सार

यूनिफार्म सिविल कोर्ड पर एक बार फिर बहस छिड़ती नजर आ रही है। बीजेपी शासित राज्यों के मुखिया व उनके मंत्री लगातार यूनिफार्म सिविल कोड पर बयान दे रहे हैं। उत्तराखंड, यूपी, हिमाचल प्रदेश, असम आदि राज्य तो इसे लागू करने की पहल कर रहे।

नई दिल्ली। यूनिफार्म सिविल कोड (Uniform Civil Code) को लागू करने को लेकर एक बार फिर बहस छिड़ गई है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma) ने शनिवार को कहा कि अगर मुस्लिम महिलाओं को न्याय दिया जाना है, तो समान नागरिक संहिता लाना होगा। बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि हर मुस्लिम महिला समान नागरिक संहिता चाहती है। मुख्यमंत्री ने नई दिल्ली में कहा, "किसी भी मुस्लिम महिला से पूछिए। यूसीसी मेरा मुद्दा नहीं है, यह सभी मुस्लिम महिलाओं का मुद्दा है। कोई भी मुस्लिम महिला नहीं चाहती कि उसका पति 3 अन्य पत्नियों को घर लाए।"

बीजेपी शासित प्रदेश लागू करने के मूड में...

समान नागरिक संहिता को लेकर बहस फिर से शुरू है। कुछ भाजपा शासित राज्यों ने इसे लागू करने की बात की है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) पहले से ही इन वार्ताओं का विरोध कर रहा है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी ने हाल ही में एक बयान जारी कर कहा कि उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकारों या केंद्र द्वारा समान नागरिक संहिता को अपनाने की बात सिर्फ बयानबाजी है जिसका उद्देश्य जनता का ध्यान महंगाई, बेरोजगारी जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाना है।

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कहा-वह लागू करने को तैयार

समान नागरिक संहिता (UCC) पर ताजा बहस तब शुरू हुई जब कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों व मंत्रियों ने इस पर बयान देना शुरू कर दिया। हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि उनकी सरकार इसे लागू करने के लिए तैयार है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार करने के लिए जल्द ही एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाएगा। यूपी सरकार के मुस्लिम मंत्री दानिश आजाद अंसारी ने कहा कि समान नागरिक संहिता के 'गुणों' से लोगों को परिचित कराने के लिए राज्य में चौपाल होंगे।

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