सार
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि हम लगातार चीन से सामान खरीदना जारी रखे हुए हैं। क्यों? जब चीनी आक्रामकता बढ़ी तो उसके बाद के वर्ष में 95 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा। बीजेपी सरकार को हमारे सैनिकों के जीवन की परवाह नहीं है।
Arvind Kejriwal on China dispute: अरुणाचल प्रदेश के तवांग क्षेत्र में चीनी सेना की घुसपैठ की नाकाम कोशिश और केंद्र सरकार के सबकुछ ठीक है के बयान पर अरविंद केजरीवाल ने तंज कसा है। केजरीवाल ने कहा कि चीन की आक्रामकता बढ़ रही है, सीमा पर तनाव बढ़ा है लेकिन केंद्र सरकार सिर्फ यह बताने में व्यस्त है कि सबकुछ ठीक है। केंद्र सरकार एलएसी पर घुसपैठ करने वालों को जवाब देने के लिए रणनीति बनाने की बजाय उनको पुरस्कृत करने का काम कर रही है। बीजेपी सरकार को सैनिकों के हितों और उनके जीवन से कोई परवाह नहीं है।
चीन के साथ व्यापार लगातार बढ़ाने का औचित्य क्या?
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि भारत सरकार का चीन को लेकर सिर्फ एक ही उद्देश्य है कि देशभर में यह कहती रहे कि सबकुछ ठीक है। उन्होंने कहा कि चीनी आक्रामकता बढ़ रही है, सीमा पर तनाव बढ़ रहा है, भाजपा सरकार का उद्देश्य यह बताना है कि सब कुछ ठीक है। चीन को दंडित करने के बजाय, केंद्र सरकार उन्हें पुरस्कृत कर रही है। उन्होंने कहा कि हम लगातार चीन से सामान खरीदना जारी रखे हुए हैं। क्यों? सिर्फ 2020-21 में हमने चीन से 65 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा है। जब चीनी आक्रामकता बढ़ी तो उसके बाद के वर्ष में 95 बिलियन डॉलर का सामान खरीदा। क्या हम मेक इन इंडिया को नहीं प्रोत्साहित कर सकते हैं। बीजेपी सरकार को हमारे सैनिकों के जीवन की परवाह नहीं है।
चीन ने की थी 9 दिसंबर को नाकाम कोशिश
भारतीय सेना ने कहा कि 9 दिसंबर को पीएलए के सैनिकों ने तवांग सेक्टर में एलएसी पर घुसपैठ की कोशिश की जिसका अपने (भारतीय) सैनिकों ने दृढ़ता से मुकाबला किया। इस आमने-सामने की लड़ाई में दोनों पक्षों के कुछ कर्मियों को मामूली चोटें आईं। सेना के बयान में बताया गया कि दोनों पक्ष तुरंत क्षेत्र से हट(disengaged) गए। घटना के बाद क्षेत्र में भारतीय कमांडर ने शांति बहाल करने के लिए स्ट्रक्चर्ड मैकेनिज्म के अनुसार इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए अपने समकक्ष के साथ एक फ्लैग मीटिंग की। बता दें कि तवांग के कुछ इलाकों पर दोनों ही सेनाएं अपने-अपने दावे करती हैं। यही वजह है कि पिछले 16 सालों से यहां विवाद चल रहा है।
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