केजरीवाल ने ड्यूटी के दौरान अपनी जान गंवाने वाले Air Force, Delhi Police and Civil Defense के 6 कर्मचारियों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी। लेकिन twitter पर सवाल उठाया गया है कि यह पैसा अब तक नहीं मिला।

नई दिल्ली. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने विज्ञापनों के लिए हमेशा विपक्ष के निशाने पर रहे हैं। उन पर आरोप लगते रहे हैं कि वे विज्ञापनों पर करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाते हैं, जबकि जरूरतमंदों तक यह पैसा नहीं पहुंचता या लोगों को सरकारी की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। अब twitter पर शहीदों के परिजनों को दी जाने वाली राहत राशि की देरी पर सवाल खड़े किए हैं।

विज्ञापनों के लिए पैसा है, शहीदों के लिए
twitter पर सवाल उठाए गए हैं कि केजरीवाल ने जिस शहीदों के परिजनों को 1-1 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया था, वो अभी तक नहीं मिला। प्रक्रिया प्रोसेस के नाम पर अटकी पड़ी है। एक यूजर ने लिखा-सिर्फ विज्ञापनों के लिए पैसा है 'शहीद' के लिए नहीं? दिल्ली सरकार सार्वजनिक रूप से दावा कर रही है कि उसने पहले ही शहीदों को अनुग्रह राशि दी है, लेकिन RTI (Right to Information) से पता चलता है कि भुगतान अभी भी प्रक्रिया में है। 

pic.twitter.com/kD74LHbw9h

Scroll to load tweet…

जुलाई में 6 शहीदों के परिजनों को सहायता देने का किया था ऐलान
twitter पर जिस 6 शहीदों के नाम का जिक्र किया है, वे वायुसेना, दिल्ली पुलिस और सिविल डिफेंस (Air Force, Delhi Police and Civil Defense) से जुड़े हैं। केजरीवाल ने 19 जून को उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के tweet को retweetकिया था। इसमें लिखा था-देश को बाहरी और भीतरी खतरों से बचाते हुए सुप्रीम शहादत देने वाले इन जांबाज़ों को मैं नमन करता हूं। दिल्ली सरकार इनके परिवारों को एक एक करोड़ रुपए की सम्मान राशि देगी। हम इन परिवारों को कहना चाहते हैं - देश आपके साथ है, देश को आपके बेटे/बेटी पर गर्व है।

https://t.co/FP6Sju4W22

Scroll to load tweet…

कोरोना वॉरियर्स के लिए भी कर चुके हैं ऐसा ही ऐलान
दिल्ली सरकार कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर अपनी जान गंवाने वाले वॉरियर्स के परिजनों के लिए भी 1-1 करोड़ रुपए देने का ऐलान कर चुके हैं।

यह भी पढ़ें
केरल के सीएम पिनराई विजयन ने की केन्द्र सरकार की तारीफ, इस काम के लिए कहा- धन्यवाद
कश्मीर को अलग देश बताने पर कैप्टन ने ली सिद्धू के एडवायजर की क्लास, अगर जानकारी नहीं है, तो मत बोलें