ही नहीं है। आजादी के पहले मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली आल इंडिया मुस्लिम लीग की स्टूडेंट विंग में लड़कियों हिजाब का कभी इस्तेमाल नहीं करती थीं। उस वक्त के स्टूडेंट विंग की मुस्लिम लड़कियों के कई ग्रुप फोटोग्राफ्स जिन्ना के साथ हैं लेकिन सब बिना हिजाब की हैं। पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन में 2014 में जिन्ना पर छपी एक रिपोर्ट में कई ऐसे फोटो अटैच हैं जिसमें हिजाब नहीं है। 

डॉन ने छापी है पाकिस्तान की सबसे पुरानी पार्टी पर रिपोर्ट

दरअसल, पाकिस्तान के प्रमुख अखबार डॉन ने 31 जुलाई 2014 में मुल्क की सबसे पुरानी पार्टी आल इंडिया मुस्लिम लीग की लीगेसी को लेकर एक विस्तृत रिपोर्ट छापी है। इस रिपोर्ट में अविभाजित हिन्दुस्तान में बनी आल इंडिया मुस्लिम लीग की पूरी कहानी है। कायदे-आजम मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग पर छपी इस रिपोर्ट में तमाम पुराने फोटोज का इस्तेमाल किया गया है। इस रिपोर्ट में लीग के स्टूडेंट विंग का भी जिक्र किया गया है। इस विंग में शामिल मुस्लिम लड़कियों जिनको मुस्लिम वीमेन गार्ड्स कहा गया है, के ग्रुप फोटो कायदे-आजम के साथ हैं। इस फोटो में कोई भी लड़की हिजाब नहीं पहने हुए है। 

क्या है हिजाब विवाद, कैसे शुरू हुआ?

हिजाब विवाद कर्नाटक में दिसंबर के अंत में शुरू हुआ, जब उडुपी में एक सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज के कुछ छात्रों को हेडस्कार्फ़ पहनकर कक्षाओं में भाग लेने के लिए कहा गया। इसके बाद मामला राज्य के विभिन्न हिस्सों में फैल गया, जिसमें दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा समर्थित युवाओं ने भगवा स्कार्फ पहनकर जवाब दिया।

ड्रेस कोड लागू होने के बाद पूरे देश में रहा यहां हिजाब विवाद

कर्नाटक में 5 फरवरी को राज्य सरकार द्वारा सभी स्कूलों और कॉलेजों में एक ड्रेस कोड अनिवार्य करने का आदेश जारी कर दिया था। सरकार ने समानता, अखंडता और सार्वजनिक कानून और व्यवस्था को बिगाड़ने का हवाला देकर ड्रेस कोड लागू कर दिया था। हालांकि, कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने के बाद कर्नाटक में एक विवाद छिड़ गया। आदेश के बाद, मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले हिजाब पहने कुछ लड़कियों को परिसर में प्रवेश से इनकार कर दिया गया। इससे छात्रों और कॉलेज प्रशासन के बीच गतिरोध पैदा हो गया। 7 फरवरी को, उन्हें अंततः कॉलेज में प्रवेश करने की अनुमति दी गई, लेकिन उन्हें अलग-अलग कक्षाओं में बैठने के लिए कहा गया। इसके बाद पूरे देश में यह मामला तूल पकड़ने लगा। मामला सुप्रीम कोर्ट और कर्नाटक हाईकोर्ट में भी है। फिलहाल, कोर्ट इस मामले में सुनवाई लगातार कर रहा है। 

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