सार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना साल 2016-17 में देशभर में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत किसानों को फसल सुरक्षा और नुकसान होने पर बीमित धनराशि का भुगतान किया जाता है।

Pradhanmantri Fasal Bima Yojana: प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना यानी पीएमएफबीवाई किसानों को उनके फसल की सुरक्षा का सबसे कारगर उपाय साबित हो रहा है। फसल के नुकसान अथवा अन्य प्रकार की क्षति पर फसल बीमा मुआवजा किसानों को मिलता है। 8 सालों में देश में करीब 1.54 लाख करोड़ रुपये की धनराशि किसानों को फसल नुकसान होने पर भरपाई के लिए बांटा जा चुका है।

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना साल 2016-17 में देशभर में शुरू किया गया था। इस योजना के तहत किसानों को फसल सुरक्षा और नुकसान होने पर बीमित धनराशि का भुगतान किया जाता है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों की मानें तो देशभर के 56.96 करोड़ किसानों का फसल बीमा कराया जा चुका है। इन आठ सालों में किसानों को बीमा की धनराशि के रूप में 1.54 लाख करोड़ रुपये मुआवजा भी बांटा जा चुका है।

दरअसल, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) का उद्देश्य किसानों को एक सरल, सस्ते और व्यापक फसल बीमा उत्पाद उपलब्ध कराना है । यह योजना बुवाई से लेकर कटाई के बाद तक के सभी गैर-रोकथाम प्राकृतिक जोखिमों को कवर करती है। यह योजना कीटों या बीमारियों के कारण फसल खराब होने की स्थिति में भी वित्तीय सहायता सुनिश्चित करती है।

क्या और कौन-सी विशेषताएं हैं फसल बीमा योजना की?

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) फसलों के लिए अधिक लाभदायक साबित हो सकती है। पीएमएफबीवाई के तहत प्रीमियम कैपिंग को समाप्त करने से किसान बिना कटौती के पूर्ण दावा राशि प्राप्त कर सकते हैं। पीएमएफबीवाई, स्थानीय आपदाओं जैसे ओलावृष्टि, भूस्खलन, बाढ़ और जंगल की आग के साथ-साथ चक्रवात, भारी बारिश और ओलावृष्टि से बाद फसलों को होने वाले नुकसान के लिए व्यक्तिगत खेतों को भी कवर करता है।

टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से फसल बीमा राशि भुगतान में आसानी

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के अंतर्गत बीमा कराने वाले किसानों को जल्द से जल्द फसल का नुकसान आंकलन हो सके इसके लिए रिमोट सेंसिंग, स्मार्टफोन और ड्रोन टेक्निक का प्रयोग किया जाता है। राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल (NCIP) किसानों-बीमाकर्ता-बैंक कनेक्शन से जुडी प्रक्रियाओं को डिजिटाइज़ करता है। यील्ड एस्टीमेट सिस्टम बेस्ड ऑन टेक्नोलॉजी (येस-टेक) के जरिये रिमोट सेंसिंग आधारित सटीक उपज का अनुमान लगाया जाता है । क्रॉपिक (वास्तविक समय की तस्वीरों का संग्रह और फसलों का अवलोकन) फसलों के नुकसान को सत्यापित किया जा सकता है। जियो टैगिंग इसमें महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है।

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