सार
अनुराग ठाकुर ने कांग्रेसी नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब भारतीय सैनिक चीनी जवानों से डोकलाम में लड़ रहे थे तो राहुल चीनियों के साथ सूप पी रहे थे। ठाकुर ने कहा कि इन लोगों को चीन के नाम पर डर फैलाने की आदत है।
Indo-China Faceoff: केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी के चीन के युद्ध की तैयारियों वाले बयान पर पलटवार किया है। ठाकुर ने कहा कि राहुल गांधी चीन के नाम पर भय फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। चीन के नाम पर राहुल गांधी डर का माहौल न बनाने की कोशिश करें। वह भारतीय सेना को कमतर आंकने के साथ लोगों का विश्वास सेना पर से उठाने में लगे हुए हैं। उन्होंने पूछा कि क्या राहुल गांधी का भारतीय सेना से भरोसा उठ गया है।
चीनियों के साथ सूप पी रहे थे जब डोकलाम में भारत लड़ रहा था
अनुराग ठाकुर ने कांग्रेसी नेता राहुल गांधी पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जब भारतीय सैनिक चीनी जवानों से डोकलाम में लड़ रहे थे तो राहुल चीनियों के साथ सूप पी रहे थे। ठाकुर ने कहा कि इन लोगों को चीन के नाम पर डर फैलाने की आदत है। लेकिन यह 1962 का भारत नहीं है, यह 2014 का भारत है। भारत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में आगे बढ़ रहा है। अब सेना आत्मनिर्भर बन चुकी है।
यूपीए शासन ने सेना को कमजोर किया
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीए शासन के दौरान सरकार ने सशस्त्र बलों को बुलेटप्रूफ जैकेट या राफेल फाइटर जेट के साथ सशक्त नहीं किया। लेकिन मोदी शासन में सेना सशक्त हो रही है। आज भारत में 300 से अधिक रक्षा वस्तुएं बनाई जा रही हैं। भारत अब रक्षा उपकरणों का निर्यातक है और आयातक नहीं है। यह 'आत्मनिर्भर भारत' है।
क्या कहा था राहुल गांधी ने चीन को लेकर?
शुक्रवार को जयपुर में राहुल गांधी ने भारत सरकार को चीन के खतरे के प्रति साफ तौर पर आगाह किया था। गांधी ने आरोप लगाया कि चीन युद्ध की तैयारी कर रहा है और भारत सरकार इस पर सो रही है। सरकार खतरे को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि मैं चीन के खतरे को बहुत साफ तौर पर देख सकता हूं। लेकिन सरकार इसे छिपाने और नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है। सरकार यह सुनना नहीं चाहती है लेकिन उनकी (चीन की) तैयारी जारी है। तैयारी युद्ध के लिए है। यह घुसपैठ के लिए नहीं है बल्कि युद्ध के लिए है। यदि आप उनके हथियार पैटर्न को देखें तो साफ है कि वह युद्ध की तैयारी कर रहे हैं। हमारी सरकार इसे छिपाती है और इसे स्वीकार नहीं कर पाती है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि नरेंद्र मोदी सरकार इवेंट बेस्ड काम करती है न कि रणनीतिक तरीके से काम करती है।
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