सार
एशियानेट न्यूज ने मेगा मूड ऑफ द नेशन सर्वे किया है। 13-17 मार्च तक एशियानेट न्यूज नेटवर्क के डिजिटल प्लेटफॉर्म द्वारा अंग्रेजी, हिंदी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तेलुगु, बांग्ला और मराठी में सर्वे किया गया। इस दौरान 7,59,340 रिस्पॉन्स मिले।
नई दिल्ली। देश में लोकसभा के चुनाव हो रहे हैं। इस दौरान सभी पार्टियां अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को भुलाने की कोशिश कर रहीं हैं। किसी के पास जाति कार्ड है तो कोई विकास की बात कर रहा है। पार्टियों द्वारा चुनाव जीतने के बाद मुफ्त की रेवड़ियां बांटने के ऐलान किए जा रहे हैं। ऐसे में वोट किसे देना है यह फैसला एक मतदाता किस बात को ध्यान में रखकर लेता है यह जानने की कोशिश एशियानेट न्यूज के मेगा मूड ऑफ द नेशन सर्वे में किया गया है।
80.44% लोगों ने कहा विकास का मुद्दा अहम
सर्वे में सवाल किया गया कि जाति, उम्मीदवार की प्रोफाइल, मुफ्त की चीजें या विकास...वह कौन सी वजह है जिससे आपका वोट तय होता है? इसके जवाब में सर्वे में शामिल 80.44% लोगों ने कहा कि वे विकास के मुद्दे को ध्यान में रखकर यह फैसला लेते हैं। 14.39% लोगों ने कहा है कि वे उम्मीदवारों की प्रोफाइल देखकर तय करते हैं कि किसे वोट देना है। 2.85% लोगों ने माना है कि उनके लिए जाति मायने रखती है। वहीं, 2.32% लोगों ने कहा है कि उनका फैसला मुफ्त में मिलने वाली चीजों से प्रभावित होता है।
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बदल रहा मतदाताओं का रुझान
सर्वे के नतीजों से यह पता चला है कि मतदाताओं का रुझान बदल रहा है। भारत की राजनीति में जाति लंबे समय से बड़ा फैक्टर रही है। यही, वजह है कि जातियों के समीकरण का सभी दल ध्यान रखते हैं। चुनाव के दौरान मुफ्त की रेवड़ियां बांटने का भी चलन है। सर्वे में शामिल 80% फीसदी से अधिक लोगों ने कहा है कि वे इस आधार पर वोट देना तय करते हैं कि कौन सी पार्टी और कौन उम्मीदवार विकास के काम अधिक करेगा। यह विकास की राजनीति के आगे बढ़ने को लेकर सुखद संकेत है।
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