सार
क्या देश की पॉलिटिक्स अब उस मोड़ पर है, जहां अब कोई मुस्लिम प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बन पाएगा? हैश टैग Muslim PM सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है। यह विवाद जाने-माने जर्नलिस्ट और फिल्ममेकर प्रीतिश नंदा ने छेड़ा है। जानिए क्यों वायरल हो रहा यह मुद्दा...
नई दिल्ली.संसद का मानसून सत्र 18 जुलाई से 12 अगस्त तक चलेगा। यह सत्र (Parliament Monsoon Session) इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसमें देश को 15वां राष्ट्रपति(presidential election) मिलेगा। इससे पहले इस संवैधानिक पद को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश हुई है। क्या देश की पॉलिटिक्स अब उस मोड़ पर है, जहां अब कोई मुस्लिम प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति नहीं बन पाएगा? हैश टैग Muslim PM सोशल मीडिया पर ट्रेंड में है। यह विवाद जाने-माने जर्नलिस्ट और फिल्ममेकर प्रीतिश नंदा ने छेड़ा है। जानिए क्यों वायरल हो रहा यह मुद्दा...
देश के इलेक्शन सिस्टम और समावेशिता पर उठाए सवाल
2022 के राष्ट्रपति चुनाव से पहले जर्नलिस्ट प्रीतीश नंदी ने भारत की समावेशिता और देश की चुनावी प्रणाली(India’s inclusivity and the integrity of the country’s electoral system) की अखंडता पर सवाल उठाए हैं। नंदी ने एक tweet करके कहा कि जबकि एक आदिवासी महिला पहली बार देश की राष्ट्रपति बन रही है, क्या कोई मुस्लिम प्रधान मंत्री या राष्ट्रपति बनेगा? इसका अर्थ यह है कि ऐसा कभी नहीं होगा। नंदी ने 17 जुलाई को किए tweet में भारत के सुप्रीम इलेक्शन आफिस पर इस तरह का कमेंट करके उसमें विविधता की कमी( lack of diversity) दिखाने की कोशिश की है।
अमेरिका और ब्रिटेन का उदाहरण दिया
नंदी ने कहा कि एक भारतीय मूल की महिलाकमला हैरिस(Kamala Harris-कमला हैरिस) अमेरिका की उपराष्ट्रपति है। एक भारतीय मूल के व्यक्ति(Rishi Sunak-ऋषि सुनक, ब्रिटेन के संभावित पीएम) ब्रिटेन का प्रधान मंत्री बनने जा रहा है, लेकिन क्या भारत में जन्मा मुसलमान फिर कभी भारत का प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति बनेगा? नंदी ने विवाद को हवा देकर कहा कि क्या आप हर 7 भारतीयों में से 1 को उच्च राजनीतिक पद के लिए अयोग्य बना सकते हैं?
हालांकि नंदी के सवाल पर प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं
नंदी के सवाल पर मीडिया पर कुछ प्रतिक्रियाएं भी आई हैं। इसमें कहा गया कि न केवल भाजपा, बल्कि इसके पहले कांग्रेस ने भी 2 मुस्लिम राष्ट्रपतियों को नियुक्त किया था-जाकिर हुसैन (1967-1969) और फखरुद्दीन अली अहमद (1974-1977)। साथ ही भाजपा की तरफ से बनाए गए देश के सबसे प्रिय राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम का भी जिक्र किया गया। वहीं, सिख राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह (1982-1987) और सिख प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह (2004-2014) के अलावा मुस्लिम उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी (जो अब विवादों में हैं) के कार्यकाल को भी ध्यान दिलाया गया।
अब जानें राष्ट्रपति चुनाव का गणित
15वें राष्ट्रपति के चुनाव के लिए एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं। 21 जुलाई को काउंटिंग होगी। पार्टियों के समर्थन के हिसाब से द्रौपदी मुर्मू का राष्ट्रपति बनना तय है। 21 जून को मुर्मू की उम्मीदवारी का ऐलान किया गया था। उस समय एनडीए के खाते में 5,63,825 मतलब 52% वोट थे। जबकि 24 विपक्षी दलों के साथ से सिन्हा के खाते में 4,80,748 यानी 44% वोट माने गए। लेकिन बाद में कई गैर एनडीए दल समर्थन में आने से मुर्मू और आगे निकल गईं। अगर सभी 10,86,431 वोट डलते हैं, तो 6.67 लाख (61%) से अधिक वोट मुर्मू को मिलने की उम्मीद है। जबकि सिन्हा के वोट घटकर 4.19 लाख रह जाएगा। जीत के लिए 5,40,065 वोटों की जरूरत है।
अब पढ़िए कुछ सोशल मीडिया पर आए कमेंट़्स
हे प्रीति, क्या कोई मौका है कि आप सऊदी अरब या संयुक्त अरब अमीरात या कतर या कम से कम बांग्लादेश या पाकिस्तान या यहां तक कि अफगानिस्तान के राष्ट्रपति बन सकते हैं? @TruthCantHid
कमला हैरिस अमेरिकी नागरिक हैं, ऋषि सुनक ब्रिटिश नागरिक हैं। वे ऑरिजन के आधार पर नहीं बल्कि मेरिट के आधार पर अपने पदों पर आए हैं। सभी भारतीयों को धर्म, जाति और पंथ के बावजूद योग्यता के आधार पर अग्रणी पदों पर रहने दें। आप जैसे वरिष्ठ पत्रकारों को विभाजनकारी बयान नहीं देना चाहिए। @prettypadmaja
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